scriptशिव की नगरी में धर्म संसदः पहले ही दिन गूंजा विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए मंदिर-मूर्ति तोडने का मसला | Dharma sansad started in Kashi under leadership of Swaroopanand | Patrika News

शिव की नगरी में धर्म संसदः पहले ही दिन गूंजा विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए मंदिर-मूर्ति तोडने का मसला

locationवाराणसीPublished: Nov 25, 2018 02:17:41 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

देश भर से जुटे हैं धर्माचार्य, सीर गोवर्धन में शुरू हुआ है आयोजन जो 27 नवंबर तक चलेगा।

धर्म संसद का उद्घाटन करते शंकराचार्य स्वरूपानंद

धर्म संसद का उद्घाटन करते शंकराचार्य स्वरूपानंद

वाराणसी. इसे राजनीति से न जोड़ने की बात तो कही जा रही है लेकिन यह भी साफ है कि लोकसभा चुनाव निकट देख पूरा उत्तर प्रदेश भक्ति में डूब गया है। राम नगरी अयोध्या में धर्म सभा की जा रही है तो शिव की नगरी में धर्म संसद। धर्म संसद का औपचारिक उद्घाटन वैसे तो शनिवार की शाम को ही हो गया। लेकिन विचार मंथन की प्रक्रिया रविवार को आरंभ हुई। पहले ही दिन इस संसद में काशी में मंदिरों, देव विग्रहों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए तोड़ने का मुद्दा गर्मजोशी से उठा। सीर गोवर्धन पुरी में आयोजित इस धर्म संसद में देश के कोने-कोने से धर्माचार्य पधारे हैं, तो राजनीतिक सख्शियतों की भी कमी नहीं है। इसमें कांग्रेस से जुड़े लोग हैं तो आम आदमी पार्टी के ओहदेदार भी हैं। हिंदू भी हैं और मुस्लिम भी हैं।
ज्योतिष एवं शारदापीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने इस धर्म संसद का उद्घाटन किया। उसके बाद देश के कोने-कोने से आए धर्माचार्यों ने विचार विमर्श शुरू किया। इस संसद में सनातन धर्म पर धर्म प्राण लोगों की सरकार की जम कर मुखालफत हुई। खास तौर पर काशी के वजूद को ले कर चिंता व्यक्त की गई। कहा गया कि ऋषि-मुनियों, संतों द्वारा स्थापित मंदिरों और देव विग्रहों को जिस तरह से ढाहा जा रहा है वह हिंदू धर्म के विपरीत है। इससे देश व दुनिया के सनातन हिंदुओ की भावनाएं आहत हुई हैं। सबसे ऊपर यह कि इससे देश में अनिष्ठ की आशंका बलवती हो रही है।
धर्म संसद 1008 में भाग लेने आए संतों व धर्माचार्यों का मत है कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए जो मूर्तियां- मंदिर तोड़े जा रहे हैं, वह आज के नहीं आदिकाल से देव और ऋषियों द्वारा स्थापित किए गए हैं। हमारे मंदिर पर जिस तरह से प्रहार किया गया है, इसका परिणाम केंद्र सरकार को भुगतना ही पड़ेगा। बता दें कि धर्म संसद के पहले दिन दोपह तक ही दर्जन भर से ज्यादा वक्ताओं विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण का मुद्दा उठाया और अपनी बातं रखीं।
उन्होंने कहा कि ये जो मूर्तियां हैं, उनकी प्राण प्रतिष्ठा होती है, उनको भोग लगता है, उनकी पूजा होती है। धर्माचार्यों ने कहा कि केवल मूर्तियां नहीं तोड़ी गई हैं बल्कि प्रतिष्ठित देवी-देवताओं की हत्या की गई है। प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए।
वैसे चाहे जिनता भी कहा जाए कि यह राजनीति नहीं है, पर खुद शंकराचार्य का मानना है कि धर्म के बिना राजनीति संभव ही नहीं है। ऐसे में इस धर्म संसद में राजनीति चरम पर है। लोग विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर विश्वनथ परिक्षेत्र के मंदिरों और मूर्तियों को क्षति पहुंचाने की दुहाई देकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पर सीधा प्रहार किया जा रहा है। इस धर्म संसद का आगाज ही 2019 की शियासत की कहानी खुद ब खुद बयां कर रहा है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में उनके ही ड्रीम प्रोजेक्ट पर जिस तरह धर्म संसद में चर्चा हो रही है, आने वाले लोकसभा चुनाव 2019 पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।

बता दें कि काशी में आयोजितधर्म संसद की कार्यवाही संसद भवन की आकृति में बने पंडाल में शुरू हुई है। इससे पहले भैंसासुर से रविदास घाट तक गंगा में 144 नावों पर प्रणामी यात्रा निकाली गई। श्री विद्या मठ के समीप शंकराचार्य घाट पर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को धार्मिक सलामी दी गई। उसके बाद शनिवार की शाम शंकराचार्य ने संसद का उद्घाटन किया।
यहां यह भी बता दें कि सीरगोवर्धनपुर में 25 से 27 नवंबर तक धर्म संसद का आयोजन किया गया है। धर्म संसद की कार्यवाही संसद और विधानमंडल की तरह चलनी है। इसमें शामिल होने वाले चारों पीठों के शंकराचार्य के प्रतिनिधि, 543 संसदीय क्षेत्रों के एक-एक प्रतिनिधि, 13 अखाड़ों के संत, 170 विद्वान, 99 धर्म प्रतिनिधि, 108 धर्माचार्य और संस्‍था प्रतिनिधि और राजनीतिक दलों के 36 प्रतिनिधियों में से ज्‍यादातर पहुंच चुके हैं। सभी के बैठने के लिए अलग-अलग व्‍यवस्‍था के साथ दर्शक दीर्घा भी बनाई गई है।
सुबह 09 से सायं 04 बजे तक चलेगी धर्म संसद की कार्यवाही
धर्म संसद की कार्यवाही रोज सुबह 9 से शाम 4 बजे तक चलेगी। अजेंडा जनता और उसके सदस्‍यों की ओर से तय किया जाएगा और उस पर ही चर्चा होगी। इस दौरान संतो-प्रतिनिधियों के व्‍याख्‍यान और सुझाव नोट कर मिनट्स जारी होंगे। इसके बाद शंकराचार्य स्‍वामी स्‍वरूपानंद सहित अन्‍य विद्वानों का उद्बोधन होगा। संसद में विचार होने वाले विषयों और प्रस्‍तावों पर धर्मादेश भी जारी होगा।
धर्म संसद के आयोजक स्‍वामी अविमुक्‍तेश्‍वरानंद ने कहना है, ‘अब तक धर्म संसद के नाम पर मजाक होता रहा है। इस संसद में धर्म से जुड़े मुद्दों पर खुलकर चर्चा होगी। जाति और राजनीति से इसका लेना-देना नहीं है।’
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