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वाराणसी का डीजल रेल इंजन कारखाना बंद करने की तैयारी!

locationवाराणसीPublished: Sep 20, 2017 06:27:01 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

रेल मंत्री पीयूष गोयल की सात सितंबर को रेलवे मुख्यालय में हुई बैठक के बाद से कर्मचारियों में हड़कंप, पीएम को भेजा पत्र।
 

डीरेका में तैयार डीजल रेल इंजन

डीजल रेल इंजन

डॉ. अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. काशी के एक मात्र औद्योगिक संस्थान डीजल रेल इंजन कारखान को बंद किए जाने की खबर से डीरेका कर्मचारियों में हड़कंप मचा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेज कर कारखाने को बंद होने से रोकने की गुजारिश की है। आरोप यह भी है कि डीरेका में कम कीमत वाले डीजल इंजन की जगह सरकार अब अमेरिकी कंपनी से ऊंचे दाम में डीजल रेल इंजन की खरीदारी करेगी। बता दें कि वाराणसी के विकास के मद्देनजर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व रेलमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने डीजल रेल इंजन कारखाने की स्थापना की थी। इतना ही नहीं उन्होंने वाराणसी और पूर्वांचल के नागरिकों के लिए इंडियन रेलवे कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट की भी स्थापना की थी। लेकिन इस इंस्टीट्यूट को अब टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल को सौंपने की तैयारी पूरी कर ली गई है। इस बीच डीरेका की बंदी की खबर ने कर्मचारियों को खासा परेशान कर दिया है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि इस उम्र में वे कहा जाएंगे। क्या करेंगे। ऐसे में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा है। इस संबंध में रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनका मोबाइल नेटवर्अक एरिया के बाहर बताता रहा।
कर्मचारी नेताओं और डीरेका कर्मियों की मानें तो रेलमंत्री पीयूष गोयल ने सात सितंबर को उत्तर रेलवे मुख्यालय, बड़ौदा हाउस में रेलवे बोर्ड के सभी वरिष्ठ अधिकारियों और सदस्यों के साथ हुई महत्वपूर्ण बैठक में मढौरा प्रोजेक्ट, (जिसके अंतर्गत अमेरिकन बहुराष्ट्रीय कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ’ (जीई) के साथ एक हजार डीजल इंजन बनाने का अंतर्राष्ट्रीय समझौता पूर्व रेलमंत्री सुरेश प्रभु के रेलमंत्रित्व काल में ही रेल मंत्रालय ने किया है) को बंद करने का आदेश दे दिया। उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं रेलमंत्री गोयल ने तत्काल प्रभाव से सभी डीजल इंजनों का निर्माण और पुनर्स्थापन बंद करने सहित नए डीजल इंजनों के बुनियादी रख-रखाव में नए निवेश को भी फौरन रोकने का आदेश दिया। साथ ही रेलमंत्री ने 2020 तक न सिर्फ पूरी भारतीय रेल का विद्युतीकरण किए जाने, बल्कि एलएचबी कोचों का उत्पादन दो गुना करने का भी लक्ष्य तय कर दिया है। उन्होंने हाल ही में प्रकाशित ‘रेलवे समाचार’ का हवाला देते हुए बताया कि पूर्व रेलमंत्री सुरेश प्रभु के कार्यकाल में मढौरा में 1000 डीजल इंजनों के उत्पादन के लिए अमेरिकन बहुराष्ट्रीय कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के साथ और मधेपुरा में 1000 विद्युत् इंजनों के उत्पादन के लिए फ्रांस की बहुराष्ट्रीय कंपनी अल्स्टोम के साथ रेल मंत्रालय का समझौता हुआ था। इस समझौते के अंतर्गत मढौरा एवं मधेपुरा में उक्त दोनों बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा रेल इंजन फैक्ट्रियां स्थापित किए जाने के लिए 20-20 हजार करोड़ रुपये का निवेश भी किया जाना है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (डीएलडब्ल्यू), वाराणसी में उत्पादित एक डीजल रेल इंजन की लागत 12 करोड़ रुपये है, जबकि रेल मंत्रालय यही एक डीजल लोको मढौरा की जनरल इलेक्ट्रिक फैक्ट्री से 20 करोड़ रुपये में खरीदेगा। इस खरीद के बाद इंजनों का रख-रखाव (मेंटेनेंस) भी उक्त दोनों बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा ही किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि दोनों रेल इंजन निर्माण परियोजनाएं शायद विश्व की पहली और सबसे बड़ी लोको आउट सोर्सिंग परियोजनाएं हैं। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि मंत्री के निर्देश का निहितार्थ स्पष्ट है। वह मढौरा डीजल फैक्ट्री के फेवर में हैं, जबकि उन्होंने इसके साथ ही न सिर्फ डीएलडब्ल्यू को बंद करने का निर्देश दिया है, बल्कि डीजल इंजनों के निर्माण एवं पुनर्स्थापन सहित इनके रख-रखाव में हो रहे निवेश को भी तत्काल प्रभाव से रोक देने को कहा है। यह दोनों बातें एक साथ संभव ही नहीं हैं। वे कहते हैं कि स्पष्ट हैं कि इसी बहाने डीएलडब्ल्यू रेल इंजन फैक्ट्री बंद हो जाएगी, क्योंकि तब उनके पास यह कहकर स्वयं के बचाव का बहाना तैयार रहेगा कि मढौरा फैक्ट्री को अंतर्राष्ट्रीय समझौते के तहत बंद नहीं की जा सकती है। कर्मचारी नेता कहते हैं कि डीरेका के बंद होने का सीधा लाभ मढौरा की डीजल रेल इंजन फैक्ट्री को मिलेगा। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार निकट भविष्य में यही तरीका पश्चिम बंगाल स्थित चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्ल्यू) के लिए भी अपनाया जाएगा, जिसका फायदा अंततः मधेपुरा स्थित विद्युत् इंजन फैक्ट्री को मिलेगा, जिसकी स्थापना फ्रांस की अल्स्टोम कंपनी द्वारा की जा रही है। वे कहते हैं कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय में रहते हुए वर्तमान रेलमंत्री के संबंध जनरल इलेक्ट्रिक (अमेरिकन जनरल मोटर्स ग्रुप) के साथ काफी अच्छे रहे हैं। ऐसे में यह स्पष्ट है कि मढौरा फैक्ट्री बंद नहीं हो सकती, होगी तो यह डीएलडब्ल्यू ही होगी।
कर्मचारी नेताओं ने पीएम को भेजा पत्र

इस पूरे प्रकरण पर डीरेका कर्मी की पत्नी सीमा आदर्श,राष्ट्रीय अध्यक्ष , इंडियन रेलवे इम्प्लाईज़ फैडरेशन सर्वजीत सिंह आदि ने प्रधानमंत्री, रेल मंत्री और रेलेवे बोर्ड को पत्र भेज कर डीरेका को बचाने की गुहार लगाई है। कर्मचारी नेता अमर सिंह ने कहा कि बहुत गोपनीय तरीके से सब काम चल रहा है। लेकिन इससे डीरेका का सैकड़ों कर्मचारियों के बीच दहशत है। खास तौर पर वरिष्ठ कर्मचारियों को समझ नहीं आ रहा कि अगर डीजल रेल इंजन कारखाना बंद हो जाएगा तो उनका क्या होगा। लेकिन इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
डीरेका को बंद किए जाने की अधिकृत जानकारी नहींःसीपीआरओ

इस संबंध में पत्रिका ने जब डीरेका के सीपीआरओ नितिन मेहरोत्रा से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई अधिकृत सूचना नहीं है। रेलवे समाचार की न्यूज के बाबत उनका कहना था कि उसे देखा नहीं है, वैसे भी वह रेलवे का अधिकृत पत्र नहीं है। अलबत्ता उन्होंने यह जरूर स्वीकार किया कि अब धीरे-धीरे डीजल की बजाय इलेक्ट्रिक इंजन बनाने के ज्यादा आर्डर मिल रहे हैं। फिलहाल दोनों तरह के इंजन बनाने का काम चल रहा है। लेकिन डीजल रेल इंजन कारखाने को बंद करने की अधिकृत सूचना नहीं है।
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