पीडब्ल्यूडी द्वारा चौड़ीकरण के बाबत सीमांकन होते ही इस मार्ग के निवासियों की धड़कनें बढ़ गई हैं। लोगों का कहना है कि चुनाव से पहले सभी दल के नेताओं ने बाईपास रोड निर्माण का आश्वासन दिया था, जो अब कोरा वादा साबित हुआ। अब स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। एक पटरी पर 15 से 20 फीट तक का निर्माण टूटने का अंदेशा जताया जा रहा है।
सफाई कर्मी बस्ती मे जहां 40 से अधिक परिवार 70 सालों से अपने परिवार के साथ गुजर बसर कर रहे हैं को सड़क चौड़ीकरण के नाम पर प्रशासन द्वारा उजाड़ने की तैयारी कर ली गई है। बस्ती का नाप जोख लोक निर्माण विभाग द्वारा किया गया है और लोगों को यहां से हटने हेतु कह दिया गया है जबकि भारत के संविधान के अनुसार सभी गरीबों को बसाने का कार्य सरकारो को करना है।
बस्ती में रहने वाले राजू (संविदा सफाई कर्मी), जवाहिर (रिटायर्ड सफाई कर्मी), भगवानदास (रिटायर्ड सफाई कर्मी) ने बताया कि मेरे बाप दादा भी यहीं पर पले बढ़े बढ़े हुए और मैं भी यहीं रहकर सरकारी नौकरी पाया और 2015 में रिटायर हो गया। उसके बावजूद सरकार ने द्वारा आज तक मुझे आवास बनाकर कर नहीं दिया।
जन अधिकार मंच सामाजिक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष अनिल कुमार मौर्य और न्याय मंच की किरन व ममता ने संयुक्त रूप से बताया की स्मार्ट सिटी बनाओ गरीब हटाओ-दलित भगाओ जो उत्तर प्रदेश शासन की ऐसी नीति है जो गरीब वर्ग के लिए श्राप साबित हो रही है। गरीब लोगो के घरों सहित पूरी की पूरी बस्ती उजाड़ी जा रही है, गरीबो के पेट पर लात मारते हुए उनके व्यवसाय एवं व्यापारों को नष्ट किया जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि स्मार्ट सिटी के नाम पर लोगो को ऐसा सपना दिखाया जा रहा है। लेकिन जब ये मासूम जागेंगे तो समझ आएगा। कहा कि गरीबों-मजलूमों का उत्पीडन कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गरीबों के हक हकूक और मान-सम्मान के लिए सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष होगा।