ये चुनाव तय करेगी लोकसभा में भाजपा की ताकत भाजपा के लिए ये चुनाव इसलिए नाक का सवाल है कि ये मोदी लहर 2014 में भाजपा ने 272 + का नारा दिया था। जबकि जनता ने अकेले भाजपा को 280 सीटें दे दी थी। इसके बाद के हुए उपचुनावो में भाजपा का कई सीटों पर हार हुई। जिससे मौजूदा समय में बीजेपी के पास महज 273 सीटें लोकसभा मे रह गई हैं। अगर इन सीटों पर भी भाजपा हारती है तो बीजेपी के से पूर्ण बहुमत का तमगा छिन जायेगा।
माया के साथ जाने को तैयार हैं अखिलेश इस चुनाव की गंभीरता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि अभी एक दिन पहले ही सपा के राषट्रीय अध्यक्ष औऱ यूपी के पूर्व सीएम अपने धुर विरोध
मायावती के साथ से किसी तरह के परहेज से इनकार कर एक नये राजनीतिक समीकरण का संकेत दे दिया है। अगर माया ने भी अखिलेश के साथ आने का फैसला किया तो हालात कुछ और हो सकते हैं।
सोनिया ने समान विचार वालों को एक साथ आने की अपील की है गुरूवार को ही कांग्रेस नेता
सोनिया गांधी ने सभी समान विचार वाले दलों को एक साथ आकर भाजपा के खिलाफ नई जुगलबंदी का संकेत दिया था। ऐसे में अगर सोनिया की ये पहल फूलपुर और गोरखपुर से शुरू हुई तो राजनीति काफी दिलचस्प हो सकती है।
भाजपा भी खेल रही सभी दांव-पेंच बीजेपी इस चुनाव को जीतने के लिए किसी भी रणनीति में कम नहीं दिख रही है। जहां फूलपुर पर अभी कुछ ही महीने पहले बसपा की नेता व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केशरी देवी पटेल व उनके बेटे दीपक पटेल को पार्टी से जोड़ा तो तो वहीं गोरखपुर के चर्चित नेता हरिशंकर तिवारी को भी साथ लाने की रणनीति पर बीजेपी
काम कर रही है। ऐसे में अगर भाजपा की रणनीति सधी तो बीजेपी को भी मुकाबले में हरा पाना आसान नहीं होगा।