मौलाना रहमानी ने कहा है कि “उपासना स्थल (विशेष उपबन्ध) संरक्षण अधिनियम” के बाद 15 अगस्त 1947 को जहां जो उपासना स्थल बने हैं उनमें कोई बदलाव नहीं हो सकता। उन्होंने सिविल कोर्ट के सर्वेक्षण के आदेश को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि मस्जिद समिति (Masjid Commitee Gyanwapi ) और सुन्नी वक्फ बोर्ड (Sunni Waqf Board) मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) जा रहा है।
उधर धमकी दिये जाने के मामले में पक्षकार हरिहर पाण्डेय ने मीडिया से कहा है कि 8 अप्रैल को सिविल कोर्ट के फैसले के बाद जब वह घर पहुंचे तो एक अनजान नम्बर से फोन आया। फोन पर यासीन नाम के शख्स ने कहा कि,’पांडेय जी मुकदमा तो जीत गए हैं आप लेकिन ASI वाले मंदिर में नहीं घुस पाएंगे, आप और आपके सहयोगी मारे जाएंगे।’ बताते चलें कि प्राचीन मूर्ति स्वयंभू लार्ड विशेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय बतौर वादी इसमें शामिल हैं।
गोपनीय रहेगा सर्वे, नहीं रुकेगी नमाज
कोर्ट के आदेश के मुताबिक पांच सदस्यी टीम जब पुरातात्विक सर्वेक्षण करेगी तो इस दौरान न तो मस्जिद की सामान्य गतिविधियां रुकेंगी और न ही नमाज। सर्वे की जानकारी भी पूरी तरह गोपनीय रहेगी। यह आम लोगों या मीडिया के साथ साझा नहीं की जाएगी। अगर सर्वे टीम को कुछ परेशानी आती है तो मस्जिद के भीतर ही नमाज के लिये वैकल्पिक जगह उपलब्ध कराई जाएगी। कोर्ट ने सर्वे टीम में अल्पसंख्यक समुदाय के दो लोगों के साथ ही एक ऑबजर्वर रखने को भी कहा है।