प्रधान पुजारी राधेश्याम पांडेय ने बताया कि बीमार भगवान के इलाज के तौर पर जड़ी बूटी दी जाएगी। मेवा मिश्री, तुलसी, लौंग, जायफर के औषधीय काढ़े का भगवान को अर्पित किया जाएगा। भगवान के स्वस्थ्य होते ही भव्य पालकी यात्रा निकलेगी।
पुजारी पांडेय ने बताया कि छोटी, बड़ी इलायची, जायफर, लौंग, तुलसी पत्ता, गंगा जल से काढ़ा बनता है, जो रोज 3.30 बजे भक्तो में बटता हैं। तीनों प्रभु इस दौरान शयनकक्ष में लेटे रहते हैं। घंटा घड़ियाल आरती नहीं होती है। बताया कि, आषाढ़ कृष्ण अमावस्या को प्रभु ठीक होकर भक्तों को दर्शन देंगे। आषाण कृष्ण प्रतिपदा के दिन नए वस्त्रों के साथ प्रभु का श्रृंगार होगा, आरती की जाएगी फिर अनेक मिष्ठान-फलों का भोग लगाया जाएगा।
अगले दिन (तीन जुलाई) आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा को डोली यात्रा से नगर भ्रमण करते हुए रथयात्रा स्थित बेनी राम के बगीचे पहुंचेंगे। यह भगवान की ससुराल मानी जाती है। दोपहर बाद पालकी यात्रा निकलती है, जो रथयात्रा पर खत्म होती है। भगवान स्वस्थ होकर नगर भ्रमण करते हैं। तीन दिवसीय रथयात्रा मेला शुरू हो जाता है। मेला 4 जुलाई से 6 जुलाई तक चलेगा।