script#kargilvijaydiwas जुबार हिल पर जब काशी के लाल ने फहराया था तिरंगा | flag was hoisted jubar hill kashi son's in kargil war | Patrika News

#kargilvijaydiwas जुबार हिल पर जब काशी के लाल ने फहराया था तिरंगा

locationवाराणसीPublished: Jul 26, 2016 05:54:00 pm

Submitted by:

Vikas Verma

कारगिल दिवस पर नायक आलिम अली ने सांझा किया अनुभव, सरकारों की अनदेखी से है मन में पीड़ा

kargil war hero aalim

kargil war hero aalim

वाराणसी. जुलाई 99 का महीना, 21 हजार फीट की ऊंचाई पर भी हमारी टुकड़ी के जवान पसीने से लथपथ थे लेकिन हौसले सभी के बुलंद थे। मुझे भी पाकिस्तानी सैनिकों की गोलियां लगी थी। खून बह रहा था, सांस टूट रही थी लेकिन मुझे सिर्फ अपना वतन और जुबार हिल की वह चोटी दिख रही थी जंहा तिरंगा फहराना था। शाम चार बजे तक हमारे कई जवान शहीद हो चुके थे। आठ गोलियां खाने के बाद भी जय भवानी सर्वदा शक्तिशाली का नारा देते हम साथियों संग जुबार हिल की चोटी पर पहुँच गए। तिरंगा फहराने के साथ ही हम दुश्मन से हिल पर फतह हासिल कर चुके थे।
दुश्मन की गोलियां शरीर पर झेलने वाला और कोई नहीं अपने बनारस के चौबेपुर गाँव निवासी आलिम अली था। 22 ग्रेनेडियर बटालियन के नायक आलिम अली ने कारगिल युद्ध में जुबार हिल पर दुश्मनों से लोहा लिया था। कारगिल विजय दिवस पर आलिम अली युद्ध के मंजर को याद करके कभी रोमांच से भर उठते तो कभी साथियों की शहादत पर गमगीन हो जाते। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान आलिम अली को सेना ने अपनी टुकड़ी के साथ कारगिल फतह करने के लिए भेजा था।
तीन जुलाई को जैसे ही जुबार हिल पर चढाई का आदेश मिला, आलिम 40 जवानों के साथ दुश्मनों से मोर्चा लेने निकल पड़े। ऊंचाई पर बैठा दुश्मन जवानों को निशाना बना रहा था। किसी तरह आलिम अपने साथियों के साथ दुश्मनों की निगाह से बचते हुए पाकिस्तानी सेना के बंकर तक पहुँच गए। 
आलिम बताते हैं कि जब वह जुबार हिल की चोटी पर पहुंचे तो पाकिस्तानी सेना का कोई जवान नहीं था। हम विजय के नारे लगाने लगे जो हमारी सबसे बड़ी गलती थी। बंकर में छिपकर बैठे दुश्मनों ने तोप से आग उगलनी शुरू कर दी। हमने समझदारी दिखाई और पाकिस्तानी नारे लगाये। अब दुश्मन धोखा खा गया। तोप ने आग उगलना बंद कर दिया। आलिम और जवानों ने पल भर की देरी किये बिना बंकर में घुसकर पाकिस्तानियों को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया।
तीन बंकर नष्ट करने के बाद चौथे बंकर पर हमले के दौरान गाजीपुर के जुबैर समेत कई जवान शहीद हो चुके थे। आलिम और उनके बचे हुए साथियों ने हिम्मत नहीं हारी और दुश्मन से लोहा लेते रहे। अंत में पाकिस्तानी सेना पीछे हटी और भारतीय सेना ने जुबार हिल की चोटी पर तिरंगा फहराया।
शरीर में 15 गोलियां धंसने और 15 जवानों को खोने के बाद भी आलिम अली और बचे जवानों ने जुबार हिल की चोटी पर जब तिरंगा फहराया तो पूरा देश झूम उठा था। आलिम की आँखे नम हो जाती है यह बताते हुए कि जब उनकी आँखों के सामने ही उनके कई साथी शहीद हो गए। साथियों के प्राण निकलते देख रूह कांप जाती थी।
बेटियां सुनाती हैं किस्से, भाई कर रहे देश सेवा
कारगिल युद्ध में गोली लगने से आंशिक रूप से पैर ख़राब होने के कारण अब आलिम गाँव लौट आये हैं। बास्केटबॉल और फ़ुटबाल प्रेमी आलिम की बेटियां बिलकिस, शाहीन और रानी अपने स्कूल में कारगिल युद्ध के वह किस्से सुनाती हैं जो उन्होंने अपने पिता से सुन रखी है। आलिम के बहादुरी और गाँव से लेकर सेना में उनके रुतबे को देखकर उनके भाइयों में भी देशसेवा का जज्बा जागा और आलिम का एक भाई आज सीआरपीएफ में तो दूसरा पुलिस विभाग में है। 
सरकार ने दिया कोरा आश्वासन
कारगिल युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले आलिम सरकारों के आश्वाशन की पोटली से दुखी हैं। कहते हैं कि सरकार ने पेट्रोल पम्प, गैस एजेंसी देने का वादा किया था। 17 बरस बीत गए पर कुछ नहीं हुआ। इस बात का गर्व है कि देश के लिए अपना सर्वत्र न्योछावर कर दिया लेकिन सरकार ने उसका मान भी नहीं रखा।
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