उन्होंने कहा कि इसी कौरागहनी गांव में मैं पैदा हुआ हूं। मेरे मन में आया कि यहां के गरीब तबके के लोगों को एक बेहतर मेडिकल सुविधा दी जाए। जिससे कि लोगों के लिए दूर न जाना पड़े। मेरी कोशिश रहेगी कि इस अस्पताल में अमेरिका से भी डॉक्टर आएं। यह अस्पताल ऐसी सुविधाओं से लैसा होगा कि जैसे प्रदेश में नहीं होगी।
उनके भाई डॉक्टर शाह इस्लाम ने कहा की यहां हर सुविधा दी जाएगी। गरीबों के लिए विशेष सुविधा रहेगी। लोगों के सवाल पर फ्रैंक इस्लाम ने कहा कि यह अस्पताल मेरी कमाई का साधन नहीं है। यह गांव व क्षेत्र के लिए बनाया हूं। अस्पताल का उद्घाटन करने के बाद फ्रैंक इस्लाम ने गांव के मदरसे में गए, जहां पर उन्होंने 1953 में शिक्षा ली थी। मदरसे के मौलवी ने उनके दाखिले रजिस्टर को दिखाया। 1955 में उस मदरसे में शिक्षा ग्रहण करके निकल गए थे।
मदरसे में फ्रैंक इस्लाम ने कहा कि यहां आने के बाद मेरा बचपन याद आया है। मैं कहीं भी रहता हूं यहां की मिट्टी मुझे महकती है। अमेरिका में लोग यहां के बारे में पूछते हैं। मैं मीडिया का धन्यवाद देता हूं कि इनके माध्यम से मेरी आवाज आप तक पहुंचती है। मदरसे का खस्ताहाल देख कर उन्होंने तत्काल पंखा, लाइट आदि की व्यवस्था कराने को कहा। सांसद नीलम सोनकर के प्रतिनिधि राजेंद्र प्रसाद सोनकर ने कहा कि मदरसे के लिए मैं फ्रैंक इस्लाम के नाम से सांसद के माध्यम से भारत सरकार से मांग करूंगा कि इस मदरसे को धन मुहैया कराया जाए।
मदरसे के बाद फ्रैंक इस्लाम ने गांव में ही अपने माता कमरुल निशा के नाम से एक विद्यालय का उद्घाटन किया। कहा कि यह विद्यालय गांव क्षेत्र के गरीब असहाय बच्चों के लिए है। इसमें बच्चों को अनेक सुविधा दी जाएगी। इस अवसर पर भाजपा नेता शफात अहमद, मोहम्मद डॉक्टर शादीक, अब्दुल्लाह, डॉक्टर से सलाह डॉक्टर मुझे मुसुरूल इस्लाम, डॉक्टर साहिन इस्लाम, फ्रैंक इस्लाम के प्रतिनिधि तौकीर शेरवानी आदि उपस्थित थे।