scriptएनकाउंटर और यौन हिंसा के विरोध में बनारस में गांधीवादियों ने उपवास रख जताया विरोध | Gandhians protest against Encounter and Sexual Violence | Patrika News

एनकाउंटर और यौन हिंसा के विरोध में बनारस में गांधीवादियों ने उपवास रख जताया विरोध

locationवाराणसीPublished: Dec 08, 2019 02:52:17 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

– दिया नारा- कितनी निर्भया? कब तक हिंसा अभियान?- हैदराबाद एनकाउंटर को ठहराया गलत- यूपी में महिला यौन हिंसा पर योगी सरकार के खिलाफ बोला हमला

गांधीवादियों का उपवास

गांधीवादियों का उपवास

वाराणसी. यूपी हो या हैदराबाद या हो बिहार कहीं भी बेटियां, महिलाएं सुरक्षित नहीं। ये आक्रोश ये हिंसा, ये बलात्कार और अब हिंसा का जवाब हिंसा से। ये आखिर कब तक चलेगा। क्या ये है गांधी का देश। क्या ये है गांधी की अहिंसावादी सोच वाला भारत, क्या इसी की कल्पना की थी हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनाननियों ने। अब हिंसा का जवाब भी हिंसा से ही दिया जाने लगा है। आखिर यह सब कब तक चलेगा। इन सवालों के साथ वाराणसी के गांधीवादियों ने रविवार को चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा के नीचे एक दिन का उपवास रख कर विरोध जताया।
कहा कि उन्नाव, तेलंगाना, झारखंड से लेकर राजस्थान तक तमाम राज्यो में महिलाओं के साथ हिंसा, बलात्कार ने झकझोर कर रख दिया है। कहा कि इसे सुशासन तो कतई नहीं कहा जा सकता। उन्होने तेलंगाना पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाया और कहा कि हिंसा का जवाब हिंसा कभी नहीं हो सकता। इससे हिंसक प्रवृत्तियों पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। इसका समाधान संविधान के रास्ते ही निकल सकता है।
गांधीवादियों ने सरकार व्यवस्था पर 10 सवाल भी उठाए

1- ट्रक, लारी, टैक्सी, ऑटो चालकों खलासियों से पुलिस और आरटीओ,वसूली करने के बजाय उनके लाइसेंस और उनकी हरकतों पर ध्यान दे, ताकि यह बिरादरी औरतो की दुश्मन बन के सड़को को खतरनाक नही बना सके।
2- सरकारें सड़को के किनारे शराब की दुकान खोल कर अपनी मौज के लिए रुपये जुटाना बंद करे और पुरुषों को बेहिसाब दारूबाज न बनाए ताकि लाखों औरतो की जिंदगी नरक न बने और ना इतने अपराध हों। क्योकि होश में तो इस तरह की हैवानियत कम ही करता है कोई व्यक्ति तो हमारी मांग है नशा बंदी लागू करे सरकार।
3- यातायात पुलिस, सामान्य पुलिस अपने इलाको में मुस्तैदी के साथ सड़को पर चक्कर लगाए, वीआइपी ड्यूटी कम कर के सामान्य जनता की सुरक्षा में सड़कों पर हर जगह मौजूद हो तो ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
4- परिवार , समाज, सरकारी कर्मचारी, यदि महिलाओं के प्रति गलत सोच रखने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई का उदाहरण स्थापित करें। उदासीन होने की बजाय सक्रियता से तो दुर्घटना, हिंसा करने वाले जेलों में होंगे।
5- फिल्मों ,विज्ञापन के प्रोडक्शन में लगे लोग, कलाकार और सरकार अगर अश्लीलता न परोस रहे होते इस कदर औरतों को देह के रूप में न बेच रहे होते तो भीड़ में इतने भेड़िए न तैयार होते। क्या महिला अभिनेत्रियों को एहसास है अपनी जिम्म्मेदारी का? कब मना करेंगी वो नंगेपन को परोसने से।
6- सरकारें व्हाट्सऐप, फेसबुक कंट्रोल करती हैं। अपने खिलाफ, पार्टियां ट्रोलिंग और प्रचार के लिए भीड़ को नौकरी पर रखती है। क्या महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा रोकने के लिए अभियान नही चला सकती? यह उनकी सामाजिक जिम्म्मेदारी क्यो नही? पोर्न फिल्मों को खुल के छूट क्यो है? पीढ़ियों को एडिक्ट क्यो बनाया गया ।
7- घरों के अंदर, मोहल्ले में , गांव में, सड़को पर ऐसे नशेड़ी, हिंसक खतरनाक लोगो की पहचान का अभियान क्यो नही चलता महिला एवम बाल कल्याण मंत्रालय, विभाग।
8- स्कूल से पढ़ाई के बीच बाहर हो गए बच्चों, परिवारों, बाल मजदूरी करने वाले, तमाम बाबाओं , रेड लाइट एरिया और महिलाओं के साथ कार्यस्थल पर काम करने वालो को पहचान कर लैंगिकभेदभाव के मायने और महिला के साथ सही व्यवहार की ट्रेनिंग अनिवार्य क्यों नही की गई।
9- पर्दा प्रथा पर पूर्ण रूप से रोक क्यो नहीं लगाई गई कानून बना कर? लड़कियों को सेल्फडिफेंस की ट्रेनिंग अनिवार्य क्यो नही स्कूलो में?
10- महिला आरक्षण, महिला बाल सुरक्षा , जेंडर की पढ़ाई, सेक्स एजुकेशन प्राथमिकता बनाया जाए।
11-बहुत हुआ नारी पर अत्याचार अबकी बार मोदी सरकार, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे के दम पर वोट ले कर आई सरकार अब संवेदनशील क्यो नही रही? क्यो निर्भया को बिना व्यय किए सरकारें चल रही है। सरकारों की जवाबदेही कब फिक्स होगी?
ये रहे मौजूद

साझा संस्कृति मंच और JAC BHU के इस उपवास में एड सुरेश राठौर, सुरेंद्र सिंह, डॉ धनन्जय त्रिपाठी, ऋतु पांडे ( महिला कांग्रेस अध्यक्ष) , संजय सिंह, सानिया अनवर, राज अभिषेक, राजीव मौर्य, युवराज, जिया उल हक, आकाश, दीपक, जागृति राही , मनोज , मनीष, आशीष और बड़ी संख्या में महिलाएं छात्राएं शामिल हुई।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो