मंगलवार को भोर आरती के दौरान बाबा काल भैरव के विग्रह से कलेवर छूटकर खुद ब खुद नीचे गिर गया। वहां मौजूद पुजारियों ने जब यह देखा तो तुरंत महंत परिवार को इसकी सूचना दी गई और मंदिर में बाबा के जयकारे गूंजने लगे। लोगों को जानकारी हुई तो मंदिर से लेकर गंगा घाट तक घंटे-घड़ियाल और डमरू व शंखनाद गूंजने लगे। मंदिर के महंत सुमित उपाध्याय ने बताया कि बाबा के भारी भरकम कलेवर को लाल कपड़ों में बांधकर कंधे व सिर पर उठाकर भव्य शोभायात्रा के साथ गंगा घाट ले जाया गया और वहां गंगा में विसर्जित कर दिया गया। कलेवर छोड़ने के बाद बाबा काल भैरव का बाल स्वरूप श्रृंगार और विशेष पूजन अर्चन करने के बाद दर्शन-पूजन के लिये मंदिर का पाट खोल दिया गया।
50 वर्ष पहले छोड़ा था कलेवर
बाबा काल भैरव ने इसके पूर्व 50 वर्ष पहले 1971 में अपना कलेवर पूर्ण रूप से छोड़ा था। उसके बाद यह दुर्भभ घटना इसके पूरे 50 साल बाद 2021 में हुई है। इसके बाद माना जा रहा है कि कोई बड़ा संकट टल गया है। संसार पर कोई बड़ा संकट आने वाला था जिसे बाबा ने अपने उपर ले लिया। इसके पूर्व 14 साल पहले 2007 में भी बाबा के कलेवर का कुछ भाग टूटकर गिरा था। इस बार उनका पूरा कलेवर ही अपने आप गिर गया।