राज्य के राहत आयुक्त संजय गोयल के मुताबिक अंबेडकर नगर, आयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, मऊ, संत कबीर नगर, सिद्घार्थनगर, महाराजगंज व सीतापुर बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। सिंचाई विभाग की रिपोर्ट बताती है कि शारदा, राप्ती और घाघरा नदियां कई जगह खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं। राहत आयवुक्त के मुताबिक पलियांकला (लखीमपुर खीरी) में शारदा, बर्डघाट (गोरखपुर) में राप्ती, एल्गिनब्रिज (बाराबंकी), अयोध्या और तुर्तीपार (बलिया) में सरयू-घाघरा नदी खतरे के निशान से उपर बह रही हैं।
बात करें प्रयागराज की तो फिलहाल यहां उफनाई गंगा के जलस्तर में कमी आने से कछार इलाके में बाढ़ से घिरे सैकड़ों इलाकों और तटवर्तियों ने राहत की सांसद ली है, लेकिन उपर से पानी छोड़े जाने की सूचना से बाढ़ का खतरा टला नहीं है। जानकारी के मुताबिक हरिद्वार, नरोरा और कानपुर के बांधों से गंगा में 2 लाख 80 हजार क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने से दोबारा बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। उधर उफनाई गंगा से मिर्जापुर में भी तटवर्ती डरे हुए हैं तो वाराणसी में गंगा घाटों का सम्पर्क एक दूसरे से कट चुका है। यही हाल गाजीपुर का भी है। बलिया में गंगा डेंजर लेवल से 50 सेमी से अधिक ऊपर पहुंचकर स्थिर है, यहां बैरिया ब्लाॅक के नौरंगा और चक्की नौरंगा गांव को जोड़ने वाला छोटा पुल कटान के चलते गंगा में समा गया, जिसके चलते इलाके का आवागमन ठप है। बलिया में बैरिया, बांसडीह, बेल्थरा रोड और सिकन्दरपुर गंगा की बाढ़ के प्रभावित क्षेत्र हैं। इसके अलावा बलिया शहर में भी बाढ़ का प्रभाव है।
आजमगढ़ में बाढ़ राहत में लापरवाही उजागर हुई है। यहां प्रभावितों को बांटने के लिये आयी राहत समाग्री के आलू-प्याज आदि के पैकेट न बांटे जाने के चलते रखे-रखे सड़ गए और उन्हें जिम्मेदारों ने घाघरा नदी में फेंकवा दिया। कई कुंतल आलू और प्याज बेलहिया ढाले के पास बंधे के किनारे लगकर सड़ रहे हैं। लोगों ने शिकायत की, लेकिन उसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
उधर गोरखपुर में राप्ती नदी में एक तटबंध से पानी का रिसाव हो रहा है तो मऊ में भी एक तटबंध पर कटान हुआ हैं बाढ़ राहत आयुक्त के मुताबिक दोनों जगह मरम्मत का काम तेजी से चल रहा है और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। मऊ में बाढ़ से 5000 परविार प्रभावति बताए जा रहे हैं, जबक 2 परविारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की बात कही गयी है। हालांकि राहत आयुक्त संजय गोयल के मुताबिक सूबे के अन्य पुलों और तटबंधों को कोई खतरा नहीं है। राहत और बचाव कार्यों के लिये एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की 16 टीमें लगाई गई हैं। 219 आश्रय स्थल बनाए गए हैं और राहत व बचाव के लिये 983 नावें लगाई गई हैं। 712 बाढ़ चौकियां एक्टिव हैं। इसके अलावा 249 मेडिकल टीमें भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात की गई हैं। प्रभावितों को राशन किट और भोजन के पैकेट भी बांटे जा रहे हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राहत कार्यों में नावों के इस्तेमाल के अलावा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रोगों से बाव के लिये दवाओं की पर्याप्त मात् में उपलब्धता सुनिश्चित कराने को कहा है।