पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के नईसड़क स्थित दालमंडी में देर रात तत्कालीन एसएसपी आरके भारद्वाज पहुंच गये थे। पहले तो इसे सामान्य भ्रमण माना जा रहा था इसी बीच आईपीएस आरके भारद्वाज को एक अंडरग्राउंड कमरे से रोशनी दिखती है। उत्सुकतावश वह कमरे में जाते हैं तो देखते हैं कि वहां पर बहुत बड़ा बेसमेंट बना हुआ है। तत्कालीन एसएसपी ने जब बेसमेंट के अंदर चलते जाते हैं तो पता चलता है कि उसका एरिया बहुत बड़ा। मीडिया में इस खबर के आने के बाद हड़कंप मच जाता है। जिला प्रशासन जब वीडीए से बेसमेंट की जानकारी लेता है तो पता चलता है कि ऐसे किसी बेसमेंट बनाने की अनुमति नहीं दी गयी थी। इसके बाद से अवैध बेसमेंट को लेकर राजनीति भी शुरू हो जाती है। बेसमेंट का खुलासा तत्कालीन एसएसपी आरके भारद्वाज ने किया था इसलिए पुलिस ने कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके गिरफ्तारी की कार्रवाई की थी। यहां पर पहुंची वीडीए की टीम ने अवैध बेसमेंट को सील कर दिया था। कहा जा रहा था कि बिना किसी ठोस व्यवस्था के ही यह बेसमेंट बना दिये गये थे जिस तरह से यह बेसमेंट बनाये गये थे वह स्थानीय लोगों के लिए कभी भी खतरा बन सकता था इसके बाद बेसमेंट को गिराने का प्रस्ताव सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार को भेजा गया था जहां से इस संदर्भ में कुछ कार्रवाई नहीं हुई थी।
यह भी पढ़े:-सीएम योगी के मंत्री ने कहा कि पहली बार इस विभाग को हुआ 122 करोड़ का फायदा अवैध बेसमेंट मिलने के बाद कमिश्रर से भी हो गये थे मतभेदअवैध बेसमेंट के लिए पुलिस के साथ वीडीए को भी जिम्मेदार माना गया था। वीडीए की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगा था। वीडीए का अध्यक्ष कमिश्रर होता है इसलिए कमिश्रर भी इस प्रकरण में फंसते जा रहे थे। अवैध बेसमेंट को लेकर आईपीएस व आईएएस लॉबी में मतभेद हो गया था बाद में दोनों पक्षों ने इस मामले को अधिक तव्वजो नहीं दी थी और बाद में सारी कहानी ठंडे बस्ते में चली गयी। अवैध बेसमेंट खोजने वाले आईपीएस आरके भारद्वाज को लखनऊ तबादला हो चुका है और उस समय के कमिश्नर भी शहर में नहीं है। दोनों अधिकारी जा चुके हैं लेकिन अवैध बेसमेंट प्रकरण आज भी चर्चा का विषय बना रहता है।
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