हजारों साल पहले भारत में ऋषि और मुनियों ने योग सूत्रों का प्रतिपादन किया उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो त्रिपाठी ने कहा कि हजारों वर्ष पहले जब दुनिया भर के देश संस्कृति और सांस्कृतिक उत्थानों से कदापि अपरिचित थे तब भारत में ऋषि और मुनियों ने योग सूत्रों का प्रतिपादन किया और मानव को स्वस्थ जीवन जीने का एक अचूक सूत्र दिया। अगर दुनियाभर के देश योग को आत्मसात करें तो हम सहज ही शांति का माहौल कायम करने में सफल होंगे।
योग जीवन का आधार स्तंभ समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए अरुणोदय विश्वविद्यालय अरुणाचल प्रदेश के कुलपति प्रो विश्वनाथ शर्मा ने योग को जीवन का आधार स्तंभ बताया । उन्होंने कहा योग के जितने ग्रंथ भारत में उपलब्ध हैं उनका विधिवत अध्ययन आवश्यक है । उन्होंने देशभर के विश्वविद्यालयों में योग और गीता के अध्ययन पर बल दिया और कहा योगीराज श्री कृष्ण ने गीता के माध्यम से कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग, सांख्य योग आदि का संदेश दिया है जिसे बाद में स्वामी विवेकानंद जैसे युग पुरुषों ने अपने जीवन में आत्मसात् कर मानव जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में योग और गीता को एक अभिन्न अंग माना है।