यह व्रत सावन के महीने से आरंभ होता है और भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया को इस व्रत को करने का विधान है। ज्योतिषों के अनुसार जैसे महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं वैसे ही अशून्य शयन व्रत है और वहीं शास्त्रों में कहा गया है जो पुरूष ये व्रत करते हैं उनकी पत्नी की उम्र लंबी होती है।
आदि पुराणों में ऐसा बताया गया है कि सक्सेसफुल मैरिड लाइफ एक सुरक्षा कवच की तरह होती है, जो पति-पत्नी दोनों को खुश रखती है। ऐसे में सुख-दुख में दोनों एक-दूसरे के साथ है, यह एहसास उन्हें कठिन से कठिन परिस्थिती में भी मजबूत बनाए रखता है। अशून्य शयन द्वितिया का व्रत वैवाहिक जीवन में एक आत्मविश्वास देता है, जिसके बल पर पति और पत्नी हर मुश्किल परिस्थिती का सामना करने के लिए भी भी तैयार रहते हैं।
अशून्य शयन द्वितीया की व्रत और पूजा विधि
प्रात: उठकर जिस तरह करवाचौथ में महिलाएं सरगी खाती हैं वैसे ही खाएं और पूरे दिन व्रत रहें। शाम के समय पूजा के समय महालक्ष्मी के संग श्री हरि विष्णु का पूजन करें और इस मंत्र का जप करें-
लक्ष्म्या न शून्यं वरद यथा ते शयनं सदा।
शय्या ममाप्य शून्यास्तु तथात्र मधुसूदन।।
प्रात: उठकर जिस तरह करवाचौथ में महिलाएं सरगी खाती हैं वैसे ही खाएं और पूरे दिन व्रत रहें। शाम के समय पूजा के समय महालक्ष्मी के संग श्री हरि विष्णु का पूजन करें और इस मंत्र का जप करें-
लक्ष्म्या न शून्यं वरद यथा ते शयनं सदा।
शय्या ममाप्य शून्यास्तु तथात्र मधुसूदन।।
मतलब ‘हे वरद, जैसे आपकी शेषशय्या लक्ष्मी जी से कभी भी सूनी नहीं होती, वैसे ही मेरी शय्या अपनी पत्नी से सूनी न हो, यानि मैं उससे कभी अलग न रहूं।’ ऐसे प्रार्थना करें। इसके बाद शाम को चांद निकलने पर चावल, दही और फलों से चन्द्रमा को अर्घ्य दें और तृतीया के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन करवाएं और उनका आशीर्वाद लेकर उन्हें कोई मीठा फल भेंट कर दें इससे आपकी पत्नी की उम्र लम्बी होगी।