नियमानुसार चीफ प्राक्टर के इस्तीफे के बाद प्राक्टोरियल बोर्ड भंग हो जाता है। ऐसे में मौजूदा हालात को देखते हुए कुलपति ने फिलहाल नेत्र विभाग के अध्यक्ष व छात्र अधिष्ठाता प्रो. ओंकार नाथ सिंह को यह अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। मीडिया सेल द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि प्रो. ओएन सिंह द्वारा मुख्य आरक्षाधिकारी पद से दिये गये त्यागपत्र की स्वीकृति के फलस्वरूप कुलपति महोदय के आदेशानुसार मुख्य आरक्षाधिकारी पद का दायित्व अगले आदेश तक प्रो सिंह को सौंपा गया है। विश्वविद्यालय मीडिया सेल के मुताबिक उस प्राक्टर को भी हटा दिया गया जिस पर छात्रा ने आरोप लगाया था कि घटना के बाद वह उस प्राक्टर के पास गई और आपबीती सुनाई तब वह हंस रहा था और कहा था कि मैं क्या कर सकता हूं।
चार्ज मिलते ही सक्रिय हुए चीफ प्राक्टर, एबीवीपी का धरना समाप्त कराया चीफ प्राक्टर का अतिरिक्त प्रभार मिलते ही प्रो. सिंह पहुंचे अखिल भारती विद्यार्थी परिषद के धरना स्थल पर उन्होंने छात्र नेताओं से वार्ता कर चार दिन पुराना धरना समाप्त करा दिया। इस संबंध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद काशी प्रांत के प्रदेश मंत्री भूपेंद्र सिंह और बीएचयू के विभाग संयोजक चक्रपाणि ओझा ने कहा कि विश्वविद्यालयय की छात्राओं की बड़ी जीत है। एबवीपी की सभी मांगे मान ली गईं। विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता बीएचयू छात्राओं पर हुई पुलिस की बर्बरता तथा पूरे मामले को प्रशासन के द्वारा गम्भीरता पूर्वक ना लेने के विरोध में अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए थे। विद्यार्थी परिषद को आश्वस्त किया गया है कि दोषियों पर सख़्त कार्रवाई होगी। चीफ़ प्राक्टर ओएन सिंह को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है
एबीवीपी की ये मांगे स्वीकार कर ली गईं 1 घटना के बारे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से फैक्ट फाइडिंग कमेटी का गठन किया जाए। 2- लाठीचार्ज की घटनाओं पर न्यायिक जांच आयोग गठित कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
3- बीएचयू में घटनाओं को रोक पाने में असफल चीफ प्राक्टर, प्राक्टोरियल बोर्ड को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए। 4- महिला छात्रावासों सहित परिसर में छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित किया जाए। परिसर में सीसीटीवी, रास्तों पर पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था हो!।