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विकलांग छात्रा पंखुड़ी ने दोहराया इतिहास फिर गोल्ड मेडल पर किया कब्जा

locationवाराणसीPublished: Nov 19, 2018 02:47:41 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

बीएचयू की कंप्यूटर साइंस की इस छात्रा ने स्नातक के बाद परास्नातक में भी किया टाप। दो साल बाद फिर बनी गोल्ड मेडल की हकदार। दो साल पहले पीएम के हाथों पाया था गोल्ड मेडल।

पंखुड़ी जैन

पंखुडी जैन

वाराणसी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की विकलांग छात्रा ने धमाल कर दिया है। स्नातक कक्षा में सर्वोच्च अंक हासिल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों दो साल पहले गोल्ड मेडल पाने वाली इस विकलांग छात्रा ने दो साल बाद फिर से परास्नातक में भी सर्वोच्च अंक अर्जित कर गोल्ड मेडल हासिल करने की कीर्तिमान बनाया है। इस बार 22 नवंबर को होने वाले शताब्दी दीक्षांत समारोह में उन्हें फिर से गोल्ड मेडल दिया जाएगा।
ये और कोई नहीं बल्कि कंप्यूटर साइंस की छात्रा पंखुडी जैन हैं। बता दें कि 2016 में जब बीएचयू स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहा था तब पंखुड़ी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच पर आमंत्रित कर पंखुड़ी को गोल्ड मेडल पहनाया था। व्यवसायी पिता की छात्रा पंखुड़ी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेटी बचाओ, बेटी पड़ाओ के नारे से बहुत पहले पंखुडी के पिता राकेश जैन और मां अर्चना जैन ने इसे समझा। जैन दंपति की दो बेटियां और दोनों ही दिव्यांग पर उन्होंने हिम्मत न हारी। दोनों बेटियों का इलाज कराने के साथ ही दोनों को उच्च शिक्षा देने की ठानी। उन्हीं में से एक पंखुड़ी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से 2016 में बीएससी ऑनर्स (गणित) में 9.38 सीजीपीए के साथ बीएचयू मेडल पाने का हक हासिल किया। फिर दो साल बाद उसने वही सब दोहरा दिया है। इस बार उसने कंप्यूटर साइंस विभाग से एमसीए टॉप किया है। इसी के आधार पर गोल्ड मेडल मिलने जा रहा है। खास है कि पंखुड़ी को इस बार भी मंच से ही डिग्री व उपाधि मिलने जा रही है। इसको लेकर पंखुड़ी के साथ ही उसके माता-पिता भी काफी उत्साहित है।
पंखुड़ी को है एचएसएमएन टाइप थ्री डिजीज
पंखुड़ी को है एचएसएमएन टाइप थ्री डिजीज पंखुड़ी बताती हैं कि मुझे एचएसएमएन टाइप थ्री डिजीज है। जन्म से है। मुझे ही नहीं मेरी बहन हर्षिता भी इसी बिमारी से पीड़ित है। ये एक तरह की न्यूरो प्रॉबल्म है। इसमें दोनों पैरों में काफी कमजोरी होती है। घर में तो चल लेती हूं पर बाहर बिना सहारे या बगैर ह्वील चेयर के नहीं चल पाती। पापा-मम्मा ने मुंबई में इस रोग के विशेषज्ञ को दिखाय़ा था, उनकी दवा चल रही है। उनहोंने कहा कि ज्यादा मेहनत करने पर कमजोरी बढ़ जाती है तब बिल्कुल भी नहीं चल पाती। कभी-कभी तो हाथ भी काम नहीं करते।
नासा में नहीं जा पाने का है दुःख
नासा में नहीं जा पाने का दुःख पर अब टीचर बन कर भावी पीढ़ी को वाहं तक पहुंचाएंगे पंखुड़ी कहती हैं चाहती तो थी कि वैज्ञानिक बनूम, देश के लिए कुछ खास करूं। नासा से जुड़ूं पर ऐसा हो नहीं पा रहा इसका दुःख तो जरूर है पर अब शिक्षक बन कर अपने जैसे और अन्य युवाओं को देश सेवा से जोड़ने का प्रयास करूंगी। अगर सफल रही तो मानेंगे कि हमने कुछ किया।
बता दें कि फरनरी 2016 में पत्रिका ने उसके जन्मदिन पर यह सूचना दी थी कि उसे प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा करने का मौका मिलेगा। इतना सुनते ही उसका चेहरा खिल उठा था। पंखुड़ी ही क्यों उनकी मां अर्चना जैन के भी खुशी के ठिकाने नहीं थे। तब उन्होंने पत्रिका संवाददाता से कहा था कि हम पति-पत्नी ने बच्चों को उनकी शारीरिक कमी को कभी एहसास ही नहीं होने दिया। हमेशा उनका हौसला बढ़ाया। इलाज भी कराते रहे और पढ़ाते भी रहे। अर्चना ने पत्रिका को बताया कि इसके पिता इसे आईएएस बनाना चाहते थे, लेकिन पता चला कि फिजिकल एक्टिविटी में इसे दिक्कत होगी। सो यह इरादा छोड़ दिया। बेटी वैज्ञानिक बन कर नासा से जुड़ना चाहत थी पर टीचर्स ने कहा उसमें भी दिक्कत आएगी। ऐसे में अब इन दोंनों का सपना पूरा नहीं हो सका है। लेकिन बेटी कुछ बड़ा काम करेगी इतना तो विश्वास है ही। हमें इन बेटियों पर नाज है।
पेरेंट्स को प्राउड होना बड़ी बात पंखुड़ी कहती हैं कि जो कुछ भी हासिल किया है और जो अब हासिल करूंगी उससे पेरेंट्स को प्राउड है, उससे ज्यादा क्या चाहिए। मम्मा-पापा को मुझ पर गर्व है तो मुझे भी अपने पर गर्व है। पंखुडी ने महामना की बगिया से ही ककहरा पढ़ना शुरू किया। सेंट्रल हिंदू गर्ल्स कॉलेज से हाई स्कूल और इंटर किया। हाईस्कूल में 9.6 सीजीपीए और इंटर में 91.3 फीसदी नंबर थे। अब बीएससी में 9.38 सीजीपीए है। हाईस्कूल से बीएससी तक 90 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल करने वाली पंखुड़ी कहती हैं कि सफलता के लिए घंटों पढ़ना जरूरी नहीं। बस नियमित पढ़ें ध्यानपूर्वक पढ़ें और फोकस्ड स्टडी करें। मैं तो कॉलेज के अलावा रोजाना दो घंटे ही घर पर पढ़ती थी।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय की दिव्यांग छात्रा पंखुड़ी जैन को बेहतर प्रदर्शन करने पर इस बार भी गोल्ड मेडल मिलने जा रहा है। बीएचयू के शताब्दी वर्ष के दौरान 2016 में आयोजित दीक्षांत समारोह में भी पंखुड़ी को गोल्ड मिला था। वहीं भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों। विश्वविद्यालय का 99वां व 100वां दीक्षांत समारोह 22 नवंबर को स्वतंत्रता भवन में होने जा रहा है। वह दिव्यांग होने के बाद भी पढ़ाई में होनहार है। इसकी तारीफ खुद पीएम मोदी ने भी की थी।
मां के साथ पंखुड़ी
 पंखुड़ी
पीएम के हाथों गोल्ड मेडल पाते पंखुड़ी
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