आयुर्वेद विभाग के द्रव्य गुण विभाग के अध्यक्ष प्रो अनिल कुमार सिंह ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि बरगद, गूलर, पाकड़, पीपल और खास तौर पर दक्षिण भारत में मिलने वाले Parish पीपल को मिला कर काढ़ा तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि इन सभी वृक्षों की खाल को निकाल कर उसका पाउडर बनाया जाता है। फिर रात में उसे 750 मिलीलीटर पानी में डाल कर उबालते हैं। इन पांचों वृक्षों के मिश्रण से तैयार काढा को नियमित तौर पर सुबह और शाम को एक-एक कप मधुमेह के रोगियों को दिया जाता है। प्रो सिंह ने कहा कि इसका बहुत ही बेहतर रिस्पांस मिल रहा है। प्रो सिंह ने इस काढ़े का नाम पंचकल्प्व दिया है।
प्रो. सिंह ने बताया कि दक्षिण भारत में मिलने वाले BHU के आयुर्वेद विभाग ने खोज निकाला मधुमेह से निजात का उपाय, अन्य रोगों पर भी है कारगर Parish पीपल तो बहु उद्देशीय गुणों वाला वृक्ष निकला है। इसके माल्यूक्यूल्स बहुत ही गुणकारी हैं। यह ब्लड प्रेशर में भी कारगर है। साथ ही मधुमेह के कंप्लीकेशन को दूर करने में सहायक है। अक्सर मधुमेह के रोगियों को पैरों में तेज दर्द, ऐंठन, जलन, झनझनाहट आदि होती है, यह शिकायत भी इस पेरिश पीपल से दूर हो रही है। यह रक्त प्रवाह को रोकने में भी कारगर है।
प्रो. अनिल कुमार सिंह के निर्देशन में तैयार पंचकल्प्य काढ़े का 100 से अधिक मरीजों पर परीक्षण किया जा चुका है। मधुमेह के रोगियों पर इसका मात्र 10 दिन में ही असर दिखने लगता है। पांचों वृक्षों की खाल से बने चूर्ण के रस (काढ़ा) के सेवन से मुधमेह नियंत्रित होता है। इसमें से सभी पेड़ तो आसानी से हर जगह मिल जाते हैं, लेकिन पेरिस पीपल दक्षिण भारत में ही मिलता है। अब इसे हर्बल व बॉटनिकल गार्डेन में लगा दिया गया है। इसकी काफी देखभाल की जा रही है ताकि यहां पर इसका और विस्तार किया जा सके।