पुलिस के चेकिंग अभियान में बदमाश भी पकड़े जाते हैं। अभियान के दौरान पुलिस को किसी व्यक्ति के पास से असलहा मिलता है तो शस्त्र लाइसेंस मांगा जाता है। यदि वह व्यक्ति शस्त्र लाइसेंस नहीं दिखा पाता है तो पुलिस को शक हो जाता है कि पकड़ा गया व्यक्ति अपराधिक प्रवृत्ति का है इसके बाद पूछताछ के आधार पर और जानकारी मिलती है। यदि अभियान के दौरान पुलिस किसी बदमाश के पास से असलहा पकड़ती है और बदमाश लाइसेंस दिखा कर निकल जाता है तो पुलिस भी कुछ नहीं कर सकती है। क्राइम ब्रांच ने इनामी बदमाश कल्लू चौहान को पकड़ कर जेल भेजा है उसके बाद पूर्व में फर्जी शस्त्र लाइसेंस व असलहा भी बरामद हो चुका है। बड़ा सवाल है कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री ने सिर्फ दस्तावेज के सहारे ही एक बदमाश को असलहा दे दिया। जबकि बदमाश पर पहले से ही कई मुकदमे दर्ज थे और उसके पास शस्त्र लाइसेंस भी फर्जी था।
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कानपुर से मिलती है लाइसेंसी पिस्टल
कानपुर स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से ही शस्त्र लाइसेंस वालों को पिस्टल मिलती है। सूत्रों की माने तो शस्त्र लाइसेंस दिखाने पर वहां से असलहा मिल जाता है। आपके लाइसेंस पर असलहा से जुड़ी जानकारी दर्ज करने के बाद पिस्टल दे दी जाती है। यह भी कोई पता नहीं करता है कि लाइसेंस असली है या नकली। कल्लू चौहान के पास बलिया से बना हुआ फर्जी शस्त्र लाइसेंस था जिसकी जांच भी क्राइम ब्रांच कर चुकी है जो फर्जी निकला है।
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आतंकवादियों भी उठा सकते हैं लचर व्यवस्था का फायदा
अपराधी के पास फर्जी शस्त्र लाइसेंस व ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का असलहा मिलने बड़ी बात है। यदि ऐसे ही दस्तावेज के सहारे आतंकवादी भी आराम से असलहा प्राप्त कर सकते हैं। सिस्टम की यह बड़ी खामी कभी भी सुरक्षा व्यवस्था पर भारी पड़ सकती है। किसी लाइसेंस का वैरिफिकेशन कराये ही असलहा देना गंभीर चूक की तरफ इशारा करता है। क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच में जुट गयी है और अब यह पता किया जा रहा है कि आखिर वह कौन है जो फर्जी शस्त्र लाइसेंस तैयार करता है। अभी तो एक ही मामले का खुलासा हुआ है। इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि ऐसे कितने मामले और हो सकते हैं जिसकी जानकारी किसी को नहीं है।
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