बता दें कि माले पूर्वांचल के वाराणसी, चंदौली और मछली शहर संसदीय सीट पर गठबंधन को समर्थन देने की घोषणा की है। बताया कि पार्टी यूपी में सिर्फ तीन सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है। भाजपा को हराने के उद्देश्य से ही माले ने यह रणनीति अपनाई है। रणनीति के तहत बनारस, चंदौली और मछली शहर सहित पूरे उत्तर प्रदेश में गठबंधन को समर्थन देने का ऐलान किया है। साथ ही यह भी तय किया गया है कि अगर किसी सीट पर कांग्रेस जीत की स्थिति में दिखी तो पार्टी कांग्रेस को समर्थन देने से गुरेज नहीं रखेगी। ये समर्थन सिर्फ सैद्धांतिक नहीं बल्कि सक्रिय समर्थन होगा।
माले केंद्रीय कमेटी के सदस्य मनीष शर्मा, राज्य कमेटी के सदस्य अमरनाथ राजभर और इनौस के प्रदेश उपाध्यक्ष कमलेश यादव ने पत्रिका को बताया कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार देश, संविधान व संवैधानिक आरक्षण के लिए खतरा बन गई है। संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में देश व संविधान की रक्षा के लिए जहां जो भी भाजपा को हराती दिखेगी उसका समर्थन करने का निर्णय लिया गया है।
उऩ्होंने गंगा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इन पांच सालों में गंगा और भी गंदी हुई। बतौर सांसद नरेंद्र मोदी ने जिन गांवों को गोद लिया वहां एक बार भी जाना मुनासिब नहीं समझा। नोटबंदी और जीएसटी के चलते छोटे व्यापारी व बुनकर बर्बाद हो गए। मीट कारोबारी, माझी समुदाय, पटरी व्यवसायी भुखमरी की कगार पर पहुंच गए। दर्जनों सफाई कर्मचारी इसी बनारस में मर गए। बावजूद इसके प्रधानमंत्री और यहां के सांसद के मुख से उफ तक नहीं निकला। ऐसे में भाकपा माले भी बनारस में मोदी हटाओ बनारस बचाओ अभियान का हिस्सा बनेगी।
मनीष ने बताया कि बनारस में पार्टी ने गठबंधन प्रत्याशी शालिनी यादव, मछली शहर से त्रिभुवन राम और चंदौली से संजय चौहान को भरपूर समर्थन देने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से साजिश के तहत बसपा के बर्खास्त जवान तेजबहादुर यादव का पर्चा खारिज किया, पार्टी उनके साथ है और इस मुद्दे को भी प्रचार का मुद्दा बना रही है। बताया कि बनारस की गलियों में पार्टी कार्यकर्ताओं ने मोर्चा संभाल रखा है।
यहां तक कहा कि पिछले चुनावों तक पार्टी पूरे देश भर में अपने प्रत्याशी खड़ा करती रही। हर जगह 20-25 हजार वोट मिलते थे। ऐसे में सोचा गया कि ये 20-25 हजार मत भी इस चुनाव में काफी महत्वपूर्ण होगे। लिहाजा इन मतों को उस ओर ट्रांसफर किया जाए जो भाजपा के खिलाफ जीत रहा हो। इसी रणनीति के तहत बिहार में भी गठबंधन को समर्थन दिया जा रहा है।
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