आंदोलनकारी छात्रों ने कहा कि सामान्य जनता का समर्थन लेने व बीएचयू प्रशासन के स्तर से मांग पूरी न किए जाने की सूरत में क़ानूनी लड़ाई के लिए भिक्षाटन किया गया है। भिक्षाटन के लिए छात्र बीएचयू सिंह द्वार से दोपहर बाद निकले और आस-पास की दुकानों पर जा कर भिक्षाटन किया।
डॉ फिरोज की नियुक्ति के विरोध में 15 दिन तक धरना देने वाले छात्रो का नेतृत्व करने वाले शशिकान्त मिश्र ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म की रक्षा सर्वोपरि है। विश्वविद्यालय प्रशासन को 10 दिन की मोहलत देने के मुद्दे पर कहा कि प्रशासन के द्वारा दी गई 10 दिन की अवधि का हवाला देते हुए शेर सुनाया, ‘मेरा पानी उतरते देख किनारों पर घर मत बना लेना। हम समुंदर हैं लौट कर फिर आएंगे।’
छात्रों ने कहा कि महामना ने भिक्षा मांगकर शिक्षा की राजधानी की स्थापना की। अब हम सभी छात्रों ने महामना के मूल्यों की रक्षा के लिए भिक्षा मांगी। महामना के प्रति जो आज पूरे समाज का धर्म और कर्त्तव्य है उसका पालन हम लोगों को करना है। महामना का नारा था कि, भले ही प्राण निकल जाय पर हमारा धर्म बचना चाहिए। आज जो सनातन धर्म पर आघात हुआ है अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो इसका भुक्तभोगी सम्पूर्ण भारत वर्ष होगा।