बता दें कि पत्रिका ने 17 नवंबर और उसके बाद इस मुद्दे पर कई खबरें प्रसारित कीं। बार-बार यह बताने की कोशिश की गई कि जिले में ऐसे कई केंद्र बने हैं जहां पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। कई स्कूल प्रशासन ने खुद लिख कर दिया था कि वे इतने छात्रों की परीक्षा नहीं करा पाएंगे। आलम यह था कि जहां चार-पांच सौ से ज्यादा छात्रों को एक साथ बिठाने की क्षमता नहीं उन्हें सात-आठ सौ विद्यार्थी आवंटित कर दिए गए थे। इसकी जानकारी भी दी गई थी। 17 नवंबर को ही पूर्व शिक्षक विधायक और कमलाकर चौबे आदर्श इंटर कॉलेज के भूगोल प्रवक्ता डॉ प्रमोद कुमार मिश्र से पत्रिका ने बात की तो उन्होंने कहा कि इस बार मानक की कहीं ज्यादा अनदेखी हुई है जबकि सारी जानकारी विद्यालय प्रशासन से पहले ही ले गई थी। उन्होंने बताया कि कुछ प्रधानाचार्यों व प्रधानाध्यापकों ने बताया कि उन्होंने लिख कर दिया था कि उनके विद्यालय में पांच सौ से ज्यादा छात्रों को समाहित नहीं किया जा सकता, बावजूद इसके उन्हें 1200 के करीब छात्र आवंटित कर दिए गए हैं। दूरी की भी अनदेखी जमकर की गई है। इस बाबत जब जिला विद्यालय निरीक्षक ओपी राय से पत्रिका ने बात की तो उनका कहना था कि स्कूलों-कॉलेजों ने जो सूचना दी धी उसी के आधार पर केंद्र बनाए गए हैं। अब उसमें कोई त्रुटि हुई है तो उसे डीएम की अध्यक्षता वाली जिला परीक्षा समिति की बैठक में दूर किया जाएगा।
ये भी पढ़ें-शिक्षा माफिया के मकड़जाल में फंसा UP BOARD, मानक दरकिनार कर बने ऑानलाइन परीक्षा केंद्र लेकिन वो खामियां दूर नहीं हो सकीं। अब धीरे-धीरे उसका खुलासा होने लगा है। बता दें कि बुधवार को डीआइओएस ओपी राय जब पहुंचे हरिशंकर बालिका इंटर कालेज, मेहंदीगंज तो देख कर दंग रह गए कि वहां टिन शेड में परीक्षा हो रही थी। इस बाबत उन्होंने केंद्राध्यक्ष से स्पष्टीकरण मांग लिया है। केंद्र को डिबार करने का फैसला कर लिया। साथ ही इस विद्याल को केंद्र बनाने की संस्तुति करने वाली टीम को भी तलब कर लिया है। जांच समिति तक को नोटिस जारी करने वाले हैं। लेकिन यह सब अब क्यों ?