जीएसटी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इससे तात्कालिक तौर पर काफी दिक्कत नजर आ रही है। इसकी एक वजह सिस्टम में कुछ खामियां हैं। हालांकि उसमें धीरे-धीरे सुधार किया जा रहा है। इसी बीच यह भी कहा कि इससे कई रोजगारों के लिए समस्या पैदा हो गई है, उन्होंने उदाहरण दिया कि काजू, किसमिस और बादम के अलग-अलग दाम तय कर दिए गए हैं लेकिन व्यापारी से अगर कोई तीनों को मिला कर ड्राई फ्रूट मांगता है तो वहां दिक्कत होती है कि उसे किस आधार पर तीनों मिला कर दे। इस तरह की दिक्कतें दूर की जानी चाहिए। इस तरह की कई दिक्कतें है। लेकिन इसे लेकर जीएसटी को बुरा नहीं कहा जा सकता। तात्कालिक तौर पर दिक्कतें हैं पर इसे दूर किया जाएगा और सरकार इसके लिए प्रयत्नशील है। लेकिन सबसे ज्यादा घातक नौकरियों में कमी है। कहा कि रोजगार का संकट दुनिया भर में है पर भारत में यह संकट ज्यादा गहरा है। यह चिंताजनक है।
नोटबंदी के बाबत उन्होंने कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर निचले तबके पर पड़ा। बहुत सारे लोग बेरोजगार हो गए। जिन्हें एक बार नौकरी से निकाला गया, वो घर लौटे तो फिर वापस नहीं आए। ऐसे में नोटबंदी की इन पर बड़ी मार पड़ी। ऐसे ही छोटे और मझोले उद्योगों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। वो नोटबंदी के दबाव में जो गिरे वो अब तक नहीं उबर पाए जबकि अब साल भर हो गया है। सत्यम कंप्यूटर घोटाले की चर्चा करते हुए कहा कि तब सरकार के इसमें हस्तक्षेप करने की सबसे बड़ी वजह 50 हजार लोगों की नौकरी बचाना था। उस वक्त सत्यम कंप्यूटर घोटाले को देखते हुए हमल लोगों ने निदेशक मंडल की बैठक कर कई नई नियम बनाए और निदेशकों की जिम्मेदारी तय की।