एेसे में शहर में बढ़ रहे ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए ट्रैफिक पुलिस को दिनभर माथापच्ची करनी पड़ रही है। कुछ प्वाइंट तो एेसे हैं जहां हर समय हादसे का खतरा मंडराता रहता है। खास बात यह है कि ट्रैफिक लाइट को नियमित रूप से चलाने के लिए कोई भी महकमा सिरदर्दी लेना को तैयार नहीं है।
सूत्रों के अनुसार शहर में नगर निगम व नगर विकास न्यास ने मिलकर बारी-बारी से ट्रैफिक लाइट मुख्य मार्गों पर यातायात नियंत्रित करने के लिए लगवाई थी, लेकिन लाइट्स वर्तमान में सिवाय शो-पीस के अलावा कोई काम नहीं दे रही है।
पड़ताल करने पर मालूम चला कि ट्रेफिक लाइट्स के शहर में कामयाब नहीं होने का मुख्य कारण मरम्मत के लिए बीकानेर में टैक्नीकल स्टाफ का नहीं होना है। लाइट्स में कोई भी दिक्कत आती है तो मरम्मत के लिए तकनीकी कर्मचारी जयपुर से आता है,
जिस पर काफी खर्चा आता है। एेसे में नगर निगम व नगर विकास न्यास खर्च के डर से तकनीकी स्टाफ को बुलाने में रूचि नहीं लेता है। दूसरी बात ट्रैफिक लाइट्स के लिए संयुक्त रूप से कंट्रोल रूम नहीं है, जिससे सभी प्वाइंटस पर नजर रखने के साथ उन्हें ऑपरेट किया जा सके।
यहां लगी हैं लाइटें म्यूजियम सर्किल, महाराजा तिराहा, राणीबाजार चौराहा, जूनागढ़ के सामने कुंज गेट, जयपुर रोड पर सोफिया स्कूल के पास, भीमसैन सर्किल, जैसलमेर रोड पर पंडित धर्म कांटा, कोठारी हॉस्पिटल व पूगल फांटा के पास ट्रैफिक लाइट्स लगी हैं,
लेकिन कोई भी लाइट काम नहीं करती जबकि जयपुर व जैसलमेर रोड पर ट्रैफिक का सबसे ज्यादा जबाब रहता है। आए दिन तेज रफ्तार की वजह से उक्त मार्ग पर शहरी सीमा के अंदर दुर्घटनाएं होती रहती है।
लिखा है पत्र टै्रफिक लाइट्स के शुरू होने से यातायात को कंट्रोल करने में काफी मदद मिलेगी। इसलिए शहर में खराब पड़ी ट्रैफिक लाइट्स की मरम्मत के लिए नगर निगम व यूआईटी के अधिकारियों को पत्र लिखा है। उन्हें लाइटों की मरम्मत के साथ समय-समय पर लाइटें चेक करवाने की व्यवस्था करने का आग्रह किया गया।
– निकेत पारीक, यातायात थाना प्रभारी, बीकानेर।