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बाढ का कहरः शहर से ज्यादा बेहाल हैं गांव के लोग, सब कुछ हो गया खत्म

locationवाराणसीPublished: Sep 20, 2019 12:37:50 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-बाढ का कहरःउफान पर गंगा गोमती संगम, रिहायशी इलाकों और कई गांवों में घुसा बाढ़ का पानी-गांवों से हो रहा जोरो में पलायन, सुरक्षित जगह की तलाश में ग्रामीण-इंसान तो इंसान, पशुओं की हालत खराब-घरों में खाने को नहीं, सरकारी इंतजाम नाकाफी-बाढ के बाद की विभीषिका की चिंता अलग सता रही-सामाजिक कार्यकर्ताओं के दल ने बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया

बाढ का कहर

बाढ का कहर

वाराणसी. गंगा और सहायक नदियों में आई बाढ की विभीषिका ने लोगों को बेहाल कर रखा है। जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित है। लेकिन बाढ से शहर से ज्यादा गांव वाले परेशान हैं। शहरियों के लिए बाढ तफरी का मंजर है पर वो जिनका सब कुछ तबाह हो गया है। उनका क्या? दाने-दाने को मोहताज है ऐसे लोग। जो अपना जीवन तो बचा लिए है पर अब कल की चिंता सता रही है। आलम है कि गांवों की घनी बस्तियां तबाह हो चुकी हैं। वहां कोई पूछनहार भी नहीं। प्रशासन ने विस्थापन के लिए नावें लगा दी हैं किनारे पर। लेकिन इसके सिवाय और कुछ भी नहीं दिख रहा। ऐसे में इन गांव वालों की चिंता जायज है।
बाढ का कहर
IMAGE CREDIT: पत्रिका
बाढ के चलते वाराणसी-गाजीपुर सीमा पर स्थिति कैथी गांव जो आदि देव मारकंडेय महादेव की स्थली भी है वहां गंगा, गोमती, खतरे के निशान को पार कर गई है। बाढ़ के कारण रिहायशी इलाकों और कई गांवों में पानी घुस गया है। इस वजह से सैकड़ों घर डूब क्षेत्र में आ गए हैं।
बाढ का कहर
गाजीपुर, वाराणसी में गंगा उफान पर निचले इलाके पानी में डूबे हजारों की संख्या में लोगों का पलायन

गंगा गोमती संगम के पास के वाराणसी और गाजीपुर जिलों के लगभग एक दर्जन गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। इस इलाके की करीब 15 हजार की तटीय आबादी बाढ़ से त्रस्त है। वाराणसी के विभिन्न सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इलाके में जाकर सर्वेक्षण किया और वस्तुस्थिति जानी। कैथी की निषाद बस्ती, तीयर बस्ती, राजजवारी की अनुसूचित बस्ती में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। पिपरी, लक्ष्मीसेनपुर और टेकुरी का सम्पर्क पूरी तरह समाप्त हो गया है। कुर्सिया में भी स्थिति गम्भीर है। वहीं गाजीपुर जिले के गौरहट, तेतारपुर, कुसही, खरौना आदि गांवो में चारो तरफ से पानी प्रवेश कर चुका है।
बाढ का कहर
मवेशियों को नहीं खाने को चारा

इन गावों में प्रशासन द्वारा नाव की व्यवस्था की गई है, जो लोगों को आस पास के बाजारों तक आने- जाने के लिए सुलभ हो रही है। लेकिन अभी दुश्वारियां बहुत हैं। सबसे अधिक दिक्कत पशुओं के चारे की हो रही है, हरे चारे की फसल पूरी तरह डूब गई है। गांव में भूंसे की व्यापक कमी हो गई है। संक्रामक बीमारियों के भी फैलने का खतरा मंडराने लगा है। बाढ के कारण जहरीले सांप, विच्छू जैसे जहरीले जंतुओं ने भी रहायशी इलाके में शरण ले ली है जिससे लोगो और पालतू जानवरों के समक्ष जान का खतरा मंडराने लगा है।
स्वास्थ्य सेवा की जरूरत

सर्वेक्षण दल ने पाया कि गंगा गोमती इलाके के गांवों में तत्काल स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने की जरूरत है। पशुओं के चारे और अधिक प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी शेल्टर हाउस की जरूरत है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं के दल में विनय कुमार सिंह, राजकुमार गुप्ता, वल्लभाचार्य पांडेय, प्रदीप सिंह, उमाशंकर आदि शामिल रहे।

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