भारत अध्ययन केंद्र, बीएचयू के प्रमुख प्रो. राकेश उपाध्याय के अनुसार 17 और 18 अक्टूबर को भारत अध्ययन केंद्र की ओर से संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. देश के गृहमंत्री अमित शाह उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। उन्होंने मंगलवार को मीडिया को बताया कि गुप्तवंश-वीर स्कंदगुप्त विक्रमादित्य का ऐतिहासिक स्मरण व व राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य विषय पर दो दिनों तक चलेगा। इसमें गृहमंत्री अमित शाह के अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ उद्घाटन सत्र में मौजूद रहेंगे। इसमें देश-विदेश के जाने-माने इतिहासविद भाग लेंगे।
उन्होंने बताया कि इस संगोष्ठी में जापान से प्रो ओइबा ताकाकी व प्रो ई यामा मातो, मंगोलिया से डॉ उल्जित लुबराजाव, बैंकाक से डॉ नरसिंह चरण पंडा, डॉ सोम्बत, श्रीलंका से डॉ वादिंगला पन्नलोका, वियतनाम से प्रो दोथूहा, अमेरिका से डॉ सर्वज्ञ के द्विवेदी और नेपाल से डॉ काशीनाथ न्यौपाने प्रमुख हैं। इनके अलावा आईसीएसएसआर, दिल्ली से प्रो दीनबंधु पांडेय, राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक प्रो बुद्ध रश्मि मणि, भारतीय इतिहास संकलन योजना के पूर्व अध्यक्ष डॉ बाल मुकुंद पांडेय आदि भी संगोष्ठी में अपने विचार रखेंगे।
बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में दो दिवसीय आयोजित यह अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी इसलिए खास है, क्योंकि आज इतिहास में स्कंदगुप्त विक्रमादित्य को लोग भूल रहे हैं। स्कन्दगुप्त प्राचीन भारत में तीसरी से पांचवीं सदी तक शासन करने वाले गुप्त राजवंश के आठवें राजा थे। इनकी राजधानी पाटलिपुत्र थी, जो वर्तमान समय में पटना के रूप में बिहार की राजधानी है। तीसरी से पांचवीं सदी तक रहा है गुप्त वंशजों का राज जैसा कि 1600 साल पहले स्कन्दगुप्त ने औड़िहार से गुजरात और कश्मीर तक भारत भूमि को हूरों से मुक्त कराया था। भारत ने स्कंदगुप्त के इस कार्य के लिए इतिहास में जन समर्थन दिया.