अखिलेश यादव के हालिया बयान का जिक्र प्रस्तुत आवेदन में कहा गया है कि अखिलेश यादव ने विवादित बयान दिया है कि किसी पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रख दो, झंडा लगा दो वहीं मंदिर बन जाता है। यह शिवलिंग नहीं है यह केवल फौवारा है जो वर्षों से बंद है।
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ज्ञानवापी केसः जिला जज की अदालत में पौन घंटे चली सुनवाई, फैसला सुरक्षित, कोर्ट में ये लोग रहे मौजूद ओवैसी की बयानबाजी को बनाया आधारइसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी, सांसद व उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी जो लगातार हिंदुओं के धार्मिक मामलों एवं स्वयंभु ज्योतिर्लिंग के खिलाफ अपमान जनकर बयान देते जा रहे हैं। इन सभी लोगों ने जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का अपराध किया है, जो दंडनीय तथा हरगिज माफी काबिल नहीं है। इससे काशी के श्रद्धालु, आस्तिक समाज और समस्त भारत वर्ष के लोग बहुत ही मर्माहत हैं।
पुलिस पर लगाया आरोप
आवेदन में लिखा गया है कि प्रार्थी ने 17 मई को पुलिस कमिश्नर वाराणसी को पंजीकृत डाक से शिकायती पत्र भेजा तथा 18 मई को अपर पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) से जाकर खुद मिला लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में अदालत के समक्ष प्रस्तुत हो कर मुकदमा संस्थित करने की आवश्यकता के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं रहा।
वजूखाने में मिले शिवलिंग के स्थान पर वजू करने को बताया अपमानजनक प्रार्थना पत्र में ये भी कहा गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के प्रकरण में यह तथ्य प्रकाश में आया है कि मस्जिद के वजूखाने के हौज में आराध्य देव भगवान आदि विशेश्वर का बहुत बड़ा शिवलिंग है जिस पर नमाजी लोग वजू करते हैं। पिछले 350 साल से जानबूझ कर हिंदुओं की धार्मिक भावना व श्रद्धा पर प्रहार करने के उद्देश्य से ऐसा किया जा रहा है। इस आचरण से हिंदू समाज अत्याधिक मर्माहत है। लिहाजा इनके विरुद्ध आईपीसी की धारा के तहत मुकदमा पंजीकृत कर विवेचना प्रारंभ किया जाना तथा दोषी लोगों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्यवाही किया जाना आवश्यक एवं न्यायसंगत है ताकि हिंदू समाज की भावनाओं को राहत व सम्मान मिल सके।
आईपीसी की धारा के तहत मुकदमा दर्ज करने को आवेदन
याची ने प्रार्थना में कहा है कि संबंधित थाने से आख्या तलब कर भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत विभिन्न धाराओं में ्पराध पंजीकृत करवाकर विवेचना आरंभ की जाय ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके औरआम जनता को न्याय मिल सके।