क्षेत्रीय नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, आरटीआई एक्टिविस्ट राजकुमार गुप्ता ने पत्रिका को बताया कि आराजी लाईन क्षेत्र मे पूर्व काशी नरेश द्वारा राजातालाब में बनवाए गए तालाबो का वजूद मिटने के कगार पर है। बताया कि राजातालाब कस्बे मे स्थानीय व दूरदराज के लोगो की सुविधा के लिए राज परिवार द्वारा दो विशाल तालाबो का निर्माण कराया गया था जिसमें एक तालाब महराज बलवंत सिंह स्नाकोत्तर महाविद्यालय के विधि संकाय परिसर रानी बाजार ग्राम सभा में है जिसे रानी तालाब के नाम से जाना जाता है और दूसरा पंचक्रोशी मार्ग वीरभानपुर में भैरो तालाब है जो हरपुर ग्राम सभा की सीमा पर है।
इनके अलावा कचनार ग्राम सभा में तीसरा संगम तालाब है जो राष्ट्रीय राजमार्ग -02 से सटा हुआ है। बताते हैं कि संगम नाम के गुजरात के एक व्यापारी पंचक्रोशी परिक्रमा करने आए थे। उन्हें कोई संतान नहीं थी, ऐसे में यहां कुछ लोगों ने उनसे कहा कि व पंचक्रोशी यात्रियों के कल्याणार्थ कुंआं, तालाब और धर्मशाला का निर्माण कराएं तो संतति जरूर होगी। ऐसे में संगम मारवाड़ी ने एक तालाब, तीन धर्मशाला और तीन कुएं खुदवाए। उन्हीं के नाम पर यह संगम तालाब है। आज की तारीख में सबसे बदतर स्थिति इस संगम तालाब की है जिसमें पानी तो है ही नहीं, पूरा तालाब कीचड़, काई और कूड़ा कचरा से भर गया है। तीन में से अब एक ही धर्मशाला बची है।
राजकुमार ने बताया कि इन तालाबों के जल भराव के लिए काफी बङा नाला और गऊघाट भी है बताया जाता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप संगम तालाब व महाविद्यालय परिसर के तालाब मे वर्षा के पानी जाने के रास्ते को स्थानीय लोगो व महाविद्यालय प्रबंधन ने मिट्टी व कूङा आदि फेककर काफी हद तक पाट दिया है। स्थानीय लोगों सहित जनप्रतिनीधियों के विरोध और आलाधिकारीयों से कई बार शिकायत करने के बावजूद वह तालाब, नाला और गऊघाट पर कुछ लोग व महाविद्यालय प्रबंधन ने भवन निर्माण भी करा लिए है जिससे वर्षा का पानी आना लगभग बंद हो गया है।
संगम तालाब व रानी बाजार के तालाबों सहित भैरो तालाब के एक किनारे पर स्थित विशाल मंदिर में लोग दर्शन पूजन करने जाते हैं। प्रत्येक साल प्रसिद्ध दो दिवसीय रथयात्रा मेला भी लगता है। इस मेले में परंपरागत रूप से पूर्व काशिराज परिवार के प्रतिनिधि के तौर पर कुंवर अनंत नारायाण आते हैं। वही रानी बाजार से भगवान जगन्नाथ के रथ को खीच कर मेले की शुरुआत करते हैं। उनके पहले पूर्व काशिराज डॉ विभूति नारायण सिंह पुरखों की इस परंपरा का निर्वाह करते थे जिसे कुंवर ने कायम रखा है। स्थानीय व दूरदराज के श्रद्धालु रथ को रानी बाजार से खींचकर कचनार, राजातालाब, वीरभानपुर, भैरो तालाब, हरपुर ले जाकर दर्शन पूजन कर सालों से अपनी आस्था प्रकट करते आ रहे है।
विशाल तालाबो के कारण पूर्व काशी नरेश की संलग्नता की वजह से इस क्षेत्र को राजातालाब के नाम से जाना पहचाना जाता है। वीरभानपुर गांव मे नव सृजित तहसील राजातालाब के नाम से बना व जाना जाता है। स्थानीय लोगो और दुकानदारों के कुछ घरो का गंदा सीवर का पानी भी तालाब मे बहाए जाने व कुडों को पाटे जाने से पूरे क्षेत्र में सङ़न व बदबू फैल गई है। इसके कारण संक्रामक रोग फैल रहा है लोगो का जीना मुहाल है। क्षेत्रीय लोगो मे रोष है। स्थानीय लोगों सहित जनप्रतिनीधियो ने इसी राजातालाब के निवासी व सेवापुरी विधानसभा के पूर्व विधायक व सूबे के पूर्व लोक निर्माण व जल संसाधन राज्य मंत्री सुरेंद्र सिंह पटेल से इन तालाबो के अस्तित्व को बचाने के लिए कई बार अनुरोध किया, पटेल ने इन तालाबों के सुंदरीकरण का आश्वासन भी दिया लेकिन आज तक कुछ नही हुआ।
राजातालाब तहसील व पीएम मोदी के सांसद बन जाने से स्थानीय लोगो में इन तालाबो के अस्तित्व बचाने की आस जगी लेकिन चार वर्ष बीत गए हुआ कुछ भी नहीं। बता दें कि आराजी लाईन ब्लाक डार्क जोन होने के साथ अतिदोहित क्षेत्र घोषित है। बावजूद इसके जल संरक्षण की व्यवस्था नहीं होने से भूगर्भ जल काफी नीचे चला गया है। पीने के पानी की विकट समस्या उत्पन्न हो गयी है। लोक समिति के संस्थापक व सामाजिक कार्यकर्ता नंदलाल मास्ट ने पत्रिका को बताया कि अतिदोहित क्षेत्र घोषित होने के बाद भी लोग पेयजल के लिए सबमर्सिबल पंप लगवा रहे हैं। आलम यह है कि हैंड पंप या सबमर्सिबल लगवाने के लिए भी तकरीबन 300 मीटर नीचे तक खोदाई करनी पड़ती है।
बता दें कि प्रधानमंत्री बनने और आदर्श सांसद ग्राम की शुरूआत के बाद पीएम मोदी ने इसी ब्लाक के जयापुर गांव को प्रथम चरण में व द्वितीय चरण मे नागेपुर गांव को बतौर सांसद आदर्श गांव गोद लिया है। स्थानीय निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राज कुमार गुप्ता ने बताया कि वह दिन दूर नही है कि मोदी के आदर्श गांव जो राजातालाब इलाके से महज तीन-चार किमी दूर है अगर जल संरक्षण के लिए इन सभी तालाबो के अस्तित्व को समय रहते नही बचाया गया तो जल्द ही वाराणसी के राजातालाब को लातूर बनने मे देर नही लगेगा।
स्थानीय निवासी व आरटीआई कार्यकर्ता राज कुमार गुप्ता ने इन तालाबो को बचाने के लिए वर्ष 2008 में आरटीआई के माध्यम से जिलाधिकारी कार्यालय से आवेदन कर सूचना मांगी जो जानकारी सामने आई वह चौंकाने वाली थी। उक्त तालाबों पर अतिक्रमण अवैध रूप से कब्जा को जिला प्रशासन द्वारा सीमांकन करवा कर लाल निशान लगा कर बेदखली की कार्रवाई करके अन्तर्गत धारा 122 बी की कार्रवाई भी की। इससे भूमाफिया में हड़कंप मच गया था। क्षुब्ध होकर आरटीआई कार्यकर्ता को दबंगो ने जान से मारने की धमकियां भी दीं। आरटीआई से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर ग्राम प्रधान ने मनरेगा मजदूरो को संगम तालाब व इनके श्रोतो की खुदाई शुरूवात किया मजदूर को रोजगार सुलभ हुआ, स्थानीय युवको ने श्रमदान कर तालाबों के संरक्षण के लिए पहल किया।
लोकसमिति के अध्यक्ष नंदलाल मास्टर ने बताया कि इन तालाबों का वजूद बचाने के लिए मनरेगा से कुछ खोदाई कभी कभार होती है, लेकिन हालात इतने बदतर हैं कि केवल मनरेगा से इन्हें संरक्षित नहीं रखा जा सकता। इसे अब सरकारी संरक्षण की जरूरत है। ऐसे में मानसून सत्र में इसके लिए बड़ा आंदोलन करने की रणनीति बनाई जा रही है। इसमें कई सामाजिक स्वयंसेवी संस्थाओं को जोड़ा जा रहा है। नागरिकों ने तय किया है कि इन्हें बचा कर रहेंगे।