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अक्षय तृतीया पर करें ये काम बरसेगी खुशहाली, धन धान्य से भरा रहेगा घर

locationवाराणसीPublished: Apr 16, 2018 02:37:54 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

Akshaya Tritiya 2018 : 18 अप्रैल भोर में 3.45 बजे लग जाएगी तृतीया, आधी रात के बाद एक बजे तक रहेगा मान।

अक्ष्य तृतीया प्रतीकात्मक चित्र

अक्ष्य तृतीया प्रतीकात्मक चित्र

वाराणसी. अक्षय तृतीय के बाबत पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन त्रेता युग का प्रारंभ हुआ था। इसी दिन श्री हरि विष्णु के अवतार भगवान परशुराम का अवतरण भी हुआ। यहां तक कि भगवान कुबेर को धन का खजान भी इसी रोज मिला था। ऐसे में धन-धान्य, सुख-समृद्धि, सौभाग्य हासिल करने के लिए इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधान करने की मान्यता है। अक्षय का शाब्दिक अर्थ निकालें तो यही पाएंगे कि जो कभी क्षय न हो यानी जो सर्वदा अक्षुण्ण रहे। यानी इस दिन किए शुभ कार्य हमेशा के लिए अक्षय हो जाते हैं, मतलब वह कभी नष्ट नहीं होता। इसीलिए इस दिन विशेष को दान-पुण्य, पूजन-अर्चन का विशेष महात्म्य है, ऐसा कुछ करने से मनवांक्षित फल की प्राप्ति होती है, दुःखों का नाश होता है।
ज्योतिषाचार्य व कर्मकांडी पंडित बृज भूषण दुबे ने बताया कि तृतीया तिथि 17 अप्रैल मंगलवार की अर्द्ध रात्रि के बाद 3.45 बजे लगेगी, जो 18 अप्रैल बुधवार की अर्द्धरात्रि 1.30 बजे तक रहेगी। इसलिए पुण्‍य काल में 18 अप्रैल को शुभ दिन अक्षय तृतीया मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्‍णु के नाम का व्रत रखकर स्‍नान-दान, जप-तप, पितृ तर्पण, हवनादि किया जाएगा।
वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया के नाम से जानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और श्री कृष्ण के पंचोंपचार व षोडषोपचार पूजन करने का विधान है। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति अक्षय तृतीया का व्रत करता है या फिर नियमानुसार इस दिन पूजा-पाठ व दान करता है, उसके सारे पुण्य अक्षय हो जाते हैं। पंडित दुबे ने बताया कि इस दिन किसी भी शुभ कार्य को शुरू किया जा सकता है, क्योंकि अक्षय तृतीया ही एक ऐसा दिन होता है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य के किए जाने के लिए किसी भी तरह का मुहूर्त या समय काल देखने की जरूरत नहीं। यही वजह है कि अधिकांश लोग अक्षय तृतीया के दिन अपने गृह प्रवेश, विवाह तिलक, यज्ञोपवीत, मुंडन संस्कार या फिर अपने किसी प्रतिष्ठान का शुभारंभ करते हैं।
पंडित दुबे के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का भी जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को परशुराम जयंती के रुप में भी मनाया जाता है। अक्षय तृतीया का पर्व दान व पूजा पाठ के लिए होता है। इस दिन ब्राह्मण को नवीन वस्त्र, पंखा, छाता, अनाज, सत्तू फल इत्यादि दक्षिणा के साथ देने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है। कहा तो यह भी जाता है कि अक्षय तृतीया का पर्व शुभ का प्रतीक माना जाता है। इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत करना उत्तम तो होता ही है। इस दिन सोना-चांदी की खरीददारी उत्तम मानी जाती है, क्योंकि यह दिन श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी का दिन माना जाता है। यदि अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण, रजत या फिर कोई अन्य धातु का सामान जैसे पीतल, फूल के बर्तन आदि की खरीददारी भी की जाए, तो घर में समृद्धि बनी रहती है।
राशिवार अक्षय तृतीया पर ऐसे करें दान और खरीदारी
मेष- ब्राह्मण को जौं एवं सत्तू एवं अनाज का दान करें वह स्वर्ण की खरीदारी करें।
वृषभ- ब्राह्मण को ऋतु फल जैसे तरबूज, खरबूजा ककड़ी का दान करें और स्वर्ण या रजत की खरीदारी करें।
मिथुन- ब्राह्मण को खीरा, ककड़ी सत्तू का दान करें और चांदी का कोई भी सामान खरीदें।
कर्क- ब्राह्मणों को नवीन वस्त्र और ऋतु फल का दान करें और चांदी या फूल के बर्तन खरीदें।
सिंह- सूर्योदय के वक्त किसी नदी या सरोवर में स्नान करके गरीबों को भोजन कराएं और स्वर्ण आभूषण खरीदें।
कन्या- किसी पंडित को खीरा, तरबूज या ककड़ी का दान करे और स्वर्ण की खरीददारी करें।
तुला- सफेद खाद्य पदार्थ जैसे गेहूं आटा या दूध का दान करें और रजत वस्तु खरीद कर घर लाएं।
वृश्चिक- किसी गरीब या फिर ब्राह्मणों को जल से भरा हुआ घड़ा, पंखा और मिष्ठान दान में दें और ताम्र बर्तन की खरीदारी करें।
धनु- बेसन से बने पदार्थ सत्तू या ऋतु फल का दान करना लाभकारी होगा और स्वर्ण की खरीदारी करें।
मकर- जल से भरा घड़ा, दूध और मिठाई का दान करें और फर्नीचर या फिर कोई इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीदारी फायदेमंद होगी।
कुंभ- ऋतु फल सत्तू या फिर चने का दान करें स्वर्ण की खरीददारी करना हितकर होगा।
मीन- बेसन से बने पदार्थ या पीले रंग की मिठाई के अलावा हल्दी का दान कर स्वर्ण की खरीददारी जीवन में सौभाग्य लाएगी।
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