scriptकाशी की परंपरा, संस्कृति के वाहकों का फैसला प्रशासनिक दुर्व्यवस्था की शिकार बेटियों की याद में नहीं मनाएंगे होली | Farmer Union will not Celebrate Holi for girls students death | Patrika News

काशी की परंपरा, संस्कृति के वाहकों का फैसला प्रशासनिक दुर्व्यवस्था की शिकार बेटियों की याद में नहीं मनाएंगे होली

locationवाराणसीPublished: Mar 01, 2018 05:42:54 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

काशी कितनी भी बदल जाए पर काशीवासी अपनी परंपरा से नहीं भटक सकते। नहीं मार सकते अपनी भावनाओं को।

निधि

निधि

वाराणसी. काशी और काशीवासियों की दाद दुनिया भर में यू नहीं दी जाती। काशीवासी गर किसी की खुशी में झूम के शामिल होते हैं तो उन्हें दूसरे के गम में खुद गमज़दा होना भी आता है। यह वो काशी है जहां शव को कांधा लगाना पुण्य माना जाता है। इक होड़ सी लगती है कि कौन कितने शवों को कांधा देकर श्मशान तक गया। काशी कितनी भी बदल जाए, पर वह परंपरा अब भी जीवित है। उस परंपरा के वाहकों की कमी नहीं है। ऐसा ही एक संगठन है पूर्वांचल किसान यूनियन। इस यूनियन ने तय किया है कि इस बार वे होली नहीं मनाएंगे। कारण इसी काशी की प्रशासनिक दुर्व्यवस्था की शिकार हो कर एक नहीं दो छात्राओं की जान चली गई। एक ने खुदकुशी कर ली कि उस तो दूसरे की जान चली गई। एक और चौथी कक्षा की छात्रा के साथ छेड़खानी का प्रयास किया गया। ऐसी दुःख की घड़ी में किसान यूनियन ने यह संजीदगी दिखाते हुए काशी की परंपरा को जीवंत किया है।
मालूम हो कि हाल के दिन काशी के लिए काफी दुःखद रहे। एक सातवीं की छात्रा ने इसलिए खुदकुशी कर ली कि उससे बड़ी कक्षा का एक छात्र रोजाना उसे छेड़ता रहा। विरोध करने पर उसके साथ मारपीट की। यह उसे इतना नागवार गुजरा कि उसने जान ही दे दी। इस छात्रा की चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि एक चौथी की छात्रा के साथ उसी स्कूल के बड़ी क्लास के एक छात्र ने छेडछाड़ का प्रयास किया। तीसरी घटना इससे अलग है पर है हृदय विदरक। इसी भाजपा सरकार ने घोषणा की थी वो शहर के बाहर नंद गांव बसाएंगे। शहर के छुट्टा पशुओं को वहां रखा जाएगा। वैसे भी यह काम नगर निगम का है। नगर निगम के पास इन छुट्टा पशुओं को रखने के लिए कांजी हाउस हैं। लेकिन नगर निगम इन छुट्टा पशुओं को पकड़ने की जहमत या तो उठाता नहीं, उठाता भी है तो केवल ऐसे दुधारु जानवरों को पकड़ता है जिससे मोटी वसूली हो सके। ऐसे में एक दिन एक सांढ़ ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की मेधावी छात्रा निधि की जान ले ली।
ऐेसे में पूर्वांचल किसान यूनियन ने फैसला किया कि श्रेया और निधि समेत कई बालिकाओं की असामयिक मौत से वे खुद को आहत महसूस करते हैं। लिहाजा रंगों का पर्व होली नहीं मनाएंगे। यूनियन के मुख्य उपाध्यक्ष राजकुमार गुप्ता ने पत्रिका को बताया कि इस मसले पर होली बाद बैठक करके पीड़ित परिवारों से मिलकर उनका दुख दर्द भी बांटा जाएगा साथ ही दोषियों को दंडित करवाने की भी मांग रखी जाएगी। पूर्वांचल किसान यूनियन के अध्यक्ष योगीराज सिंह पटेल, बबलू पटेल, मनोज पटेल, विवेक पटेल, आबिद शेख, शैलेश वर्मा आदि राजकुमार के इस प्रस्ताव का समर्थन किया। गुप्ता ने बताया कि कि छेड़खानी से त्रस्त होकर छात्रा ने जहर खाकर अपनी इह लीला समाप्त कर ली। वह जिस विद्यालय में पढ़ती थी वह विद्यालय विगत एक सप्ताह से बंद चल रहा है। इससे अन्य बच्चों का भविष्य अधर में लटका है। ऐसे में हमारी मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच करवा कर दोषी को दंडित करवाया जाए। लेकिन विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना किया जाए। इनका पठन पाठन जारी रखवाया जाए।
उन्होंने बताया कि छुट्टा पशुओं को शहर और गांव-देहात से छुटकारा दिलवाने के लिए पूर्वांचल किसान यूनियन विगत 6 माह पहले धरना प्रदर्शन ज्ञापन के अलावा प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री को मेल करके अवगत कराया गया था लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ जिससे निधि को अपनी जान की कीमत चुकानी पड़ी। इसके अलावा किसानों की फसलें चौपट हो रही हैं कई लोग छुट्टा बछड़ों के कारण दुर्घटना ग्रसित हो रहे हैं और बंदरों के आतंक से भी लोग त्रस्त है विगत दिनों पूर्व बंदर के भय से छात्रा छात्र से गिरकर अपनी जान गवाई इस तरह की घटनाओं से हम आहत हैं इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो शासन-प्रशासन चेते अन्यथा बड़े पैमाने पर आमजन सड़क पर उतरकर आंदोलन के लिए बाध्य होगा
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो