शहीद दिवस के मौके पर निकला यह मार्च देश भर के कई नेटवर्कों के साथ मिल कर देश व्यापी स्तर पर निकला गया है। इस यात्रा का मकसद आने वाले लोकसभा चुनावों में जनता के मुद्दे को केंद्र में लाना है। मार्च के शुरू होने के मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए प्रो सोमनाथ त्रिपाठी ने बताया कि देशभर के दो दर्जन से अधिक राष्ट्रव्यापी नेटवर्कों व गठबंधन, जिसमें 600 से अधिक सिविल सोसाइटी समूह, जनांदोलन व अभियान समूह शामिल हैं, एकत्रित होकर लोकसभा चुनाव में असल मुद्दों को पुनः केंद्र में लाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने जा रहें हैं। सिविल सोसाइटी समूहों ने सभी भारतवासियों से अपील जारी कर कहा कि वो अपना मत गरीब व बहिष्कृत लोगों के पक्ष में खड़े होने वालों को दें। उन्हें अपना मत न दें जो मतदाताओं को युद्धोन्माद में बंधक बनाकर युद्ध के साये में चुनाव लड़ना चाहते हैं।
अभियान की जरूरत समझाते हुए, समाजिक राजनैतिक कार्यकर्ता राम जनम ने कहा, “ऐसे समय में जब पूरे चुनावी विमर्श को राष्ट्रवाद का चोला पहनकर हाईजैक करने की कोशिश की जा रही है, यह बहुत जरूरी हो गया है कि संवैधानिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले सिविल सोसाइटी संगठन, जनांदोलन व समूह एक साथ आकर अपनी ऊर्ज़ा लोकतांत्रिक बैलेंस को पुनर्स्थापित करने में लगाएं।
सामाजिक कार्यकर्ता नंदलाल मास्टर ने कहा कि “अभी जब गंभीर व सरकार को असहज करने वाले मुद्दे चुनाव में उठने शुरू हुए थे, कि अचानक पूरा ध्यान राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर शिफ़्ट किया जा रहा है, ताकि यह सरकार अपने प्रदर्शन पर सवाल देने से बच सके।” उन्होंने कहा कि “यह अभियान जनता से जुड़े असल मुद्दे जैसे बेरोज़गारी, कृषि संकट, बढ़ती असमानता, तीव्र गति से बढ़ती नफरती हिंसा, जिसमें दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों पर बढ़ रहे हमले शामिल हैं, बहिष्कृत समूहों की स्थिति व मूलभूत सेवाओं में लगातार आ रही कमी आदि को केंद्र में लाने के लिए शुरू किया गया है।”
किसान संगठनों की ओर से इस आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए किसान नेता योगिराज पटेल ने कहा कि संसद के पास लंबित दो किसान मुक्ति बिल तुरंत पास किए जाएं। मार्च में जागृति राही, रंजू सिंह, मुकेश उपाध्याय, विशाल त्रिवेदी, फादर दयाकर, मुकेश झान्झार्वाला, रवि, ओम, सानिया, ब्रिजेश, दिवाकर, तबस्सुम, आरिफ आदि शामिल रहे।