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तुलसी घाट पर जगमग हुए हजारों दीप, धरोहरी घाटों के ऊपर मां गंगा का विराट स्वरूप देख निहाल हुए दर्शक

locationवाराणसीPublished: Nov 23, 2018 09:03:35 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

भारत में मैंडोलीन के जनक एवं साधक पं यू श्रीनिवासन की को समर्पित रही देव दीपावली।

तुलसी घाट की देव दीपावली

तुलसी घाट की देव दीपावली

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी


वाराणसी. काशी के अर्द्ध चंद्राकार 84 घाट वैसे ही चंद्रमा सा मनोहारी दृश्य पैदा करते हैं। लेकिन जब इन घाटों पर लाखों दीप मालिकाएं सज जाएं तो उस परिदृश्य को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। वह अलौकिक छटा सिर्फ और सिर्फ महसूस की जा सकती है और ऐसा ही कुछ नजर आया शुक्रवार को देव दीपावली की शाम काशी के घाटों पर। फिर तुलसी घाट की तो बात ही क्या। करीने सजे धरोहरी घाट और उनके ऊपर मां गंगा का विराट स्वरूप। इस मनोहारी व अलौकिक दृश्य को देख हर कोई मंत्र मुग्ध था। सालों साल तक नयनों में इस अलौकिक दृश्य को कैद करने में जुट गए थे लोग। एक टक निहारते रहे। वहीं मोबाइल कैमरों से इस मां गंगा की इस छटा को कैद करने वालों की कमी नहीं रही।
घाट के पोर-पोर पर करीने से सजी दीपमालिकाओं को देख ऐसा लग रहा था मानों स्वर्ग धरती पर उतर आया हो। वैसे कहा भी यही जाता है कि देव दीपावली कि दिन देवता भी अपनी दीपावली मनाने काशी के घाटों पर अवतरित होते हैं। अब बात तुलसी घाट की हो तो यह घाट वैसे ही राम भक्त गोस्वामी तुलसी दास का। ऐसे में यहां की खूबसूरती अद्भुत रही है। जिसकी भी एक नजर इस घाट पर पडी बस अपलक वह घाट के प्रस्तर सोपानों पर सजे दीपों, धरोहरी घाट यानी मणिकर्णिका, सिंधिया, जलासेन, ललिता घाट का जीवंत लुक और फिर मां गंगा का विराट स्वरूप वाह वाकई अकल्पनीय रहा वो दृश्य।
बता दें कि हर बार देव दीपावली पर एक नया लुक देने वाले मां गंगा के अनन्य साधक संकट मोचन फाउंडेशन के चेयर पर्सन, अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के अध्यक्ष तथा आईआईटी बीएचयू के प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र और उनके अनुज जानेमाने न्यूरोलॉजिस्ट व सरसुंदर लाल चिकित्सालय के एमएस प्रो विजय नाथ मिश्र ने इस बार भी सबसे हट के नई सोच साथ इस महा पर्व को मनाने की सोची। इसके लिए आमंत्रित किया काशी के मूल निवासी और फिलहाल बहरीन में अपनी कला के प्रचार-प्रसार में जुटे अनिल कुमार और उनके साथियों को। अनिल ने अपनी टीम के साथ रात दिन एक कर काशी के मूल स्वरूप को जीवंतता प्रदान किया। इसके तहत 70 फीट लंबा और 50 फीट ऊंचा कटआउट तैयार किया गया। इसमें 30 फीट ऊंचा मां गंगा के विराट स्वरूप वाला कटआउट था। इसे काशी के घाटों-मणिकर्णिका घाट, सिंधिया घाट, जलासेन घाट और ललिता घाट के ऊपर स्थान दिया गया था। घाटों के चित्र के साथ छोटे-छोटे कटआउट थे, जिनके माध्यम से इन धरोहरी घाटों पर नियमित आने वाले स्थानीय लोगों को दर्शाया गया था। इनमें पंडा-पुजारी भी थे। मणिकर्णिका घाट पर जिस तरह से चिताएं जलाई जाती हैं उसका स्वरूप जीवंत हुआ। एकबारगी लोगों को लगा मानों वो सचमुच उन्हीं घाटों पर हों। बता दें कि ऐसा माना जा रहा है कि इन घाटों पर इस बार तो देव दीपावली मनाई जा रही है पर भविष्य में ऐसा होगा कि नहीं यह तय नहीं है।
विश्वनाथ कॉरोडोर के तहत इन घाटों के वजूद पर है संकट
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अति महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के तहत जिन चार प्रमुख घाटों के मौलिक स्वरूप पर संकट पैदा हुआ है उसमें ऐतिहासिक व अति धार्मिक महत्व वाला मणिकर्णिका घाट, सिंधिया घाट, नेपाल राज दरबार द्वारा तैयार कराया गया ललिता घाट और जलासेन घाट है। इन सभी घाटों के प्रस्तर सोपानों पर हर साल देव दीपावली पर दीपक सजाये जाते थे। इस बार यहां वह दृश्य था पर ऐसा माना जा रहा है कि जिस तेजी से विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण की तैयारी चल रही है उससे अगले साल यहां पारंपरिक अलौकिक छटा निहारने को मिलेगी इसे लेकर संशय की स्थिति है।
घाटों की मौलिकता की झलक
इन घाटों की मौलिकता को कायम रखने का प्रयास भी किया गया था। अखाडा गोस्वामी तुलसी दास, संकट मोचन फाउंडेशन के चेयर पर्सन प्रो विश्वंभर नाथ मिश्र और उनके अनुज प्रो विजय मिश्र की यह सोच थी कि काशी के प्राचीन और अति ऐतिहासिक महत्व वाले मणिकर्णिका घाट, सिंधिया घाट और नेपाल राज परिवार द्वारा बनाए गए ललिता घाट और जलासेन घाट के मौलिक स्वरूप का विशाल कटआउट तैयार किया जाय। मिश्र बंधु की कल्पना को साकार किया अनिल और उनकी टीम ने।

मां गंगा के विराट स्वरूप का मिला दुर्लभ दर्शन
सबसे अलौकिक तो इन चारों घाटों के ऊपर मां गंगा का विराट स्वरूप था। घाट और घाट के ऊपर मां गंगा का यह जीवंत चित्र देखते ही बन रहा था। यह सब साकार किया बहरीन में अपनी कला का जादू दिखा रहे अनिल के साथ राजू कुमार चित्रकार पटना (बिहार), राजेश कुमार मूर्तिकार वाराणसी ,अनिल कुमार चित्रकार बहरीन ,कैलाश कुमार विश्वकर्मा रीवा ( मध्य प्रदेश) देवेन्द्र पटेल, प्रवीण पटेल, किशन कुमार, (वाराणसी) सहयोगी शिल्पी दिवाकर, रामू ,योगेश कुमार सहित दर्जनों कलाकारों ने।
मैंडोलीन के जनक एवं साधक पं यू श्रीनिवासन की शेष स्मृतियों को समर्पित
इतना ही नहीं हर साल की तरह कला साधक की इस तपस्थली पर आयोजित देवदीपावली भारत में मैंडोलीन के जनक एवं साधक पं यू श्रीनिवासन की शेष स्मृतियों को समर्पित रही। अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास, संकटमोचन मंदिर और संकटमोचन फाउंडेशन ने एक बार फिर गंगा निर्मलीकरण, सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप काशी की गंगा और उसके धरोहरी घाटों के साज-सज्जा का केंद्र बिंदु बनाया। देशी और विदेशी कलाकार इस कल्पना को मूर्त रुप देने में जुटे तो दर्शक श्रोता बन खुद को अचंभित महसूस करने लगे।
श्री कृष्ण लीला का भी मिला लुत्फ
तुलसी घाट पर परंपरागत रूप से श्री कृष्ण लीला दोपहर बाद तीन बजे शुरू हुई। यह लीला द्वापर काल के दृष्टांत पर आधारित रही। इसके तहत कंस वध की लीला का मंचन हुआ। इसके बाद कलयुग का दृष्टांत आने पर कबीर वाणी से पूरा घाट गुंजायमान हो गया। फिर गंगा आरती हुई और उसके बाद अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति पेश की। इसके तहत भारत में मैंडोलीन के जनक एवं साधक पं यू श्रीनिवासन के भाई यू राजेश का मैंडोलीन वादन और शिवमनी के ड्रम वादन की युगलबंदी ने दिल के तार-तार झंकृत कर दिए। बता दें कि ये सभी 40 कलाकार शुक्रवार को ही खाड़ी देश से यहां पहुंचे हैं।
2017 में गिरिजा देवी को समर्पित रही थी देवदीपावली
बता दें कि इसी तुलसी घाट पर पिछले साल की देव दीपावली ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी को समर्पित थी तो उससे पहले गोरखा रेजिमेंट को। गत वर्ष घाट पर गिरिजा देवी का विशालकाय आदमकद कटआउट लगाया गया था। वैसे ही उससे पहले यानी 2016 में गोरखा रेजिमेंट को लेकर तरह-तरह की पेंटिंग्स व कटआउट बनाए गए थे।
तुलसी घाट की देव दीपावली
तुलसी घाट की देव दीपावली
तुलसी घाट की देव दीपावली

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