scriptHartalika Teej: माता पार्वती की इस पूजा के बाद पति के रूप में मिले थे भगवान शिव, आप भी ऐसे करें पूजा पूरी होगी मुराद | how mata parvati found lord shiva her husband know teej pooja vidhi | Patrika News

Hartalika Teej: माता पार्वती की इस पूजा के बाद पति के रूप में मिले थे भगवान शिव, आप भी ऐसे करें पूजा पूरी होगी मुराद

locationवाराणसीPublished: Aug 31, 2019 04:08:44 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

पत्रिका से बातचीत में पंडित अशोकधर द्विवेदी ने इससे जुड़े कई महत्वपूर्ण विधान को बताया

pooja vidhi

पत्रिका से बातचीत में पंडित अशोकधर द्विवेदी ने इससे जुड़े कई महत्वपूर्ण विधान को बताया

वाराणसी. हरतालिका तीज व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वुपूर्ण त्योहार है। इसे भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। दरअसल इस तिथि को भगवान शिव और मां गौरी के पूजन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस ब्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए रखा था। इस व्रत को कुंवारी के साथ ही सौभाग्यवती महिलायें रखती हैं। इस दिन निराहार और निर्जला व्रत रखने का खासा महत्व है। हरतालिका तीज व्रत रखने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है। पत्रिका से बातचीत में पंडित अशोकधर द्विवेदी ने इससे जुड़े कई महत्वपूर्ण विधान को बताया।
नियम क्या है
1-इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता, व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।
2- तीज का व्रत शुरू करने के बाद इसे छोड़ना नहीं चाहिए, इस व्रत को पूर्ण करना आवश्यक है। प्रत्येक वर्ष इसे विधि विधान से करना चाहिए
3- हरतालिका तीज के दिन रात्रि जागरण किया जाना आवश्यक है। सात ही मन से भजन कीर्तन करना भी आवश्यक है।
4- इस व्रत को कुंआरी युवतियां और सौभाग्यवती महिलाओं के साथ ही विधवा महिलायें भी रखती है।
5-हरतालिका तीज पर भगवाश शंकर और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है।
पूजा विधि
1- तीज की पूजा प्रदोष काल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद वाले मुहूर्त को प्रदोष काल कहा जाता है यह दिन और रात के मिलने का समय होता है।
2- इस पूजन के लिए भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा बालू रेत व काली मिट्टी से बनायें।
3- पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर प्रतिमा स्थापित करें।
4- इसके बाद देवताओं का ध्यान करते हुए, भगवान शिव माता पार्वती और भगवान गणेश का श्योणसोपचार पूजन करें।
5- सुहाग के पिटारे में सुहाग के सारे समान रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की परंपरा है।
6-इसमें शिव जी को धोती और अंगौछा चढ़ाया जाता है। पूजन के बाद आरती का भी महत्व है।
7- आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ायें और ककड़ी हलवे को भी चढ़ाने का नियम है।
पौराणिक महत्व

कहा जाता है य़ह व्रत भगवाना शिव और माता पार्वती के पुर्नमिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठिन तपस्या किया था। भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता ने हिमालय के गंगा नदी के तट पर भूखे प्यासे रहकर उन्होने खूब तप किया। पिता को ये बात पता चली तो वो परेशान हो गये। एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णू की ओर से उनके पिता के सामने विवा का प्रस्ताव लेकर आये तो माता पार्वती बेहद दुखी हो गईं। बाद में उन्होने बताया कि वो भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए ही ऐसा कर रही हैं।
अपनी एक सहेली की सलाह पर माता जंगल में चलीं गईं और वहीं आसन लगाकर भगवान शिव का ध्यान किया। भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र को माता ने रेत से भगवान की प्रतिमा बनाईं और लीन हो गईं। माता पार्वती का पूजन देख भगवान शिव खुश हुए उन्होने पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का आशीर्वाद दिया। तब से ही ये पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए वरदान माना जाता है।
इस बार तीज 1 सितम्बर दिन रविवार को दिन में 11:02 बजे से प्रारंभ होकर 2 सितम्बर दिन सोमवार को सुबह दिन में 9:02 बजे तक व्याप्त होगा।

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