scriptIIT BHU ने खोजा बैक्टीरिया, ना कैंसर होगा, हो भी गया तो पूरी तरह ठीक हो जाएंगे | IIT BHU Research Claim to Cure Cancer from Bacteria | Patrika News

IIT BHU ने खोजा बैक्टीरिया, ना कैंसर होगा, हो भी गया तो पूरी तरह ठीक हो जाएंगे

locationवाराणसीPublished: Oct 21, 2019 06:21:03 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

IIT BHU के बॉयो केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के शोध में यह किया गया है दावा

कैंसर पेशेंट

कैंसर पेशेंट

वाराणसी. कैंसर जिसका नाम सुन कर लोगों की हालत बिगड़ जाती है। रोगी तो रोगी पूरा परिवार ही दिमागी रूप से बीमार हो जाता है। दुनिया के लाखों लोग इस जानलेवा बीमारी से त्रस्त हैं। इस घातक बीमारी से बचाने के लिए दुनिया के तमाम शिक्षण संस्थानों में शोध चल रहे हैं। कई शोध कामयाब भी हुए हैं। दवाएं बजार में आई हैं लेकिन अभी काफी कुछ किया जाना शेष है। इसी प्रयास में आईआईटी बीएचयू ने भी ऐसी सफलता हासिल की है जिससे कैंसर पर नियंत्रण किया जा सकता है। कैंसर को रोका जा सकता है।
वैसे जानकार बताते हैं कि कैंसर के लिए दूषित जल भी एक बड़ा फैक्टर है। दूषित जल के जरिए जो वायरस और बैक्टीरिया शरीर के भीरत जाता है वह कैंसर का कारण बनता है। इसमें भी पानी में आर्सेनिक की मात्रा कैसर के लिए काफी सहयोगी है। आईएमएस बीएचयू के न्यूरोलॉजिस्ट व सर सुंदर लाल चिकित्सालय के पूर्व एमएस प्रो विजय नाथ मिश्रा का कहना है कि नदियों का दूषित पानी बनारस और पूर्वांचल के लोगों को कैंसर की चपेट में ला रहा है। उन्होंने गंगा सहित तमाम नदियों के जल को प्रदूषण मुक्त करने की अपील की है।
वैसे वैज्ञानिक बताते हैं कि पानी में मलने वाला आर्सेनिक कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का एक प्रमुख कारण है। ऐसे में इस आर्सेनिक से होने वाले कैंसर से लोगों को बचाने के लिए आईआईटी बीएचयू के बॉयो केमिकल विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर विशाल मिश्र ने काम किया है।
प्रो विशाल ने पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि उन्होंने एक ऐसे बैक्टीरिया की खोज की है जो पानी से कैंसर के प्रमुख कारक आर्सेनिक को खत्म कर देगा। वह प्रदूषित जल को पीने लायक बनाएगा। इसका नाम आर्सेनिक रिमूवर म्यूटेंट रखा गया है। उन्होंने बताया कि इसके पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया गया है। अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फार्मेशन में पंजीकृत कराया गया है।
उन्होंने बताया कि इस म्यूटेंट को गंगा जल से लिए गए बैक्टीरिया को परिष्कृत कर तैयार किया गया है। प्रयोगशाला में इसे पैदा करने व संख्या बढ़ाने की तकनीक भी विकसित की गई है। पानी में डालने के बाद यह घातक आर्सेनिक को सोख कर अलग कर देता है। यह बैक्टीरिया इंसानों के लिए किसी भी प्रकार से हानिकारक नहीं है। प्रो. मिश्रा ने बताया कि इस बैक्टीरिया का उपयोग वाटर प्लांट में कर दिया जाए तो वहां से शुद्ध पानी की सप्लाई होगी और लोगों को शुद्ध पेयजल मिल पाएगा।
प्रो मिश्र के अनुसार यह शोध विपुल यादव ने किया है। बताया कि यह म्यूटेंट उन जगहों के लिए ज्यादा कारगर है, जहां पानी में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा है।

“कैंसर का बड़ा कारक है आर्सेनिक। आर्सेनिक पानी में होता है, ऐसे में अगर पानी में पाने जाने वाले आर्सेनिक को ही खत्म कर दिया जाए तो कैंसर क्या आर्सेनिक से होने वाली तमाम बीमारियां दूर हो जाएंगी। हमने जो बैक्टीरिया विकसित किया है जो पानी से आर्सेनिक को खत्म करेगा। यह खुद ही ग्रो करेगा। इस बैक्टीरिया के माध्यम से पानी में आर्सेनिक से होने वाले कैंसर के अलावा अन्य रोगों पर भी नियंत्रण किया जा सकता है।”- प्रो. विशाल मिश्र, असिस्टेंट प्रोफेसर, बायो केमिकल इंजीनियरिंग विभा, आईआईटी बीएचयू
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो