वाराणसी

Devdeepavali 2019: काशी में सुरसरि के तट पर सजा दीपों का चंद्रहार

-Devdeepavali 2019: सदानीरा के 84 घाटों पर एक साथ जगमगाए 11 लाख दीप-ऐसा लगा मानों धरती पर उतर आया हो स्वर्ग-शीतला घाट पर 108 किलो की मां गंगा की दुर्लभ प्रतिमा का किया गया श्रृंगार-तुलसी घाट पर काशी में विश्वनाथ और कश्मीर में शंकराचार्य के हुए दर्शन-गंगा गोमती तट स्थित कैथी में भी दीपों से जगमग हुआ मारकंडेय महादेव मंदिर व घाट-काशी के घाट ही नहीं कुंडों, तालाबों पर भी जगमग हुए दीप

वाराणसीNov 12, 2019 / 08:29 pm

Ajay Chaturvedi

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वाराणसी. Devdeepavali 2019 मन्यता के अनुसार बाबा विश्वनाथ के निमंत्रण पर देवलोक से धरती पर पहुंचे देवताओं की आगवानी में काशी के 84 घाटों पर जब एक साथ 11 लाख से ज्यादा दीपक जगमगाए तो लगा मानों धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। काशी अर्ध चंद्रकार सुरसरि तट पर जगमग इन दीपों को देख ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मां गंगा को चंद्रहार पहना दिया हो। घाटों पर झिलमिलाते दीपों का प्रतिबिंब गंग धार में ऐसा लग रहा था मानों सदानीरा की लहरों अठखेलियां कर रहा हो। ये ही तो है काशी के देवदीपावली का वह अनुपम अलौकिक दृश्य जिसके मोहपाश में बंधे सैलानी सात समुंदर पार से खिंचे चले आते हैं।
सामने घाट से खिड़किया घाट तक दीपों की लड़ियों की लकदक में जगमग गंगा तट की अद्भुत छटा निहारने के लिए मंगलवार को देवलोक से देवता धरती पर उतरे। 8 किलोमीटर लंबे गंगा घाटों पर दीपों और फूलों से उकेरा गया स्वर्ग से भी सुंदर नजारा।
देवदीपावली की अद्भुत छटा निहारने के लिए देश-दुनिया से काशी पहुंचे लोगों का हुजूम दोपहर बाद ही घाटों की ओर बढ़ने लगा था। लाखों लोगों के कदम घाटों की ओर ऐसे बढ़ चले मानो मां गंगा की अनुपम और अनोखी छवि को लंबे समय के लिए लोग नजरों में कैद कर लेने को व्‍याकुल हों।
आस्‍था का रेला ऐसा कि देश विदेश से आने वाले सैलानियों से घाट गलियां और नदी शाम ढलने से पूर्व ही पट चुकी थीं। जैसे जैसे भगवान भाष्‍कर अस्‍ताचलगामी हो रहे हैं वैसे वैसे ही आस्‍था का रेला गंगा धार की ओर दीयों की रोशनी अर्पित करने स्‍वत:स्‍फूर्त भाव से बढ़ चला था। भगवान शिव को स‍मर्पित इस विशिष्‍ट आयोजन में काशी विश्‍वनाथ मंदिर के अलावा मारकंडेय महादेव, तिलभांडेश्‍वर, सारंगनाथ, बीएचयू विश्‍वनाथ मंदिर, दुर्गाकुंड स्थित मंदिर में भी शाम होते ही असंख्‍य दीपों की लडियों ने प्रकाश पर्व के आयोजन को और गति दी गई।
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पंचगंगा घाट पर पंचगंगा घाट पर केंद्रीय देव दीपावली समिति के आयोजन में पूर्व काशिराज परिवार के उत्तराधिकारी कुंवर अनंत नारायण ने हजारा दीप प्रज्ज्वलित किया। यहां के प्रस्तर सोपानों पर सजी दीप मलिकाएं अद्भुत नजारा पेश कर रही थीं। वहीं दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि और गंगोत्री सेवा समिति के आयोजन में इस बार भले ही मां गंगा की महा आरती न हुई हो पर घाटों को दीयों की लड़ी से ऐसा सजाया गया था कि मन प्रफुल्लित हो उठे। उधर तुलसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा और संकट मोचन फाउंडेशन की ओर से हमेशा की तरह अद्भुत दृश्य था। एक साथ काशी के विश्वनाथ और कश्मीर में शंकराचार्य का दुर्लभ दर्शऩ कर लोगों के मुख से अद्वितीय निकल गया। यहां कश्मीर का लाल चौक भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। साथ ही प्रख्यात पखावजी पद्मभूषण येल्ला वेंकटेश्वर राव तथा भरत नाट्यम् का पर्याय मानी जाने वाली भद्रा गायत्री की जोड़ी ने चमत्कृत कर देने वाली दक्षिण भारतीय नृत्य शैली का प्रदर्शन कर दर्शकों को विभोर कर दिया।
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प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर अमर जवान ज्योति की अनुकृति पर संस्था के कोशाध्यक्ष आषीश तिवारी की ओर संस्था की तरफ से रिथ लेईंग की गई। तत्पष्चात अजय द्विवेदी, द्वितीय कमान अधिकारी, 95वीं वाहिनी सीआरपीएफ, ब्रिगेडियर हुकुम सिंह बैंसला एसएम 39 जी.टी.सी., वाराणसी, एसएन प्रधान, आईपीएस डी.जी., एन.डी.आर.एफ. एवं एयर मार्शल राजेश कुमार, एवीएसएस, वीएम एयर आफिसर कमाण्डिग-इन-चीफ, हेड क्वार्टर, सेन्ट्रल एयर कमाण्ड, आईएएफ द्वारा रिथ लेइंग किया गया व 39 जीटीसी के बैंड की धुन के साथ जवानों द्वारा लास्ट पोस्ट व गार्ड ऑफ आनर दिया गया। साथ ही सम्पूर्ण कार्तिक मास प्रज्ज्वलित आकाशदीप का समापन किया गया। शास्त्रीय गायिका डॉ रेवती साकलकर ने भजन-संगीत एवं राष्ट्र गीत की प्रस्तुति दी।
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यही नहीं कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर अमरवीर योद्धाओं एनडीआरएफ के रेस्क्यूअर शहीद राजेन्द्र गौतम, पुलवामा हमले में गाजीपुर के श्याम नारायण यादव (91182721 एचसी) 92 बी.एन. सी.आर.पी.एफ., महेश कुमार कुषवाहा (105022431 सी.टी.) 116 बी.एन. सी.आर.पी.एफ. एवं राईफलमैन हरि बहादुर क्षेत्री, (5854966के.) 4/9 गोरखा राईफ्ल्स को उनके त्याग और राष्ट्र भक्ति के लिए मरणोपरान्त ‘‘भगीरथ शौर्य सम्मान’’ से सम्मानित व उनके परिवारजनों को 51-51 हजार की सहायतार्थ राशि दी गई। गंगा सेवा निधि के प्रधान अर्चक आचार्य रणधीर के नेतृत्व में 07 ब्राह्मणों द्वारा भगवती मां गंगा का वैदिक रीति से पूजन किया व भगवती मां गंगा की दैनिक आरती सम्पन्न हुई।
इसके अलावा अस्सी पर सुबहे बनारस, जैन घाट पर स्यादवाद महाविद्यालय, ललिता घाट पर अन्नपूर्णा मठ मंदिर समेत विभिन्न संगठनों की ओर से विविध आयोजन किए गए। प्रशासन की ओर से राजघाट पर आयोजित समारोह में लेजर शो के जरिए महादेव के तांडव और गंगा अवतरण की प्रतिकृति दिखाई गई। पर्यटन विभाग की ओर से चार सेल्फी प्वाइंट और सोशल मीडिया सेंटर भी बनाए गए थे। इसके अलावा पंजाबी गायक हंसराज हंस और संतूर वादक भजन सोपोरी अपनी प्रस्तुति से लोगों को आनंदित किया। राजघाट पर मुख्य आयोजन में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल मौजूद रहीं।
प्रशासन की ओर से 16 घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। इसमें रविदास घाट पर रामलीला, रीवा घाट पर बिरहा गायन, निषादराज घाट पर घूमर व चरी लोक नृत्य, चेत सिंह घाट पर भजन गायन, महानिर्वाणी घाट पर डांडिया लोक नृत्य, प्राचीन हनुमान घाट पर शहनाई वादन, चौकी घाट पर बांगला लोक नृत्य, राजघाट पर सूफी गायन, पांडेय घाट पर कथक नृत्य, दरभंगा घाट पर लोक गायन, सिंधिया घाट पर पंजाबी लोक नृत्य, रामघाट पर सितार व बांसुरी की युगलबंदी, लाल घाट पर भजन गायन, गाय घाट पर नाट्य मंचन, बद्रीनारायण घाट पर राजस्थानी लोक नृत्य और नंदेश्वर घाट पर लोक नृत्य का आयोजन हुआ।
ऐसा नहीं कि सिर्फ गंगा घाट ही जगमग रहे, बल्कि मारकंडेय महादेव कैथी का गंगा-गोमती तट, वरुणा तट को भी करीने से ऐसा सजाया गया था कि दिल बाग-बाग हो उठे। साथ ही शहर से लेकर गांव तक के सरोवरों, कुंडों व तालाबों की छटा भी देखते बन रही थी। काशी के सभी पौराणिक कुंडों पर लोगों की आस्था दीपक के प्रकाश के रूप में देदिप्यमान हो रही थी। चाहे वह प्राचीन रामकुंड हो, लक्ष्मी कुंड हो, दुर्गा कुंड हो या सूर्य सरोवर, सूर्य कुंड, पुष्कर तालाब या आराजीलाइन ब्लॉक का भैरव तालाब, हर तरफ दीप मालिकाओं की मनोहारी आकर्षक कड़ियों ने दिल को छू लिया। लोगों ने न केवल कैमरों मे इस अनोखे दृश्य को कैद किया बल्कि मनमंदिर में सदा सदा के लिए बसा लिया।

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