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इस दिन भूलकर भी न देखें चंद्रमा, लग जाएगा बहुत बड़ा कलंक

locationवाराणसीPublished: Aug 25, 2019 04:52:01 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

जानिए गणेश चतुर्थी पर कैसे करें पूजा, क्या है शुभ मुहूर्त

Ganesh Chaturthi

Ganesh Chaturthi

वाराणसी. रक्षाबंधन के बाद से त्योहार का सीजन शुरू हो जाता है। सितम्बर में हरतालिका तीज के बाद गणेश चतुर्थी मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है। लेकिन अर्घ्य देते समय इस दिन चंद्रमा को देखना नहीं चाहिए। भगवान गणेश जी की पूजा हमेशा शाम के वक्त करनी चाहिए। पूजा के बाद आंखों को नीचे करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य देने के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उन्हें दक्षिणा दें। गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन कभी ना करें वरना कलंक मिल सकता है। इस पर्व पर चंद्र दर्शन करने से मिथ्या दोष लगता है।

हिंदू धर्म में गणेश भगवान को ऋद्धि-सिद्धि और बुद्धि का दाता माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि गुरु शिष्य परंपरा के तहत इसी दिन से विद्याध्ययन का शुभारंभ होता है। इस खास दिन पर बच्चे डण्डे से खेलते हैं। इसके चलते कुछ जगहों पर गणेश चतुर्थी को डण्डा चौथ भी कहते हैं।

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेश भगवान का उत्सव शुरू हो जाता है। इस दिन से उनकी प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू कर दी जाती है और लगातार दस दिनों तक घर में गणेश भगवान को रखकर अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की विदाई की जाती है। इस दिन ढोल, नगाड़े बजाते हुए श्रद्धालु बप्पा की प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाते हैं।

पूजा विधि
गणेश चतुर्थी के खास मौके पर सबसे पहले स्नान करें और फिर गणेश जी की प्रतिमा बनाएं। प्रतिमा सोने, तांबे, मिट्टी या गाय के गोबर से तैयार करें। इसके बाद एक साफ कलश लेकर उसमें जल भरें और उसे कोरे कपड़े से बांध दें। तब जाकर भगवान गणेश की प्रतिमा का स्थापना करें। इसके बाद प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाकर षोडशोपचार का पूजा करें। गणेश जी को दक्षिणा अर्पिता कर के 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। गणेश जी के पास केवल पाचं लड्डू रखें बाकि बचे हुए लड्डूओं को ब्राह्मणों में बांट दें।

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