scriptबनारस में पूर्व काशिराज परिवार की स्मृतियों पर संकट | crisis on memory of former Kashiraj family | Patrika News

बनारस में पूर्व काशिराज परिवार की स्मृतियों पर संकट

locationवाराणसीPublished: Nov 02, 2017 06:28:26 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

आराजी लाइन ब्लॉक में बनवाए गए तालाबों का वजूद मिटने के कगार पर, खुद की जमीन पर रास्ते के लिए लिख रहे पत्र।

रामनगर का किला व राजातालाब का सरोवर

रामनगर का किला व राजातालाब का सरोवर

डॉ. अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. पूर्व काशिराज परिवार की स्मृतियों पर संकट छा गया है। आलम यह है कि आराजी लाइन विकास खंड में पूर्व काशिराज परिवार द्वारा खोदवाए गए तालाबों का वजूद मिटने के कगार पर पहुंच गया है। यह तब है जब यह ब्लॉक पहले से डार्क जोन घोषित है। इतना ही नहीं अब तो कुंवर अनंत नारायण को बनारस जिला प्रशासन को पत्र लिख कर खुद के लिए का रास्ता मांगना पड़ रहा है। बावजूद इसके कोई हल नहीं निकला। बता दें कि पत्रिका ने डाला छठ के पूर्व रामनगर के किले की ऐतिहासिकता और पौराणिकता के महत्व को दर्शाते हुए उसे प्रदेश के पर्यटन मानचित्र में शामिल न किए जाने पर मुहिम शुरू की थी। उसे बनारस के लोगों ने काफी सराहा था। राजनीतिक क्षेत्र ही नहीं बल्कि सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़े लोगों ने भी उस मुहिम को सराहा था। उसी कड़ी में आराजीलाइन विकास खंड के सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार ने गुरुवार को पत्रिका को कुछ और जानकारियां दीं जिसके मुताबिक इस जिले में पूर्व काशिराज परिवार की स्मृतियों पर ही संकट मंडराने लगा है।
पूर्व काशिराज ने राजातालाब में खोदवाए थे दो बड़े तालाब

आराजी लाइन विकास खंड के कचनार निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट राजकुमार गुप्त ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि आराजी लाईन क्षेत्र में पूर्व काशी नरेश द्वारा राजातालाब मे बनवाये गए तालाबों का वजूद मिटने के कगार पर है । राजातालाब कस्बे मे स्थानीय व दूरदराज के लोगों की सुविधा के लिए काशि राज परिवार द्वारा दो विशाल तालाबों का निर्माण कराया गया था जिसमें एक तालाब महराज बलवंत सिंह स्नाकोत्तर महाविद्यालय के विधि संकाय परिसर रानी बाजार ग्राम सभा में और दूसरा पंचक्रोशी मार्ग वीरभानपुर में भैरो तालाब,हरपुर ग्राम सभा की सीमा पर है। उन्होंने बताया कि इसी इलाके में तीसरा संगम तालाब, कचनार ग्राम सभा में राष्ट्रीय राजमार्ग-02 से सटा है। इस तालाब का निर्माण संगम नाम के एक व्यापारी मारवाङी तीर्थ यात्री ने पंचक्रोशी परिक्रमा के दौरान धर्मार्थ पुण्य कमाने की चाहत से बनवा कर गांव को दान में दे दिया था। इन तालाबो के जल भराव के लिए काफी बङा नाला और गऊघाट भी है। बताया जाता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप संगम तालाब व महाविद्यालय परिसर के तालाब में वर्षा के पानी जाने के रास्ते को स्थानीय लोगों व महाविद्यालय प्रबंधन ने मिट्टी व कूङा आदि फेककर काफी हद तक ढक दिया है। स्थानीय लोगों सहित जनप्रतिनीधियो के विरोध और आलाधिकारियो से कई बार शिकायत करने के बावजूद उक्त तालाब वाले गऊघाट पर कुछ लोगों ने भवन निर्माण करा लिया है जिससे वर्षा का पानी आना लगभग बंद हो गया है।
राजातालाब के कुंड व पर्व का महत्व

संगम तालाब व रानी बाजार के तालाबों सहित भैरो तालाब के एक किनारे पर स्थित विशाल मंदिर में लोग दर्शन पूजन करने जाते। साथ ही प्रत्येक साल प्रसिद्ध दो दिवसीय रथयात्रा मेला भी रानी बाजार से भगवान जगन्नाथ के रथ काशी नरेश द्वारा खीच कर मेले की शुरुआत करने की वर्षो पुरानी परंपरा है । स्थानीय व दूरदराज के श्रद्धालु रथ को रानी बाजार से खींचकर कचनार, राजातालाब, वीरभानपुर, भैरो तालाब/हरपुर ले जाकर दर्शन पूजन कर सालो से अपनी आस्था प्रकट करते आ रहे है। मेले की शुरुआत व विशाल तालाबों के कारण राजा काशी नरेश की संलग्नता की वजह से इस क्षेत्र को राजातालाब के नाम से जाना पहचाना जाता है। वीरभानपुर गांव मे नव सृजित तहसील राजातालाब के नाम से बना व जाना जाती है। स्थानीय लोगों और दुकान दारों के कुछ घरों का गंदा सीवर का पानी भी तालाब मे बहाए जाने से व कुड पाटे जाने से पूरे क्षेत्र मे सड़न व बदबू फैली रहती है जिससे हमेशा संक्रामक रोग फैलने का खतरा बना रहता है। इससे क्षेत्रीय लोगों में रोष है । स्थानीय लोगों सहित जनप्रतिनीधियों ने इसी राजातालाब के निवासी व सेवापुरी विधानसभा के विधायक व सूबे के लोक निर्माण, जल संसाधन विभाग के पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह पटेल से इन तालाबों के अस्तित्व को बचाने के लिए कई बार अनुरोध किया, पटेल ने इन तालाबो के सौदर्यीकरण का आश्वासन भी दिया लेकिन आज तक कुछ नही हुआ।
दो साल पहले के आदेश पर भी नहीं हुआ काम

राजकुमार ने पत्रिका को बताया कि उन्होंने दो साल पहले ही क्षेत्र की समस्या के बाबत मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा था। उसके जवाब में 27 फरवरी 2015 को ग्राम्य विकास अनुभाग, प्रमुख सचिव अरुण सिंघल का जवाबी पत्र आया जिसमें बताया गया कि आराजी लाइन ब्लॉक भूजल संसाधन आंकलन के अनुसार अतिदोहित श्रेणी में वर्गकृत है। भूजल की गहराई मुख्यरूप से 12-20 मीटर की रेंज में है। शासन द्वारा अतिदोहित एवं क्रिटिकल विकास खंडों में नलकूपों के निर्माण पर प्रतिबंध लगाया गया है ताकि पेयजल के लिए भू गर्भ जल उपलब्ध होता रहे। भूजल की स्थिति में सुधार के लिए लघु सिंचाई विभाग द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के सस्टेनविलिटि मद 189.30 लाख की लागत से सात चेक डैम के निर्माण की बात कही गई थी लेकिन वे चेक डैम आज तक अस्तित्व में नहीं आ सके हैं। बताया कि विकास खंड आराजी लाइन में कुल 217 राजस्व ग्राम हैं, अनुमानित आबादी चार लाख है। इंडिया मार्का-11 हैंडपंपों के निर्धारित मानक 150 व्यक्तियों के लिए एक हैंडपंप के अनुसार ब्लॉक में कुल 2667 हैंडपंपों की जरूरत है जिसके सापेक्ष सरकारी दस्तावेजों में 7500 हैंडपंप दर्ज हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इन हैंडपंपों से आम जन को कोई राहत नहीं है। इसमें से कई हैंडपंप रसूखदारो के कब्जे में हैं। उन्होंने बताया कि केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड स्तर से 10 वर्ष पूर्व नलकूप की बोरिंग की गई थी। इस नलकूप के उपयोग के लिए पंपिंग प्लांट एवं ऊर्जीकरण का प्रस्ताव तैयार किया गया। फरवरी 2015 में ही कहा गया था कि तीन माह में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत गठित राज्य स्तरीय परियोजना स्वीकृति समिति से स्वीकृति प्राप्त कर काम शुरू होगा। लेकिन धऱातल पर आज भी ऐसा कुछ नजर नहीं आता।
सपा सरकार में जयापुर व नागेपुर सहित 12 गांव चुने गए लोहिया ग्राम योजना में

उन्होंने बताया कि पिछली सपा सरकार में आराजी लाइन विकास खंड के करीब एक दर्जन गांवों को लोहिया ग्राम योजना में शामिल किया गया था। उसी में से जयापुर और नागेपुर भी है। इन लोहिया गांवों में कुछ काम जरूर हुआ पर वह भी ऊंट के मुंह में जीरा समान है। दूसरे इलाके को सबसे बड़ा खतरा कोकाकोला बाटलिंग प्लांट से है जिसने तमाम विरोध के प्लांट परिसर में दूसरे नलकूप के लिए बोरिंग करा ली है। यह तब है जब यह एरिया डार्क जोन में है। राजकुमार ने कहा कि हालत बहुत ही खराब हैं। पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। राज कुमार गुप्ता ने बताया कि अगर जल संरक्षण के लिए क्षेत्र के इन सभी तालाबो के अस्तित्व को समय रहते नही बचाया गया तो वह दिन दूर नहीं कि मोदी के आदर्श गांवों जो राजातालाब इलाके से महज तीन-चार किमी दूर हैं वहां पेयजल के लिए लोगों को तरसना पड़ जाएगा। दूर दराज से पानी ढो कर लाना होगा। वाराणसी के राजातालाब को लातूर बनने मे देर नही लगेगी।
रास्ते के लिए कुंवर को लिखना पड़ा जिला प्रशासन को पत्र

तो एक बानगी है, आलम तो यह है कि काशिराज परिवार को अपने रास्ते के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखना पड़ रहा है। दरअसल सामनेघाट पुल तक पहुंच मार्ग के लिए जमीन पलब्ध कराने वाले कुंवर अनंत नारायण सिंह ने प्रशासन को पत्र लिखा है। उन्होंने जमीन देते समय तय शर्त की याद दिलाते हुए 12 फीट रास्ते की मांग की है। कुंवर के पत्र के बाद सक्रिय हुए जिला प्रशासन ने बुधवार को मौके पर लोक निर्माण व राजस्व विभाग की टीम भेजी, लेकिन कोई हल नहीं निकला। बताया जा रहा है कि सामनेघाट पुल के निर्माण के वक्त पहुंच मार्ग के लिए लोक निर्माण के पास जमीन नहीं थी। इस पर विभाग ने कुंवर से संपर्क कर पहुंच मार्ग के लिए जमीन की दरख्वास्त की जिस पर कुंवर तैयार हो गए। विभाग को जमीन मिल गई। लेकिन इसके बाद महाराज की शेष जमीन भी चली गई जिससे रास्ता ही नहीं बचा। इस पर कुंवर ने लोक निर्माण समेत राजस्व विभाग के अफसरों से 12 फीट का रास्ता देने के लिए कहा था। इस पर अफसरों ने सहमति जताई थी। लेकिन पुल तो लोकार्पित हो गया पर विभागीय अफसरों को पूर्व काशिराज परिवार को उनकी जमीन तक जाने के लिए रास्ता देने की याद नहीं आई।
एसडीएम सदर ने किया मौका मुआयना

इस प्रकरण में प्रशासन फिलहाल निकाय चुनाव के बाबत बड़ी कार्रवाई से बचना चाहता है। हालांकि एसडीएम सदर ने मौका मुआयना किया। लेकिन जो वस्तुस्थिति दिखी वह काफी गंभीर है। दरअसल राजपरिवार की जमीन पर अतिक्रमण कर लोगों ने भवन बनवा लिए हैं अब उनका रिकार्ड जांच कर कार्रवाई करनी होगी। लिहाजा प्रशासन को चुनाव बीतने का इंतजार है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो