इस संबंध में पार्षदों का कहना था कि निगम कार्यकारिणी की बैठक दिन के 11 बजे शुरू हुई। यह बजट बैठक थी जिसका एजेंडा 12 फरवरी को ही कार्यकारिणी के सदस्यों को मुहैया करा दिया गया था। बैठक शुरू होते ही हम लोगों, समिति के सदस्य प्रशांत सिंह, रमजान अली, गोपाल यादव, रेशमा परवीन ने पुलवामा में सीआरपीएफ के 43 जवानों के आतंकवादी हमले में शहादत पर श्रद्धांजलि देने के लिए शोक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। प्रशांत सिंह ने प्रस्ताव पढा। लेकिन मेयर मृदुला जायसवाल ने बैठक स्थगित न करते हुए उसे जारी रखने की व्यवस्था दी। इससे क्षुब्ध हो कर कांग्रेस और सपा के पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया और समिति कक्ष के बाहर धरने पर बैठ गए।
कार्यकारिणी की बैठक का बहिष्कार करने वाले पार्षदों ने समिति कक्ष के बाहर की मोमबत्ती जलाई और वहीं पुलवामा में शहीद जवावों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि देश के जवान सीमा पर सुरक्षा करते हैं, तब हम संसद, विधानसभा और मिली सदन चलाते हैं। देश चलाते है। देश में इतनी बड़ी घटना हो फिर भी मेयर को बजट बैठक की पड़ी है। बजट की बैठक को स्थगित कर दूसरे दिन भी आहूत किया जा सकता था। आज पूरा देश सेना के जवानों के साथ है। नगर निगम वाराणसी को भी सेना के जवानों के साथ होना चाहिए था। लेकिन मेयर के हिटलरशाही रवैये के कारण नगर निगम की शाख को बट्टा लगा है। एक पार्षद की पत्नी की मृत्यु पर सदन की बैठक स्थगित हो सकती है तो क्या देश की रक्षा के लिए अपनी जान गंवाने वाले जवानों के शहीद होने पर सदन या कार्यकारिणी की बैठक स्थगित नहीं हो सकती।
श्रद्धांजलि सभा और बैठक का बहिष्कार करने वालों में प्रशांत सिंह, रमजान अली, गोपाल यादव, रेशमा परवीन, हारुन अंसारी, साजिद अंसारी, असलम खान आदि प्रमुख थे।