20 को भी जारी रहेगी अधिवक्ताओं का स्ट्राइक वाराणसी में अश्विनी कुमार, अधिवक्ता ने कहा- उत्तर प्रदेश के सचिव ने अधिवक्ताओं को अमर्यादित शब्द बोले हैं इसलिए वाराणसी के अधिवक्ता बुधवार को स्ट्राइक पर हैं और इसके मद्देनजऱ 20 मई को भी स्ट्राइक रहेगी। अधिवक्ता को अराजक तत्व से संबोधित करना बहुत बड़ी बात है।
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कड़ी की गई वजूखाने की सुरक्षा वजू के उस स्थान पर छोटा सरोवर है, उसे भी सील कर दिया गया है। क्योंकि यह इलाका पहले से लोहे के बेरिकेड और जालों से घिरा हुआ है। वजूखाने की सुरक्षा में सीआरपीएफ के दो जवानों की ड्यूटी, शिफ्ट के हिसाब से चौबीस घंटे लगायी गयी है। हर शिफ्ट में दो-दो जवान डटे रहेंगे। हर शिफ्ट में मंदिर सुरक्षा के प्रमुख डिप्टी एसपी रैंक के सुरक्षा अधिकारी और सीआरपीएफ के कमांडेंट औचक निरीक्षण करेंगे। शिवलिंग को न्यास परिषद को सौंपने की मांग इस बीच ज्ञानवापी परिसर विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। आलमगीर मस्जिद के सर्वे के दौरान मिली शिवलिंग जैसी आकृति को विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद को सौंपने की मांग परिषद के अध्यक्ष नागेंद्र पांडे पांडेय ने की है। उनका कहना है कि फैसला आने तक वजूखाने में मिला शिवलिंग काशी विश्वनाथ न्यास परिषद की सुपुर्दगी में सौंप दिया जाए।
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जहां शिवलिंग मिला वो वजूखाना कैसे? प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और मुस्लिम पक्ष उस आकृति को फव्वारा बता रहा है। जबकि वादी पक्ष और हिंदू जनमानस उसे शिवलिंग करार दे रहा है। नागेंद्र पांडेय का कहना है कि जहां बाबा विश्वेश्वर का शिवलिंग मिला वो स्थल 'वजूखाना' कैसे हो सकता है? काशी विश्वनाथ के महंत का दावा, असल शिवलिंग मंदिर में सुरक्षित इस बीच सोशल मीडिया पर काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत का एक दावा काफी वायरल हो रहा है। मंदिर के महंत राजेंद्र तिवारी ने दावा किया है कि प्राचीन शिवलिंग को उनके पुरखे औरंगजेब के कालखंड में बचाने में कामयाब हुए थे और वह आज भी काशी विश्वनाथ मंदिर में सुरक्षित है और उसी की पूजा होती है। ज्ञानवापी में क्या मिला? इस के सवाल पर महंत कहते हैं कि पहले तो हर पत्थर को शिवलिंग नहीं कहा जाना चाहिए, जबतक मैं इसे देख न लूं इसके बारे में कुछ कह नहीं सकता। महंत का कहना है कि ज्ञानवापी के ऐतिहासिक मंदिर का तम्लीक-नामा (संपत्ति का कानूनी कागजात) दाराशिकोह द्वारा दिया गया था जो कि हमारे पूर्वजों के नाम से है, वह आज भी मेरे पास मौजूद है।
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