अंजुमन ने प्रस्तुत किया स्थगन प्रार्थना पत्र लगा जुर्माना आज सुनवाई शुरू होते ही अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने दीवानी के वरिष्ठ अधिवक्ता योगेंद्र सिंह उर्फ मधु बाबू और शमीम अहमद को अधिवक्ता नियुक्त किया है। सुनवाई के दौरान प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से स्थगन प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया गया। कहा गया कि दोनों अधिवक्ताओं को केस समझने व तैयारी के लिए 10 दिन की अतिरिक्त मोहलत दी जाए। इस पर अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 22 अगस्त निर्धारित करते हुए कहा कि अब इससे ज्यादा समय तैयारी के लिए नहीं मिलेगा। साथ ही अदालत ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी पर जिस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए, मामले को लटकाने के आरोप में 500 रुपए का जुर्माना लगाया है। बता दें कि पिछली तारीख से पहले प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता के निधन के चलते प्रतिवादी ने 15 दिन की मोहलत मांगी थी। उस दिन भी सुनवाई नहीं हो सकी थी और अदालत ने आज की तिथि नियत कर दी थी।
चार अगस्त को अंजुमन कमेटी ने अदालत से मांगी थी मोहलत बता दें कि इससे पूर्व गत 4 अगस्त को सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से अपने अधिवक्ता अभय नाथ यादव के निधन की सूचना देते हुए अदालत से मोहलत मांगी थी। कहा था कि वाद से जुड़ी फाइल दिवंगत अधिवक्ता के चेंबर में होने के कारण जवाबी बहस की तैयारी पूरी नहीं हो सकी है। लिहाजा 15 दिन की मोहलत दी जाए। इस पर अदालत ने 18 अगस्त की तिथि नियत कर दी थी।
अगस्त 2021 में दायर की गई थी याचिका बता दें कि इस मुकदमे से संबंधित याचिका 18 अगस्त 2021 को राखी सिंह, सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में दायर किया था। मुकदमे की सुनवाई करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराया। सर्वे के दौरान वादी हिंदू पक्ष ने दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मस्जिद के वजूखाने में आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग मिला है। वह एक अहम साक्ष्य है, इसलिए उसे संरक्षित किया जाए। हिंदू पक्ष के दावे पर कोर्ट ने वजूखाने को सील करने का आदेश दिया था। इसी बीच प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सर्वोच्च न्यायालय में सर्वे आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की जिस सर्वोच्च न्यायालय ने मुकदमे की सुनवाई जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने आदेश दिया। कहा कि जिला जज की अदालत तय करेगी मुकदमा सुनवाई योग्य है कि नहीं है।
अंजुमन और हिंदू पक्ष की ओर से पेश किया जा चुका है अपन-अपना पक्ष
इस केस में सबसे पहले अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अपना पक्ष रखा। दलील दी कि क्यों ये मुकदमा सुनने योग्य नहीं। उसके बाद वादी हिंदू पक्ष ने अपनी दलील पेश की। अब अंजुमन को जवाबी पक्ष रखना है।