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International Carpet Expo: विदेशी कालीन मेलों को टक्कर देने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के स्टाल पर जोर

locationवाराणसीPublished: Oct 12, 2017 09:12:17 pm

अन्तर्राष्ट्रीय कालीन मेले में विदेशों में होने वाले मेलों की तर्ज पर बढ़ा स्टाइलिस्ट स्टॉल का ट्रेंड।

International Carpet Expo Varanasi 2017 Stalls

अन्तर्राष्ट्रीय कालीन मेला 2917

वाराणसी. बनारस में हर साल आयोजित होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय कालीन मेले के आयोजक अमेरिका, जर्मनी समेत देशों में आयोजित होने वाले कारपेट एक्सपो को टक्कर देने के लिये पूरी तरह कमर कस चुके हैं। न सिर्फ आयोजक बल्कि इसमें आने वाले देश के कालीन कारोबारी भी अपने स्तर से हर वो काम कर रहे हैं जो इसे अगली पंक्ति में सबसे आगे खड़ा कर दे। इसकी झलक संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में लगे 34वें इन्टरनेशनल कारपेट एक्सपो में देखी जा सकती है। यहां बायर्स को आकर्षित करने के लिये अब विदेशों की तर्ज पर स्टाइलिस्ट स्टॉल पर जोर दिया गया है। इसका मकसद देश में बनी कालीनों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग करना है।

कालीन निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा आयोजित 34वें अंतर्राष्ट्रीय कालीन मेला में अन्तर्राष्ट्रीय मार्केटिंग और ब्राडिंग की छाप स्टालों पर देखने को मिली है। कालीन मेले में निर्यातकों के विश्वस्तरीय कारपेट स्टाल दिखाई दे रहे हैं। जिन्हे अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर डेवलप किया गया है। कारपेट एक्सपो में इस तरह के प्रयोग तेजी से बढ़ रहे हैं, इससे विदेशी आयातक इन स्टालों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। मेले में लगाए गए स्‍टालों में कालीनों के कलर संयोजन की तरह स्टाल में भी बेहतर कलर और डिजाईन का इस्तेमाल कर निर्यातक अपने प्रोडक्ट की ब्रांडिंग कर रहे हैं। साथ ही यह प्रयोग मेले को काफी आकर्षक बना रहा है।

अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मार्केटिंग के लिए मेला एक बड़ा माध्यम साबित हो रहा है वहीं स्‍टालों के अंदर कालीन बनाने से संबंधित टूल्स, धागों आदि को प्रदर्शित करने के साथ कालीन हस्तशिल्पयों के जीवनशैली का भी चित्रण देखने को मिल रहा है। मेले में कई ऐसे निर्यातक हैं जिन्‍होने पहली बार किसी फेयर में अपना स्टाल लगाया है इससे उन्हे फायदा भी मिल रहा है। मेंले में 274 स्टालों और सात हजार वर्ग मीटर क्षेत्र ने आयातकों को अपनी तरफ आकर्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है । इस कारण निर्यातक ऐसे स्टाल बनाने पर जोर दे रहे हैं। जो आयातकों को अपने तरफ आकर्षित कर स्टाल में आने के लिए प्रेरित करें।

इसके बारे में आरएमसी के निर्यातक अब्दुल रब का कहना है कि मेंले में स्थान और स्टाल का बनावट और उसमें प्रोडक्ट का डिस्प्ले मेले में भाग लेने वालों की सफलता का पैमाना तय करती है। उन्होने अपने स्टाल को सफेद रंग दिया है साथ है उसमें बेहतरीन लाइटिंग का प्रयोग किया है। वहीं विवर नॉट के निर्यातक इमरान ने पहली बार मेले में कम जगह में ही ग्रीन कलर का प्रयोग करते हुए स्टाल स्टाल को आकर्षक बना दिया। उनका कहना है कि इससे उनका आयातकों के साथ अधिक जुड़ाव रहा। भदोही के निर्यातक जावेद रग्स ने अपने स्टाल को अंतराष्ट्रीय थ्रीडी डिजाइन का प्रयोग करते हुए उसे आकर्षक बनाया है । वहीं सभी कालीन मेलों में भव्य व सुंदर स्टाल लगाने वाले ग्लोबल ओवरसीज के निर्यातक संजय गुप्ता ने कहा कि मेले में स्टाल के माध्यम से अगले छह महीने के लिए निर्यात ऑर्डर बुक करने का प्रयास होता है। इस चार दिवसीय मेले में स्टाल लगाने के लिए पूरे वर्ष काम करना पड़ता है। हम प्रयास करते हैं की हमारा स्टाल अधिक से अधिक हमारे प्रोडक्ट को डिस्प्ले कर सके साथ ही स्टाल को सुंदर बना सके।

इस बारे में परिषद के अध्यक्ष महावीर शर्मा का कहना है कि मेले को लेकर निर्यातक नए नए प्रयोग कर रहे हैं वहीं परिषद का यह मेला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो चुका है। यही कारण है कि अब नए देशों के आयातक भी मेले में काफी संख्या में आए हैं और भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों के प्रति उनका रूझान तेजी से बढ़ा है।
परिषद़ के प्रथम उपाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि पहला मेला सिर्फ 250 वर्ग मीटर के साथ शुरू किया गया था। उस दौरान काफी साधारण स्टाल बनाए जाते थे और कुछ निर्यातक ही उसमें शिरकत करते थे लेकिन आज यह मेला विश्‍व स्‍तर पर एक ब्रांड बन चुका है।
तीन दिनों में छह सौ आयातक व उनके प्रतिनिधियों ने की शिरकत
वाराणसी के सम्पूर्णान्द संस्कृत विश्वविद्यालय में कालीन निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा आयोजित 34वे कालीन के तीन दिनों में लगभग छह सौ आयातकों व् उनके प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसके बारे में जानकारी देते हुए परिषद के अध्यक्ष महावीर शर्मा ने बताया कि तीन दिनों में 275 आयातक व आयातकों के 304 प्रतिनिधियों ने मेले में अपनी भागीदारी दिखाई। परिषद के प्रयासों से कई प्रमुख देशो के बड़े आयातक भी मेले में पहुंचे और निर्यातकों के साथ व्यापारिक अनुबंध किया।
by MAHESH JAISWAL

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