सिविल जज के अर्दली को ही मिला था धमकी भरा पत्र बता दें कि पिछले दिनों सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर के नाम दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग के पते से धमकी भरा पत्र पंजीकृत डाक से भेजा गया था। वो पत्र उनके अर्दली राजेश कुमार सोनकर ने ही रिसीव किया था। धमकी भरे उस पत्र पर इस्लामिक आगाज मूवमेंट, अध्यक्ष काशिफ अहमद सिद्दीकी लिखा था। पत्र में लिखा था, "आपने ज्ञानवापी के सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया तो वादी पक्ष की महिलाएं एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर हम हिंदू हैं कहते हुए मुसलमानों पर फब्तियां कस रही थीं। उस दौरान आप मूकदर्शक बने हुए थे, क्योंकि आप भी काफिर मूर्तिपूजक हैं।"
ये भी पढें- ज्ञानवापी प्रकरण में परिसर का सर्वे कराने वाले सिविल जज को मिला धमकी भरा पत्र, बढाई गई सुरक्षा, पहले ही जता चुके थे सुरक्षा को लेकर चिंता धमकी भरे पत्र का मजमून
सिविल जज (सीनियर डिवीजन) को भेजे गए पत्र में जज पर हिंदूवादी होने, हिंदुओं के दबाव में फैसला देने का उल्लेख था। ये भी लिखा गया है कि आप हिंदुओं के दबाव में मस्जिद को मंदिर घोषित कर देंगे। इसके अलावा प्रकारांतर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज के नाम का भी उल्लेख किया गया है। साथ ही गुजरात दंगे का भी उल्लेख है। आरएसएस पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। खुद सिविल जज सीनियर डिवीजन पर केसरिया रंग में रंगने का भी आरोप लगाया गया है। ज्ञानवापी प्रकरण का केस लड़ने वालों को उग्रवादी हिंदू करार दिया गया है। यूपी में दंगा कराने की साजिश का भी जिक्र है। ये सवाल भी है कि जब पूरी सरकारी मशीनरी का संरक्षण है तो फिर आपकी पत्नी और और मां को किस बात का डर? लिखा है इस पत्र को भी सार्वजनिक करिए और सहानुभूति का आनंद लीजिए।
ये भी पढें- ज्ञानवापी में सर्वे कराने वाले सिविल जज को धमकी भरे पत्र से पूर्व आई थी इंटरनेट कॉलधमकी भरे पत्र मामले की जांच जारी यहां बता दें कि सिविल जज सीनियर डिवीजन रविकुमार दिवाकर को धमकी भरा पत्र मिलने के मामले की जांच कैंट थाना पुलिस और क्राइम ब्रांच शुरू कर चुकी है। पंजीकृत डाक वाले पत्र में लिखे पते की तस्दीक के लिए डाक विभाग की मदद ली जा रही है। साथ ही एटीएस और एसटीएफ जैसी विशेषज्ञ एजेंसिंयों से भी मदद ली जा रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि इसका खुलासा बहुत जल्द हगा और पत्र भेजने वाले भी अति शीघ्र सलाखों के पीछ होंगे।
अभी तक पुलिस के हाथ खाली
वैसे इस मामले में वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के हाथ खाली हैं। पुलिस अब तक ये भी नहीं पता लगा पाई है कि सिवल जज (सीनियर डिवीजन) को धमकी भरा पत्र भेजने और उससे पूर्व इंटरनेट कॉल करने वाला है कौन? हालांकि पुलिस सिविल की सुरक्षा को लेकर ज्यादा सतर्कता बरत रही है।
वैसे इस मामले में वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के हाथ खाली हैं। पुलिस अब तक ये भी नहीं पता लगा पाई है कि सिवल जज (सीनियर डिवीजन) को धमकी भरा पत्र भेजने और उससे पूर्व इंटरनेट कॉल करने वाला है कौन? हालांकि पुलिस सिविल की सुरक्षा को लेकर ज्यादा सतर्कता बरत रही है।