वरिष्ठ पत्रकार संजय अस्थाना ने कहा कि यह एक विडंबना है कि आज देश का किसान इस वजह से आत्महत्या करने को बाध्य है कि उसने उम्मीद से ज्यादा पैदावार कर ली। औने-पौने दाम में भी फसल न बेच पाने की स्थिति में मजबूर होकर महाराष्ट्र के किसानों को यह ऐलान करना पड़ा कि इस सीजन में वह खेत नहीं जोतेंगे। केवल उतनी ही भूमि पर खेती करेंगे जो उनके निजी जरुरतों के लिए पर्याप्त होगी। दरअसल आज किसानों के सामने दो बड़े सवाल हैं, एक या तो मौजूदा व्यवस्था के दोषों को दूर करने के लिए संघर्ष करें या गांधी जी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना को साकार करने के लिए आगे आना होगा। बिना व्यवस्था बदले किसानों का व्यापक अर्थों में ग्रामीण समस्याओं का समाधान सम्भव नही है।
इस मौके पर अविनाष काकड़े ने कहा कि केद्र सरकार ने अभी तक किसानों के हितों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। गांधी विचारक विजय नारायण ने गांव की खराब हालात के लिए राज्य सरकारों पर किसानों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। विदर्भ के प्रताप गोस्वामी ने किसानों को सरकार की नीतियों की जानकारी दी। सुभाष शर्मा ने किसानों को प्रकृति को समझने का सुझाव दिया तथा कृषि विषेषज्ञ अनिल सैनी ने किसानों को आर्गेनिक खेती की जानकारी दी। साथ ही कानपुर देहात व गाजीपुर से आए किसानों को के प्रश्नों के उत्तर भी दिये। किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र तिवारी ने समाप्ति की घोषणा की।