वाराणसी

मूर्त रूप लेने से पहले ही PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट से लोगों में दहशत

सच साबित हो रही पत्रिका की आशंका, आईपीडीएस का भूमिगत केबिबल ब्लास्ट। मानक को दरकिनार कर रोड की सतह के समानांतर बिछाई गई हैं केबिल।

वाराणसीJan 10, 2018 / 01:41 pm

Ajay Chaturvedi

पीएम नरेंद्र मोदी

वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना अभी पूरी तरह से मूर्त रूप भी नहीं ले सका है लेकिन उसके खतरे उजागर होने लगे हैं। बता दें कि पीएम बनने से पहले और ठीक बाद काशी आगमन पर नरेंद्र मोदी ने कहा था बिजली के तारों के जंजाल को हटवाएंगे। इस पर काम शुरू हुआ। काम मिला आईपीडीएस को। काम शुरू होने के साथ ही इसकी संस्था की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठने लगे थे। आईपीडीएस ने जब शहर के बिजली के तारों को मानक को दरकिनार कर जमीन के नीचे डालना शुरू किया तभी पत्रिका ने आवाज उठाई थी। जनप्रतिनिधि ही नहीं आईआईटी बीएचयू के वैज्ञनिकों तक की राय थी आईपीडीएस काशी के भूगर्भ में एक तरह से माइंस बिछा रहा है जो कभी भी विस्फोटक साबित हो सकते हैं। इस संबंध में आईपीडीएस के अफसरों से भी बातचीत की गई थी। लेकिन आईपीडीएस ने उस आशंका को नजरंदाज कर दिया। आलम यह कि सड़क की सतह से महज छह इंच नीचे ही डाली गई बिजली की 33 केवी, 11 केवी लाइन के केबिल ने पहले मवेशियों की जान ली, अब वे ब्लास्ट करने लगे हैं। ऐसा ही एक वाकया कमच्छा इलाके में तब हुआ जब नगर निगम सड़क मरम्मत के लिए पुरानी सड़क की खोदाई कर रहा था। जेसीबी ने जैसे ही पुरानी सड़क को उखाड़ने की कोशिश की उसका लोहे का नुकीला भाग आईपीडीएस की केबिल से जा टकराया और निकलने लगी चिंगाई फिर तेज आवाज के साथ ब्लास्ट हुआ। आवाज इतनी तेज थी को लोग दहल कर इधर-उधर भागने लगे जान बचाने के लिए। लेकिन कुछ ही देर बाद यह पता चला कि यह तो आईपीडीएस के केबिल में ब्लास्ट हुआ है। ऐसे में नागरिक पहुंचे मौके पर और आईपीडीएस, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम तथा पावर ग्रिड के खिलाफ जम कर नारेबाजी की। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम पावर ग्रिड के अफसर भी पहुंचे मौके पर और स्थिति को तत्काल नियंत्रण में लिया।
बता दें कि पत्रिका से बातचीत में आईआईटी के प्रोफेसर विश्वंभर नाथ मिश्र आईपीडीएस के भूमिगत केबिल बिछाने पर कहा था कि यह तो काशी के भूगर्भ में माइंस बिछाने जैसा काम हो रहा है। उन्होंने इसके भयंकर खतरे से आगाह किया था। ऐसे ही वरिष्ठ समाजवादी नेता और एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने भी आशंका जताई थी। उन्होंने यह मसला विधानपरिषद तक में उठाया था। उन्होने तो यहां तक कहा कि आईपीडीएस के पास तो इसका नक्शा तक नहीं है कि उसने कहां कैसे भूमिगत केबिल डाला है। लेकिन काम बदस्तूर जारी रहा। कहीं को बदलाव नहीं हुआ। नतीजा पहले सावन के महीने में बाबा विश्वनाथ की सवारी नंदी की करंट लगने से मौत हुई। फिर काशी के कोतवाल काल भैरव की सवारी कुत्तो की मौत हुई। अब तो ब्लास्ट होने लगे हैं। यहां यह भी बता दें कि इस बार भी कमच्छा क्षेत्र में ब्लास्ट हुआ है और इसी इलाके में वेल्फेयर हॉस्पिटल के समीप जलकल विभाग की खोदाई में पता चला था कि आईपीडीएस के कर्मचारी सीवर व पेयजल की पाइप लाइन से कर दिए थे बिजली के केबिलि। वह भी बाकयदे वेल्डिंग तक कर दी गई थी। उस वक्त भी जम कर हंगामा हुआ था। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई थी। पत्रिका ने यह भी बताया था कि अब जलकल, जल निगम के कर्मचारी लीकेज दूर करने से कतराने लगे हैं। वो खुल कर कहने लगे हैं कि जान जोखिम में डाल कर काम नहीं करेंगे।
अब ताजा तरीन घटना मंगलवार की है जब कमच्छा के पास छह इंच नीचे डाली गई 11 केवी की लाइन में सड़क बनाने के दौरान ब्लास्ट हो गया। आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के घरों और दुकानों में बैठे लोग सहम गए। डर के मारे लोग इधर-उधर भागने लगे। लेकिन जल्द ही पता चला कि भूमिगत केबल में ब्लास्ट हुआ है। इससे नाराज दर्जनों लोग मौके पर जुट गए और पावर ग्रिड के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। घंटों बाद क्षेत्र की बिजली आपूर्ति सामान्य हुई।
इस हादसे के बाद मौके पर पहुंचे पावर ग्रिड के बिजली इंजीनियरों का कहना था कि 33केवी की लाइन एक मीटर, 11 केवी की लाइन उससे कुछ कम और सामान्य लाइन कम से कम आधा मीटर नीचे होनी चाहिए। साथ ही वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने होंगे। लाल निशान लगाना होगा ताकि कोई दूसरा विभाग काम करने आए तो एहतियात बरते। लेकिन आईपीडीएस ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है। उल्टे सामान्य तौर पर सड़क की सतह से छह इंच नीचे केबल डाल दिया। नतीजा कमच्छा के पास नगर निगम द्वारा सड़क को उखाड़ कर बनाने का काम जैसे ही शुरू हुआ जेसीबी में केबल फंस गया और तेज आवाज के साथ चिंगारी निकलने लगी। यह तो संयोग ही था कि लाइन टिप कर गई अन्यथा किसी बड़ी घटना से इन्कार नहीं किया जा सकता था।

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