वाराणसी

देश-दुनिया मनाने जा रही महात्मा गांधी की 150वीं जयंती, PM मोदी के क्षेत्र वाराणसी में जिस स्थान पर रखा गया था बापू का अस्थिकलश वहां पसरा है कचरा

गांधी की 150वीं बरसी पर गांघी चौरा की उपेक्षा से अनुयायियों में आक्रोशकहा, क्या इस तरह से याद किया जाएगा राष्ट्रपिता कोइस तरह से सम्मानित किया जाएगा महात्मा को

वाराणसीSep 26, 2019 / 01:29 pm

Ajay Chaturvedi

वाराणसी का ऐतिहासिक स्थल गांधी चौरा

वाराणसी. पूरा देश, पूरी दुनिया राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच साल पहले ही कहा था कि महात्मा गांधी की 150वी जयंती तक पूरे देश में स्वच्छता दिखऩी चाहए। इसके लिए उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से ही ही राष्ट्रव्यापी स्वच्छता अभियान शुरू किया था। लेकिन चाहे भारतीय जनता पार्टी हो या उत्तर प्रदेश सरकार या बनारस प्रशासन, किसी को उस स्थल की स्वच्छता का खयाल तक नहीं जहां बापू का अस्थिकलश रखा गया था, जिसे बनारस के लोग गांधी चौरा के नाम से जानते हैं।
बता दें कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में उनकी अस्थियां पवित्र नदियों में प्रवाहित की गई थीं। मोक्ष नगरी काशी में भी बापू का अस्थि कलश लाया गया था। यहां के बेनियाबाग पार्क में 1948 में महात्मा गांधी का अस्थि कलश रखा गया था, जहां काशीवासियों ने राष्ट्रपिता को अंतिम श्रद्धांजलि दी थी। उसी पुण्य भूमि पर गांधी स्मृति स्तम्भ और गांधी चौरा बना हुआ है। बगल में ही लोकबंधु राजनारायण जी की प्रतिमा है। लेकिन आज जब पूरा देश बापू की 150वीं जयंती मना रहा है तब गांधी चौरा सर्वाधिक उपेक्षित है। वहां कचरा जमा, कीचड़ है। देखने से लगता ही नहीं कि नगर निगम ने कभी इस गांधी चौरा की सफाई भी की हो।
ऐसे में सामाजिक संस्था साझा संस्कृति मंच का प्रतिनिधिमंडल एक जब गांधी चौरा पर पहुंचा तो उस पवित्र स्थल की इस बेकदरी से लोग काफी द्रवित हुए। क्रोधित हुए। कहा कि इस पार्क के किराए से नगर निगम को लाखों रूपये प्रतिवर्ष की आय होती है। लेकिन दुर्भाग्य से इसमें कूड़ा करकट और मल जल भरा हुआ है, स्थिति बहुत ही नारकीय है, स्थानीय नागरिकों ने कई बार इस संबंध में मंडलायुक्त और नगर आयुक्त को ज्ञापन दिया है। लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं आया। लोगों का कहना है कि सारा देश व दुनिया गांधी की 150वीं जयंती मनाने जा रहा है। करोड़ो का बजट सरकार ने घोषित किया है। स्वच्छ भारत अभियान से गांधी-150 को जोड़ दिया गया है। लेकिन बनारस में गांधी जी से जुड़ी ऐतिहासिक जगहों का हाल चाल लेने की कोई कोशिश प्रसाशन शासन ने नही की। राजनेताओं की परिक्रमा में करोड़ो-अरबो खर्च हो रहे हैं। लेकिन राष्ट्रपिता की यादों को संजोने का काम नहीं हो रहा है।
ऐसे में साझा संस्कृति मंच का प्रतिनिधिमंडल काशीवासियों की ओर से पहुंचा कमिशनर दीपक अग्रवाल के पास। उन्हें गांधी चौरा की बदहाली बताई। बताया कि बेनियाबाग स्थित गांधी चौरा ( महात्मा गाँधी का अस्थि कलश जिस स्थान पर रखा गया था ) की उपेक्षा और समूचे पार्क के जीर्ण शीर्ण हालात में है। प्रतिनिधिमंडल ने 6 सूत्रीय ज्ञापन सौंप कर गांधी चौरा सहित समूचे बेनिया पार्क की सफाई और उसके जीर्णोद्धार की मांग की। गांधीवादी कार्यकर्त्री, सर्वोदयी नेता जाग्रति राही ने मंडलायुक्त से कहा कि कंक्रीट के जंगल बनते शहर के बीच में स्थित यह पार्क हरियाली, आबोहवा और घूमने टहलने के साथ साथ बच्चो के लिए एक बेहद जरुरी और उम्मीदभरी जगह है जंहा कुछ शारीरिक अभ्यास और खेल-कूद होते हैं। यह ऐतिहासिक पार्क बनारस के लिए एक धरोहर है। प्रतिनिधिमंडल ने नगरा आयुक्त को भी 6 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है, साथ ही दोनों अफसरों को चेतावनी भी दी है कि इस 6 सूत्रीय ज्ञापन पर 30 सितंबर तक समुचित कार्रवाई न होने पर हम बनारस के नागरिक समाज के लोग 1 अक्टूबर से आंदोलन के लिए बाध्य होगे। जागृति राही ने पत्रिका को बतायाकि कमिश्नर और नगरआयुक्त ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि बेनियापार्क को स्मार्टसिटी के अंतर्गत लेना है, बड़ा प्लान बन रहा है।
गांधी चौरा की बदहाली दूर करने को विचार करते साझा संस्कृति मंच के सदस्य
ज्ञापन अग्रलिखित 6 बिन्दुओ पर है :-

1- बेनिया बाग़ स्थित गांधी चौरा और राजनारायण की मूर्ति की मरम्मत और साफ़ सफाई करवाई जाय
2- पार्क और मैदान में बह रहे सीवर जल को तत्काल रोका जाय
3- पार्क के अंदर फूटपाथ को दुरुस्त कराया जाय
4- पार्क की चौहद्दी की दीवारे और पहुंच मार्ग की सडक ठीक कराई जाय.
5- पार्क में पौधरोपण कराया जाय
6- पार्क के रख रखाव के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति और उपस्थिति सुनिश्चित हो
गांधी चौरा के सौदर्यीकरण व पार्क के जीर्णोद्धार अभियान में जुड़ रहे लोगों में जाग्रति राही, आत्म प्रकाश, जगन्नाथ कुशवाहा, फादर दयाकर, डॉ अनूप श्रमिक, उर्फी भाई, सतीश सिंह, रामिश, नदीम, अनवर, धनंजय त्रिपाठी, वल्ल्भाचार्य पांडेय आदि प्रमुख हैं।

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