इंसानियत कायम है। इस बात को चरितार्थ किया बनारस में तैनात आईपीएस ने जिन्होंने दुर्घटना के शिकार एक युवक को पहुंचाया अस्पताल। उसके इलाज का पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित कराया। साथ ही सड़क पर घायल पड़े युवक को अस्पताल पहुंचाने की बजाया तमाशा देखने वालों को नसीहत भी दी।
किशोर की मदद करते आईपीएस सुभाषचंद्र
वाराणसी. पुलिस जिसके जिम्मे कानून व्यवस्था कायम रखने के सिवाय कोरोना जैसी महामारी से लोगों की बड़ी जिम्मेदारी भी है। वाराणसी जैसा शहर जहां की ट्रैफिक व्यवस्था लुंज-पुंज है उसे भी सुधारने की जिम्मेदारी है। इन सब जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए अगर कोई आईपीएस किसी राह चलते घायल की मदद करता है, उसकी जान बचाता है तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है। यही किया है वाराणसी में तैनात आईपीएस अपर पुलिस अधीक्षक ने।
दरअसल आईपीएस सुभाषचंद्र दुबे रूटीन भ्रमण पर निकले थे, तभी भेलूपुर पानी टंकी पहुंचे तो सड़क पर तमाशबीनों की भीड़ देखकर गाड़ी रुकवा दी। भीड़ के हटने के बाद जो उन्होंने देखा वो हैरान करने वाला था। वहां सड़क पर एक युवक लहूलुहान पड़ा था। आईपीएस ने तत्काल उस अचेत पड़े युवक को खुद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ट्रामा सेंटर पहुंचे। चिकित्सकों को बेहतर इलाज करने का निर्देश देते हुए वहां स्थानीय थाने से एक सिपाही की ड्यूटी लगाई। युवक के पास से मिले कागजात से पता चला कि युवक भेलूपुर निवासी श्रवण शर्मा का 17 वर्षीय पुत्र मोहित शर्मा है जो कक्षा 10वीं का छात्र है।
ट्रामा सेंटर में जांच के बाद चिकित्सकों ने एडिशनल सीपी को बताया कि सिर व अन्य हिस्सों में लगे चोट से युवक के शरीर से अत्यधिक रक्तरसाव हो गया है। यदि अस्पताल लाने में बिलम्ब होता तो बचाना मुश्किल था। एडिशनल सीपी ने बच्चे के बेहतर इलाज का निर्देश देने के साथ ही अपील की कि इंटर तक के बच्चों को अभिभावक गाड़ी देने से बचें और यदि दें तो उन्हें यातायात नियमों का पालन करने की नसीहत भी दें। साथ ही जनता से कहा है कि तमाशबीन बनने से बेहतर है आप किसी का जीवन बचाएं और सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाएं। आपका छोटा सा प्रयास किसी के परिवार में खुशी की वजह बन सकता है।