scriptकाशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर सर्वे के मुद्दे पर नया विवाद, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वीडियोग्राफी पर जताया विरोध | controversy on Kashi Vishwanath-Gyanvapi campus survey Anjuman Inazaniya Masajid Committee protested against videography | Patrika News

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर सर्वे के मुद्दे पर नया विवाद, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वीडियोग्राफी पर जताया विरोध

locationवाराणसीPublished: May 01, 2022 07:13:36 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर सर्वे के मसले पर नया विवाद खड़ा हो गया है। कोर्ट के आदेश के तहत 6 मई को कोर्ट कमिश्नर परिसर का सर्वे करने वाले हैं। इस दौरान वीडियोग्राफी भी प्रस्तावित है। लेकिन अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वीडियोग्राफी पर विरोध जताया है। साथ ही इसे सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करार दिया है।

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर

वाराणसी. काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर के सर्वे को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। बता दें कि कोर्ट ने इस मसले पर कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर परिसर का सर्वेक्षण कर 10 मई तक अदालत में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। सर्वेक्षण के दौरान वीडियोग्राफी भी की जानी है जिसे लेकर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति जताई है। कमेटी के सचिव ने कहा है कि वीडियोग्राफी से 1993 का सुरक्षा प्लान बेमकसद हो जाएगा।
वीडियोग्राफी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलनाः मोहम्मद यासीन

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी सैयद मोहम्मद यासीन ने बताया कि बनारस कोर्ट का आदेश, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अवहेलना हो रही है। ऐसे में वो कानूनी दायरे में रहते हुए संवैधानिक तरीके से कमीशन की कार्रवाई और वीडियोग्राफी का विरोध करेंगे। कहा कि वो मस्जिद में किसी को प्रवेश नहीं करने देंगे।
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वीडियोग्राफी के वायरल होने की आशंका

सैयद मोहम्मद यासीन का कहना है कि 1993 में काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर का सुरक्षा प्लान बनाया गया था। उसमें ये तय हुआ था कि ज्ञानवापी मस्जिद में मुसलमानों और सुरक्षाकर्मियों के अलावा कोई अन्य प्रवेश नहीं करेगा। ऐसे में अब यदि वहां वीडियोग्राफी होती है तो इसके वायरल होने की भी आशंका रहेगी। अगर ऐसा होता है तो सुरक्षा प्लान का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। इन तर्कों के साथ उन्होंने कहा कि बनारस की निचली अदालत का आदेश सही नहीं। लिहाजा कानूनी दायरे में रहकर उसका विरोध किया जाएगा।
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ये है 1993 का सुरक्षा प्लान

बता दें कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने और राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद प्रदेश के संवेदनशील धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए हाई लेवल कमेटी की निगरानी में ठोस कार्ययोजना बनी थी। इसके तहत काशी विश्वनाथ मंदिर- ज्ञानवापी मस्जिद की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था सीआरपीएफ के हवाले कर दी गई। ये रेड जोन है। इस रेड जोन में किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, ज्वलनशील पदार्थ सहित किसी भी अन्य तरह की सामग्री को ले जाना निषिद्ध है। रेड जोन के बाहर पुलिस और पीएसी के जवान तैनात रहते हैं और पुलिस की तलाशी के बाद ही आम नागरिकों को रेड जोन में प्रवेश की इजाजत हैं।
6 मई को होनी है कमीशन की कार्रवाई

इस बीच सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत के स्तर से नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने कमीशन की कार्रवाई के लिए 6 मई को दोपहर 3 बजे का समय तय किया है। इस दौरान वादी और प्रतिवादी दोनों पक्ष उपस्थित रहेंगे। इसके लिए दोनों पक्षों को सूचित करते हुए कमीशन की कार्रवाई में सहयोग करने के लिए कहा गया है, ताकि अदालत के आदेश का अनुपालन सुचारू रूप से हो सके। यदि कमीशन की कार्रवाई 6 मई को पूरी नहीं हो पाती है, तो अगले दिन आगे की कार्रवाई पूरी की जाएगी।
10 मई तक कोर्ट में पेश की जानी है सर्वे रिपोर्ट
यहां ये भी बता दें कि वाराणसी के शृंगार गौरी मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन को लेकर दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर ईद के बाद कमीशन की कार्रवाई करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि कार्रवाई की रिपोर्ट 10 मई को पेश की जाए। कोर्ट में वादी पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी और सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने मां शृंगार गौरी और मंदिर के देव विग्रहों नंदी जी और हनुमानजी महाराज का स्थान, तहखाना और बैरिकेडिंग के अंदर मंदिर से संबंधित सभी साक्ष्य की कमीशन कार्रवाई, वीडियोग्राफी और फोटो के जरिए सामने लाने का आदेश देने का अनुरोध किया था।
इससे पहले भी टल चुकी है कमीशन की कार्रवाई

बता दें कि इससे पहले पिछले महीने ही कमीशन की कार्रवाई होनी थी लेकिन अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी तथा जिला व पुलिस प्रशासन ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर वीडियोग्राफी न कराने का आग्रह किया था लेकिन पिछले दिनो हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उसे नजरंदाज कर दिया था।
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