scriptनोटबंदी और जीएसटी से रोजगार में आई कमी, वैश्विक अर्थ व्यवस्था से अलग हुआ भारतः कार्निक | Demonitaion and GST is reason for less employment said Kiran Karnik | Patrika News

नोटबंदी और जीएसटी से रोजगार में आई कमी, वैश्विक अर्थ व्यवस्था से अलग हुआ भारतः कार्निक

locationवाराणसीPublished: Oct 07, 2017 05:21:56 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के निदेशक मंडल के निदेशक ने कहा नोटबंदी से गरीबों की परेशानी बढ़ी।

किरन कार्निक

किरन कार्निक

वाराणसी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के केंद्रीय डायरेक्टर्स बोर्ड के निदेशक व इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफार्मेशन टेक्नॉलजी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन किरन कार्निक ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी से रोजगार में कमी आई है जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि इतना नहीं वैश्विक अर्थ व्यवस्था जो इस समय काफी ठीक है उससे भारत अलग-थलग पड़ गया है। आईआईटी बीएचयू के छठवें दीक्षांत समारोह में भाग लेने आए कार्निक शनिवार को मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने कहा कि मैं अर्थशास्त्री नहीं पर जितने भी लोगों से मिला किसी ने नोटबंदी और जीएसटी को बुरा नहीं कहा पर यह जरूर कहा कि लॉंग टर्म में इसके फायदे भले हों पर तात्कालिक तौर पर इससे काफी नुकसान हुआ है। खास तौर पर गरीबों के लिए। गरीबों की रोजी रोटी छिन गई। उन्होंने बताया कि नौकरियों में आई कमी का सबसे बड़ा कारण अर्थव्यवस्था को लगा तगड़ा झटका है।
जीएसटी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इससे तात्कालिक तौर पर काफी दिक्कत नजर आ रही है। इसकी एक वजह सिस्टम में कुछ खामियां हैं। हालांकि उसमें धीरे-धीरे सुधार किया जा रहा है। इसी बीच यह भी कहा कि इससे कई रोजगारों के लिए समस्या पैदा हो गई है, उन्होंने उदाहरण दिया कि काजू, किसमिस और बादम के अलग-अलग दाम तय कर दिए गए हैं लेकिन व्यापारी से अगर कोई तीनों को मिला कर ड्राई फ्रूट मांगता है तो वहां दिक्कत होती है कि उसे किस आधार पर तीनों मिला कर दे। इस तरह की दिक्कतें दूर की जानी चाहिए। इस तरह की कई दिक्कतें है। लेकिन इसे लेकर जीएसटी को बुरा नहीं कहा जा सकता। तात्कालिक तौर पर दिक्कतें हैं पर इसे दूर किया जाएगा और सरकार इसके लिए प्रयत्नशील है। लेकिन सबसे ज्यादा घातक नौकरियों में कमी है। कहा कि रोजगार का संकट दुनिया भर में है पर भारत में यह संकट ज्यादा गहरा है। यह चिंताजनक है।
नोटबंदी के बाबत उन्होंने कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर निचले तबके पर पड़ा। बहुत सारे लोग बेरोजगार हो गए। जिन्हें एक बार नौकरी से निकाला गया, वो घर लौटे तो फिर वापस नहीं आए। ऐसे में नोटबंदी की इन पर बड़ी मार पड़ी। ऐसे ही छोटे और मझोले उद्योगों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। वो नोटबंदी के दबाव में जो गिरे वो अब तक नहीं उबर पाए जबकि अब साल भर हो गया है। सत्यम कंप्यूटर घोटाले की चर्चा करते हुए कहा कि तब सरकार के इसमें हस्तक्षेप करने की सबसे बड़ी वजह 50 हजार लोगों की नौकरी बचाना था। उस वक्त सत्यम कंप्यूटर घोटाले को देखते हुए हमल लोगों ने निदेशक मंडल की बैठक कर कई नई नियम बनाए और निदेशकों की जिम्मेदारी तय की।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो