इसे भी पढ़ें- Ganga Dussehra 2021 Time: गंगा दशहरा किस दिन है, जानें शुभ मुहूर्त, कथा और इस दिन कैसे मिलता है पापों से छुटकारा
ज्योतिषाचार्च विमल जैन बताते हैं कि पौराणिक कथा के अनुसार प्रतापी राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों को जीवन मरण के दोष से मुक्त करने और गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिये कठोर तपस्या शुरू की। उन्होंने अपनी कठिन तपस्या से गंगा को प्रसन्न कर दिया और वह पृथ्वी पर आने को तैयार हो गईं। पर गंगा को यह अभिमान था कि उनका वेग कोई सहन नहीं कर सकता। उन्होंने राजा भागीरथ से कहा कि अगर वो स्वर्ग से सीधे पृथ्वी पर गिरेंगी तो पृथ्वी उनका वेग नहीं संभाल पाएगी और वह सीधे धरातल में चली जाएंगी। गंगा को यह अभिमान था कि उनका वेग कोई नहीं सहन कर सकता। राजा भागीरथ इस बात से सोच में पड़ गए और भगवान शिव की उपासना शुरू कर दी
इसे भी पढ़ें- गंगा दशहरा 20 जून को, बारिश की वजह से रेत बही, गंगा तट पर दफनाए शवों से उठने लगी दुर्गंध
राजा भागीरथ की उपासना से शिव जी प्रसन्न हो गए और उन्हें वर मांगने को कहा। तब राजा भगीरथ ने उन्हें सारी बात बता दी। इसके बाद जब गंगा अपने पूरे वेग से स्वर्ग से उतरीं तो शिव जी ने उनका गर्व दूर करने के लिये उन्हें अपनी जटाओं में कैद कर लिया। शिव जी की जटाओं में कैद होकर गंगा छटपटाने लगीं और माफी मांगी। इसके बाद शिव ने उन्हें अपनी जटा से छोटे पोखरे में छोड़ दिया, जहां से गंगा सात धाराओं में प्रवाहित हो गईं।
इसे भी पढ़ें- Ganga Dussehra 2021: गंगा की अविरलता बनाए रखने के लिए संगम तट पर ‘गंगा समग्र’ की बैठक
विमल जैन बताते हैं कि इस तरह राजा भागीरथ गंगा का वरण करके भग्यशाली हुए। युगों-युगों तक बहने वाली गंगा की धारा राजा भागीरथ की कष्टमयी साधना की कहानी भी कहती है। गंगा न सिर्फ जीवनदायिनी है बल्कि यह मुक्तिदायिनी भी हैं। धार्मिक व पौराणिक मान्यता के अनुसार काशी में दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान के बाद दशाश्वमेधेश्वर महादेव के दर्शन-पूजन की विशेष महिमा है।
इसे भी पढ़ें- गंगा दशहरा कल, इस विधि से घर में ही करें मां गंगा का पूजन, बन जाएंगे बिगड़े काम
गंगा दशहरा के आयोजन
गंगा दशहरा के मौके पर एक तरफ जहां लोग स्नान दान करते हैं तो वहीं गंगा पूजन के आयोजन होते हैं। वाराणसी में दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट से लेकर भैंसासुर आदि घाटों पर विशेष गंगा आरती की जाती है। गंगा दशहरा वाराणसी में एक लोकप्रिय उत्सव की तरह मनाया जाता है। हालांकि बीते दो सालों से कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन के चलते गंगा दशहरा के मौके पर गंगा स्नान पर रोक है। काशी के मुख्य घाटों दशाश्वमेध घाट, प्रयाग घाट, शीतला घाट, असि घाट, तुलसी घाट, हरिश्चंद्र घाट, मणिकर्णिका घाट, पंचगंगा व रविदास घाट पर स्नानार्थियों के जाने पर रोक रही। जल पुलिस चौकी से पब्लिक एड्रेस सिस्टम के जरिए बार-बार चेतावनी सूचना प्रसारित की जा रही थी। इलाकाई पुलिस प्रश्न घाटों पर और घाट जाने वाले मार्गों पर तैनात होकर लोगों को उल्टे पाँव लौटा दिया। किसी तरह के आयोजन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।