बता दें कि प्रधानमंत्री का मुस्लिम महिलाओं के साथ संवाद का कार्यक्रम डीरेका ऑडिटोरियम में तय किया गया था। इस संवाद कार्यक्रम में 700 मुस्लिम महिलाओं को आना प्रस्तावित था। संवाद के दौरान मदरसों के 10 छात्रों को पीएम के हाथों सम्मानित भी किया जाना प्रस्तावित था। इस सिलसिले में जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने 16 सितंबर को एक पत्र मदरसों को जारी किया। लेकिन मदरसों में उस पत्र के पहुंचते ही विरोध शुरू हो गया। मामले को तूल पकड़ता देख अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने 17 सितंबर को रविवार अवकाश के दिन दूसरा आदेश जारी कर दिया। इस पत्र में पीएम के संवाद कार्यक्रम की तैयारी के लिए 18 सितंबर को आयोजित बैठक अपरिहार्य कारणों से स्थगित करने की बात कही गई है।
इस मसले पर मदारिसे अरबिया टीचर्स एसोसिएशन के महामंत्री हाजी दीवान साहेब जमां का कहना है कि एक तरफ योगी सरकार स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों की वीडियोग्राफी कराकर हमारी देशभक्ति पर सवाल उठाती है। अब रह क्या गया है, अच्छे दिन का वादा करने वाली सरकार ने मदरसों के लिए बुरे दिन ला दिए हैं। ऐसे में 22 सितंबर को बनारस में होने वाले पीएम मोदी के कार्यक्रम में मुस्लिम महिलाओं को जुटाने के आदेश के जरिए दबाव बनाया जा रहा है। यूपी मदरसा टीचर्स एसोसिएशन के जिला महामंत्री नबी जान ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के आदेश को गैर कानूनी करार दिया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का हम स्वागत और सम्मान करते हैं। उनके कार्यक्रम में जो मुस्लिम महिलाएं जाना चाहेंगी उन्हें कोई नहीं रोकेगा। लेकिन प्रबंधक व प्रधानाचार्यो पर मुस्लिम महिलाओं को जुटाने का दबाव बनाना सही नहीं।