बतादें कि सपा के लिए इस तरीके से बड़े नेताओं का पार्टी छोड़कर जाना किसी मुश्किल से कम नहीं है। इसके पहले ही सपा का प्रवक्ता रहीं पंखुड़ी पाठक ने भी इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद रीबू श्रीवास्तव का छोड़ना सपा के लिए अच्छे संकेत नहीं है।
बतादें कि रीबू श्रीवास्तव बनारस में सपा की बड़ी नेता मानी जाती हैं। साथ ही शिवपाल के करीबीयों में गिनी जाती हैं। 2017 के चुनाव में भी जब शिवपाल सपा के प्रदेश अध्यक्ष थे तो कैंट विधानसभा सीट से शिवपाल ने रीबू को उम्मीदवार बना दिया था। लेकिन चार दिन के बाद ही रीबू श्रीवास्तव को पार्टी के दबाव में पर्चा वापस लेना पड़ गया था। तब से ही इस नेता के भीतर अखिलेश यादव को लेकर विरोधाभास के सुर मुखर हो रहे थे। आखिरकार सपा के लिए लगातार मुश्किल बन रहे शिवपाल यादव ने रीबू श्रीवास्तव श्रीवास्तव को आफर किया तो इन्होने सपा छोड़ सेक्युलर मोर्चा का दामन थाम ही लिया।
रीबू श्रीवास्तव के जाने से सपा को होगा बड़ा नुकसान रीबू श्रीवास्तव की बात करें तो बनारस में वो सपा की बड़ी नेता मानीं जाती हैं। खासकर कायस्थ वोटरों में उनकी खासी पहचान है। ये रीबू श्रीवास्तव श्रीवास्तव का कद ही था की अखिलेश सरकार में उन्होने दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री भी बनाया गया था। मीडिया में भी वो लगातार सपा को बचाव करती देखी जाती थी। लेकिन अब वो सेक्युलर मोर्चे के साथ आ गई हैं। ऐसे में उनके साथ ही उनके बड़ी तादात में समर्थक सपा से दूरी बना सकते हैं।