आलम यह कि इस शहर में रोजाना एक घटना यौन हिंसा की दर्ज हो रही है। कहने वाले छेड़खानी को यौन हिंसा नहीं मान सकते हैं। इसके पक्ष में तमाम दलीलें दी जा सकती हैं। लेकिन अगर किसी लड़की या महिला से सड़क पर छेड़छाड़ भी होती है तो वह अपराध के दायरे में ही आता है। ये छेड़छाड़ ही आगे बढ़ कर हिंसा में तब्दील होती है। ये छेड़छाड़ का ही मामला था कि सितंबर में बीएचयू जल उठा था। एक कुलपति को फोर्स लीव पर जाना पड़ा। फिर भी वहां आए दिन इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती हैं।
अब अगर बनारस पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो पाएंगे कि यहां शहर व गांव मिला कर कुल 24 थाने हैं। इसके अतिरिक्त एक महिला थाना भी है। लेकिन ताज्जुब कि महिला थाना में छेड़छाड़ की एक भी शिकायत दर्ज नहीं है। यह चौंकाने वाला इसलिए है कि इस महिला थाना को छोड़ शेष 24 थानों के रिकार्ड बताते हैं कि वहां रोजाना एक केस दर्ज होता है। अगर पिछले 30 दिनों की बात की जाए तो जिले के 24 थानों में छेड़खानी के 24 केस दर्ज हुए हैं। ये दर्ज मामले हैं। इसके अलावा ऐसे दर्जनों मामले ऐसे हैं जिनके तहत महिलाएं, बच्चियां,किशोरियां लोकलाज के भय से थाने जाती ही नहीं या पुलिस उन मामलों को दर्ज ही नहीं करती।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार थानों में दर्ज छेड़खानी के मामले
– बड़ागांव में छेड़खानी के सर्वाधिक चार मुकदमे
-जैतपुरा व कैंट में तीन-तीन मुकदमे
-कपसेठी, चौक, लंका, भेलूपुर, मंडुआडीह, लोहता, शिवपुर व सिगरा में दो-दो
– जंसा, फूलपुर, सारनाथ, लक्सा, दशाश्वमेध व आदमपुर थाना में एक-एक मामला
थाने जहां छेड़खानी का एक भी केस नहीं
चोलापुर, चौबेपुर, रामनगर, रोहनिया, कोतवाली व मिर्जामुराद में छेड़खानी की कोई घटना दर्ज नहीं है।
पुलिस अफसरों की मानें तो गश्त बढ़ाकर छेड़खानी की घटनाओं में और कमी लाई जाएगी।